‘मैं मिया हूं’ कविता लिखने वाले कवि ने कहा, असमिया भावनाएं आहत हुईं तो मुझे खेद है

इस कविता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद ‘मैं मिया हूं’ कविता के रचनाकार हाफ़िज़ अहमद सहित 10 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. इन लोगों पर अपनी कविताओं के ज़रिये असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और असमिया लोगों के प्रति नफ़रत या पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया गया है.

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(फोटो साभार: nrcassam.nic.in)

इस कविता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद ‘मैं मिया हूं’ कविता के रचनाकार हाफ़िज़ अहमद सहित 10 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. इन लोगों पर अपनी कविताओं के ज़रिये असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और असमिया लोगों के प्रति नफ़रत या पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया गया है.

Assam NRC

गुवाहाटी: असम में बांग्ला भाषी मुसलमानों के प्रति कथित भेदभाव वाली कविता- ‘मैं मिया हूं’- लिखने वाले कवि हाफिज अहमद ने कहा है कि उनकी 2016 की इस रचना से यदि असमिया भावनाएं आहत हुई हैं तो उन्हें खेद है.

दरअसल, इस कविता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद ‘मैं मिया हूं’ कविता के रचनाकार सहित 10 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.

यह विवाद उस वक्त पैदा हुआ, जब कवियों के एक समूह ने अहमद द्वारा लिखी गई इस कविता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया.

यह कविता पूर्वी बांग्ला बोली में है. यह असम के बांग्ला भाषी मुसलमानों के साथ बरसों से हुए भेदभाव और खासतौर पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट किए जाने के दौरान कथित भेदभाव को बयां करती है.

अहमद ने कहा कि उन्होंने यह कविता 2016 में लिखी थी और यह नागरिकता से जुड़ी कवायद (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से संबद्ध नहीं है, जिसकी अंतिम सूची 31 जुलाई को जारी होने वाली है.

उन्होंने बीते शनिवार को एक बयान में कहा, ‘मैं अपनी कविताओं के जरिये असमिया भावनाओं को आहत करने की सोच भी नहीं सकता. मैंने लंबे समय से असमिया साहित्य में योगदान दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि असमिया भाषा के समर्थन में खड़े होने को लेकर मुझ पर हमला भी किया गया. यदि मेरी कविता ने किसी की भावना आहत की है, तो मुझे इसके लिए खेद है.’

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद पत्रकार प्रणबजीत दोलोई ने बीते 11 जुलाई को 10 कवियों के खिलाफ पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी. इनमें से अधिकतर बंगाली मूल के मुस्लिम कवि और कार्यकर्ता हैं. इन्होंने ‘मिया’ बोली में यह कविता लिखी है.

उन्होंने उन पर अपनी कविताओं के जरिये असम के लोगों को ज़ेनोफोबिक (किसी देश या क्षेत्र के लोगों के प्रति नफरत या पूर्वाग्रह रखना) होने का आरोप लगाया था. दोलोई ने कहा, ‘मैं ‘मिया काव्य’ शैली के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मैं इस कविता के विषय वस्तु के खिलाफ हूं.’

अहमद के अलावा जिन अन्य लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, उनमें रेहाना सुल्ताना, अब्दुर रहीम, काजी सरोवर हुसैन उर्फ काजी नील, सलीम एम. हुसैन, करिश्मा हजारिका, बनमल्लिका चौधरी और फरहाद भुइयां शामिल हैं.

गुवाहाटी पुलिस उपायुक्त रमनदीप कौर ने बीते 14 जुलाई को बताया कि अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है लेकिन मामले की जांच जारी है.

वहीं, प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद हिरेन गोहेन तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने प्राथमिकी दर्ज किए जाने के कदम की निंदा की है और कहा कि लोकतंत्र में इस तरह की कार्रवाई का समर्थन नहीं किया जा सकता.

हालांकि, कार्यकर्ताओं ने इस काव्य शैली की आलोचना की और आरोप लगाया कि पूर्वी बांग्ला लहजे वाली इन कविताओं का लक्ष्य असमिया भाषा को कमजोर करना है.

गौरतलब है कि असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए एनआरसी का मसौदा तैयार किया जा रहा है. हाल ही में असम में अयोग्य पाए जाने के बाद एनआरसी के मसौदे से एक लाख से अधिक लोगों के नाम हटाए गए हैं, जो पिछले साल 30 जुलाई को प्रकाशित सूची से हटाए गए 40 लाख नामों के अतिरिक्त हैं.

असम में एनआरसी का मसौदा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है और इसकी अंतिम सूची 31 जुलाई को जारी होनी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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