ओम बिड़ला बने नए लोकसभा अध्यक्ष, निष्पक्षता से सदन चलाने की बात कही

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के क़रीबी माने जाने वाले ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं. व​​ह राजस्थान के हाड़ौती अंचल से देश के एक प्रमुख संवैधानिक पद पर विराजने वाले पहले नेता हैं.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi greets Om Birla on being unanimously elected as the Speaker of the Lok Sabha, at Parliament in New Delhi, Wednesday, June 19, 2019. (Twitter/PTI Photo) (PTI6_19_2019_000091B)
New Delhi: Prime Minister Narendra Modi greets Om Birla on being unanimously elected as the Speaker of the Lok Sabha, at Parliament in New Delhi, Wednesday, June 19, 2019. (Twitter/PTI Photo) (PTI6_19_2019_000091B)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के क़रीबी माने जाने वाले ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं. वह राजस्थान के हाड़ौती अंचल से देश के एक प्रमुख संवैधानिक पद पर विराजने वाले पहले नेता हैं.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi greets Om Birla on being unanimously elected as the Speaker of the Lok Sabha, at Parliament in New Delhi, Wednesday, June 19, 2019. (Twitter/PTI Photo) (PTI6_19_2019_000091B)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/जयपुर: भाजपा सांसद और राजग उम्मीदवार ओम बिड़ला को बुधवार को सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुन लिया गया. पद संभालने के बाद उन्होंने कहा कि वह निष्पक्षता के साथ सदन चलाएंगे और कम संख्या वाले दलों को भी पर्याप्त समय दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष ने सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए नवनिर्वाचित अध्यक्ष को दिल से सहयोग देने का आश्वासन दिया.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक के टीआर बालू एवं तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने बिड़ला की उम्मीदवारी का समर्थन किया और उनसे पीठासीन अधिकारी के रूप में निचले सदन को चलाने के समय निष्पक्ष रहने का अनुरोध किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखे गए और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव को सदन द्वारा ध्वनि मत से स्वीकार किए जाने के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने बिड़ला के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन की घोषणा की.

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत अन्य दलों के नेता बिड़ला को अध्यक्ष के आसन तक लेकर गए. इस दौरान पूरे सदन ने ताली बजाकर और मेजें थपथपाकर नए अध्यक्ष का अभिनंदन किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई और शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया कि वह वर्षों के अपनी सामाजिक संवेदना भरे जीवन के कारण सदन का सुगमता से संचालन कर पाएंगे.

उन्होंने गुजरात में आए 2011 के भूकंप और 2013 में उत्तराखंड में भीषण बाढ़ सहित देश के विभिन्न भागों में बिड़ला द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को याद किया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बिड़ला को अध्यक्ष के नाते सभी को अनुशासित और अनुप्रेरित करने तथा सत्तापक्ष को भी नियमों की अवहेलना पर टोकने का अधिकार होगा.

प्रधानमंत्री ने उन्हें विश्वास दिलाया कि सरकार उनके कामकाज को सरल बनाने में शत-प्रतिशत योगदान देगी.

सदन में बुधवार को ध्वनि मत से राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए बिड़ला के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन के बाद मोदी ने कहा कि बिड़ला छात्र राजनीति से यहां तक पहुंचे हैं और उन्होंने जन आंदोलन से ज्यादा ध्यान जन सेवा पर केंद्रित रखा है. उन्होंने राजस्थान विधानसभा में सक्रिय भूमिका निभाई है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बिड़ला सार्वजनिक जीवन में विद्यार्थी काल में छात्र संगठनों से जुड़ते हुए जीवन के सर्वाधिक उत्तम समय में किसी भी विराम के बिना समाज की किसी न किसी गतिविधि से जुड़े रहे.’

बिड़ला ने पदभार संभालने के बाद कहा कि वह निष्पक्षता के साथ सदन चलाएंगे और कम संख्या वाले दलों को भी पर्याप्त समय दिया जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से ज्यादा जवाबदेही और पारदर्शिता की अपेक्षा है.

पदभार ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद के सदस्यों और सभी राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त करते हुए बिड़ला ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी निष्पक्ष होनी चाहिए और निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए.

बिड़ला ने सदस्यों से कहा कि वे केंद्र सरकार से जुड़े मुद्दे विशेषकर बुनियादी मुद्दे उठाएं क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि सदस्य ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनका केंद्र सरकार से कोई संबंध नहीं होता है.

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने बिड़ला को सहयोग देने का आश्वासन देते हुए उनसे निष्पक्ष रहने और जनहित के मुद्दे उठाने के लिए विपक्ष को पर्याप्त समय देने का अनुरोध किया.

कांग्रेस नेता ने लोकसभा द्वारा बहुत कम विधेयकों को स्थायी समिति को भेजने पर चिंता जताई और उम्मीद जताई कि इस चलन में परिवर्तन होगा. बीजद के पिनाकी मिश्रा ने भी यही चिंता जताई.

बिड़ला के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन के लिए प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, शिवसेना के अरविंद सावंत, बीजद के पिनाकी मिश्रा, अकाली दल के सुखबीर बादल, जदयू के राजीव रंजन, केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, प्रहलाद जोशी, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक के टीआर बालू और तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने प्रस्ताव रखे. उनके पक्ष में कुल 13 प्रस्ताव पेश रखे गए.

New Delhi: Newly-elected Speaker for 17th Lok Sabha Om Birla takes charge at his office at Parliament, in New Delhi, Wednesday, June 19, 2019. (PTI Photo/Shahbaz Khan)   (PTI6_19_2019_000078B)
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला. (फोटो: पीटीआई)

इन प्रस्तावों का क्रमश: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रमेश पोखरियाल निशंक, शिवसेना के विनायक राउत, बीजद के अच्युतानंद सामंत, लोजपा के चिराग पासवान, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, वाईएसआर कांग्रेस के पीवी मिथुन रेड्डी, अन्नाद्रमुक केपी रवींद्रनाथ कुमार, द्रमुक के बालू, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और तेलंगाना राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने समर्थन किया.

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने 17वीं लोकसभा के पहले दो दिन का कामकाज सुगमता से चलाने के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार और उनके पैनल में शामिल कांग्रेस के के. सुरेश, बीजद के बी. महताब तथा भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह का आभार जताया.
उन्होंने लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव का भी धन्यवाद जताया.

गौरतलब है कि ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं.

विपक्ष की ओर से लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया गया.

बिड़ला (56) प्रधानमंत्री मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के काफी करीबी माने जाते हैं. उन्होंने आठ बार सांसद रह चुकीं सुमित्रा महाजन के बाद यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली है.

छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं मोदी-शाह के करीबी ओम बिड़ला

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार ओम बिड़ला राजस्थान से दूसरी बार निचले सदन के लिए चुने गए हैं. उन्हें मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है.

राजनीतिक गुणा-भाग के हिसाब से देखें तो राजस्थान की कोटा-बूंदी सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए बिड़ला राजस्थान के हाड़ौती अंचल से देश के एक प्रमुख संवैधानिक पद पर विराजने वाले पहले नेता हैं.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बिड़ला छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हैं.

इससे पहले 1991 से 2003 तक वह भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रमुख नेता के रूप में पहले संगठन की राजस्थान प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहे और फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे.

छात्र नेता के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करते हुए बिड़ला राजस्थान विधानसभा के लिए लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में सदस्य चुने गए.

बिड़ला ने 2003 में राजस्थान विधानसभा चुनावों में कोटा दक्षिण सीट पर कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हराकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा. वह लगातार तीन बार विधायक रहे.

इस दौरान भाजपा में बिड़ला का कद लगातार मजबूत हुआ. साल 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोटा सीट से लोकसभा प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की. साल 2019 के आम चुनाव में बिड़ला ने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2,79,677 मतों से हराया.

दस्तावेजों के अनुसार, बिड़ला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ. उनके पिता श्रीकृष्ण बिड़ला सरकारी सेवा में थे जबकि मां शकुंतला गृहिणी थीं.

57 वर्षीय बिड़ला के लिए कोटा जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों रही है. उन्होंने स्कूली शिक्षा कोटा के गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से की और उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से बी.कॉम व एम.कॉम किया. उनकी शादी अमिता से हुई. उनकी दो बेटियां अंजली, आकांक्षा हैं. अमिता पेशे से चिकित्सक हैं.

पहले भी कम अनुभवी लोग भी बने हैं लोकसभा अध्यक्ष

अब तक वरिष्ठ सांसदों द्वारा लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालने की परंपरा रही है और भाजपा सांसद बिड़ला इस मामले में अपेक्षाकृत कम अनुभवी माने जा रहे हैं.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पहले अपेक्षाकृत किसी कम अनुभवी सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष का पद नहीं संभाला हो. साल 1996 में तेलुगू देशम पार्टी के नेता जीएमसी बालयोगी भी जब लोकसभा अध्यक्ष बने थे तो वह दूसरी बार ही सांसद चुने गए थे.

बालयोगी के 2002 में हवाई दुर्घटना में निधन के बाद शिवसेना नेता और पहली बार सांसद चुने गए मनोहर जोशी को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया था.

बिड़ला ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य हैं. वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की याचिका समिति एवं परामर्श समिति के भी सदस्य हैं.

सदन के अनुशासित सदस्य की छवि वाले बिड़ला की 16वीं लोकसभा में औसत उपस्थिति 86 प्रतिशत रही है. उन्होंने 671 सवाल पूछे और 163 बहस में हिस्सा लिया. उन्होंने छह निजी विधेयक भी पेश किए.

बिड़ला अपने संसदीय क्षेत्र में ‘प्रसादम’ और ‘परिधान’ नाम से सामाजिक संस्थाएं चलाते हैं जिनके माध्यम से जरूरतमंद लोगों को भोजन और कपड़े आदि प्रदान किए जाते हैं.

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