युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, कहा- अब आगे बढ़ने का समय

मुंबई में अपने संन्यास की घोषणा करते हुए भावुक युवराज सिंह ने कहा कि इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया, मैंने जितनी सफलताएं अर्जित की उससे अधिक बार मुझे नाकामी मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी.

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Yuvraj Singh announces retirement (PTI)

मुंबई में अपने संन्यास की घोषणा करते हुए भावुक युवराज सिंह ने कहा कि इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया, मैंने जितनी सफलताएं अर्जित की उससे अधिक बार मुझे नाकामी मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी.

Yuvraj Singh announces retirement (PTI)
मुंबई में अपने संन्यास की घोषणा करते युवराज सिंह (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: कैंसर से लड़ाई जीने के आठ साल बाद भावुक युवराज सिंह ने सोमवार को उतार-चढ़ाव से भरे अपने करिअर को अलविदा कहने की घोषणा की. युवराज की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत की 2011 की विश्व कप जीत में अहम योगदान रहा.

युवराज को सीमित ओवरों की क्रिकेट का दिग्गज माना जाता रहा है लेकिन उन्होंने इस टीस के साथ संन्यास लिया कि वह टेस्ट मैचों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए. बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने हालांकि संन्यास लेने से पहले कई बार परिस्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ने के प्रयास किए.

37 वर्षीय क्रिकेटर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैंने 25 साल 22 गज की पिच के आसपास बिताने और लगभग 17 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद आगे बढ़ने का फैसला किया है. क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया और यही वजह है कि मैं आज यहां पर हूं. मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि मैंने भारत की तरफ से 400 मैच खेले. जब मैंने खेलना शुरू किया था तब मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकता था.’

अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए पहचान रखने वाले इस खिलाड़ी ने कहा कि वह अब ‘जीवन का लुत्फ’ उठाना चाहता है और बीसीसीआई से स्वीकृति मिलने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न टी20 लीग में फ्रीलांस खिलाड़ी के रूप में खेलना चाहता है, लेकिन अब वह इंडियन प्रीमियर लीग में नहीं खेलेंगे.

युवराज ने भारत की तरफ से 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले. उन्होंने टेस्ट मैचों में 1,900 और वनडे में 8,701 रन बनाये. उन्हें वनडे में सबसे अधिक सफलता मिली. टी20 अंतरराष्ट्रीय में उनके नाम पर 1,177 रन दर्ज हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह इस खेल के साथ एक तरह से प्रेम और नफरत जैसा रिश्ता रहा. मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि वास्तव में यह मेरे लिए कितना मायने रखता है. इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया. मैंने जितनी सफलताएं अर्जित की उससे अधिक बार मुझे नाकामी मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी.’

बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने करिअर के तीन महत्वपूर्ण क्षणों में विश्व कप 2011 की जीत और मैन ऑफ द सीरीज बनना, टी20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के जड़ना और पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर में 2004 में पहले टेस्ट शतक को शामिल किया.

विश्व कप 2011 के बाद कैंसर से जूझना उनके लिए सबसे बड़ी लड़ाई थी. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बीमारी से हार मानने वाला नहीं था.’ इसके बाद हालांकि उनकी फॉर्म अच्छी नहीं रही. उन्होंने भारत की तरफ से आखिरी मैच जून 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे के रूप में खेला था.

उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच 2012 में खेला था. इस साल आईपीएल में वह मुंबई इंडियन्स की तरफ से खेले लेकिन उन्हें अधिक मौके नहीं मिले.

दक्षिण अफ्रीका में 2007 में खेले गये विश्व कप में उनकी उपलब्धि का कोई सानी नहीं है. उन्होंने किंग्समीड में स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के लगाए थे, जिसे क्रिकेट प्रेमी कभी भूल नहीं पाएंगे. इंग्लैंड के खिलाफ इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने केवल 12 गेंदों पर अर्धशतक पूरा किया जो कि एक रिकॉर्ड है.

युवराज वनडे में मध्यक्रम के मुख्य बल्लेबाज बन गये थे और इस बीच उन्होंने अपनी गेंदबाजी से भी प्रभावित किया. उन्होंने विश्व कप 2011 में अपनी ऑलराउंड क्षमता का शानदार नमूना पेश किया तथा 300 से अधिक रन बनाने के अलावा 15 विकेट भी लिए. इस दौरान उन्हें चार मैचों में मैन ऑफ द मैच और बाद में मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था.

युवराज ने कहा, ‘विश्व कप 2011 को जीतना, मैन ऑफ द सीरीज बनना, चार मैन ऑफ द मैच हासिल करना सब सपने जैसा था जिसके बाद कैंसर से पीड़ित होने के कारण मुझे कड़वी वास्तविकता से रूबरू होना पड़ा.’

उन्होंने कहा, ‘यह सब तेजी से घटित हुआ और तब हुआ जब मैं अपने करिअर के चरम पर था. मैं अपने परिवार और दोस्तों से मिले सहयोग को शब्दों में बयां नहीं कर सकता जो मेरे लिए उस समय मजबूत स्तंभ की तरह थे. बीसीसीआई और बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने भी मेरे उपचार के दौरान सहयोग किया.

युवराज ने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी को अपना पसंदीदा कप्तान बताया तथा अपने करिअर में जिन गेंदबाजों को खेलने में उन्हें मुश्किल हुई उनमें श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रॉ का नाम गिनाया.

साथी क्रिकेटरों ने दी विदाई

युवराज सिंह के संन्यास की घोषणा के बाद देश-विदेश के क्रिकेटरों ने युवराज को उनके करिअर के लिए बधाई दी. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने ट्विटर पर लिखा कि देश के लिए खेलने पर आपको बधाई। आपने हमें हमें कई यादें और जीत दी हैं. आगे के जीवन के लिए शुभकामनायें.’

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वहीं इंग्लैंड के खिलाड़ी केविन पीटरसन ने भी युवराज को शुभकामनाएं देते हुए उनके करिअर के लिए बधाई दी है. उनके अलावा गौतम गंभीर, वीरेंद्र सहवाग, मोहम्मद कैफ़, सुरेश रैना और ऋषभ पंत ने भी युवराज को बधाई दी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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