सुप्रीम कोर्ट ने बाल यौन शोषण के मामलों के लिए ज़िलों में विशेष अदालतें बनाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये अदालतें उन जिलों में गठित की जाएंगी जहां यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत 100 या इससे अधिक मुक़दमे लंबित हैं. उधर, राज्यसभा में पॉक्सो संशोधन विधेयक पारित. बाल यौन अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान.

(फोटो: द वायर)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये अदालतें उन जिलों में गठित की जाएंगी जहां यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत 100 या इससे अधिक मुक़दमे लंबित हैं. उधर, राज्यसभा में पॉक्सो संशोधन विधेयक पारित. बाल यौन अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान.

(फोटो: द वायर)
(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सभी जिलों में बाल यौन शोषण के मुकदमों के लिए केंद्र से वित्तपोषित विशेष अदालतें गठित करने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया. ये अदालतें उन जिलों में गठित की जाएंगी जहां यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत 100 या इससे अधिक मुकदमे लंबित हैं.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि पॉक्सो के तहत मुकदमों की सुनवाई के लिए इन अदालतों का गठन 60 दिन के भीतर किया जाए. इन अदालतों में सिर्फ पॉक्सो कानून के तहत दर्ज मामलों की ही सुनवाई होगी.

पीठ ने कहा कि केंद्र पॉक्सो कानून से संबंधित मामलों को देखने के लिए अभियोजकों और सहायक कार्मिकों को संवेदनशील बनाए तथा उन्हें प्रशिक्षित करे. न्यायालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ऐसे सभी मामलों में समय से फॉरेंसिक रिपोर्ट पेश की जाए.

पीठ ने केंद्र को इस आदेश पर अमल की प्रगति के बारे में 30 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने और पॉक्सो अदालतों के गठन और अभियोजकों की नियुक्ति के लिए धन उपलब्ध कराने को कहा.

देश में बच्चों के साथ हो रही यौन हिंसा की घटनाओं में तेजी से वृद्धि पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने इस प्रकरण को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

न्यायालय ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरि को न्याय मित्र नियुक्त करने के साथ ही शुरू में ऐसे मामलों का विवरण भी तलब किया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चों के बलात्कार के मामलों के और अधिक राष्ट्रव्यापी आंकड़े एकत्र करने से पॉक्सो कानून के अमल में विलंब होगा.

पॉक्सो से संबंधित मामलों की जांच तेजी से करने के लिए प्रत्येक जिले में फॉरेंसिक प्रयोगशाला स्थापित करने संबंधी न्याय मित्र वी. गिरि के सुझाव पर पीठ ने कहा कि इसे लेकर इंतजार किया जा सकता है और इस बीच, राज्य सरकारें यह सुनिश्चत करेंगी कि ऐसी रिपोर्ट समय के भीतर पेश हो ताकि इन मुकदमे की सुनवाई तेजी से पूरी हो सके.

न्यायालय इस मामले में अब 26 सितंबर को आगे सुनवाई करेगा.

राज्यसभा में पॉक्सो संशोधन विधेयक पारित, बाल यौन अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान

इधर, राज्यसभा ने बीते बुधवार को पॉक्सो संशोधन विधेयक पारित कर दिया जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को परिभाषित करते हुए बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है.

उच्च सदन में लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध और बलात्कार के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने 1023 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करने को मंजूरी दी है.

उन्होंने कहा कि अब तक 18 राज्यों ने ऐसी अदालतों की स्थापना के लिए सहमति जताई है. महिला एवं बाल विकास मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

इससे पहले ईरानी ने कहा कि 1023 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के लिए कुल 767 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसमें से केंद्र 474 करोड़ रुपये का योगदान देगा. ईरानी ने कहा कि सरकार अपनी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से इस बात को प्रोत्साहन दे रही है कि बच्चे अपने विरूद्ध होने वाले यौन अपराधों के बारे में निडर होकर शिकायत कर सकें और अपने अभिभावकों को बता सकें.

उन्होंने कहा कि प्राय: देखने में आता है कि बच्चियों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों की शिकायत तो की जाती है किंतु लड़कों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में शिकायत नहीं की जाती.

उन्होंने इस विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन द्वारा उनके साथ 12 वर्ष की आयु में हुए यौन अपराध की एक घटना का जिक्र किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि इस बात को उन्होंने अब 58 वर्ष की आयु में सार्वजनिक तौर पर कहा है.

उन्होंने कहा कि समाज में अब पुरुषों को भी इस तरह की घटनाओं का उल्लेख करने में संकोच नहीं करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को परिभाषित किया गया है ताकि ऐसे अपराधों को रोकने में मदद मिल सके. महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने कहा कि मौजूदा विधेयक में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा तथा ‘दुर्लभतम मामलों’ में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.

ईरानी ने कहा कि उन्होंने बच्चों के खिलाफ अपराध के लंबित मामलों में उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार के साथ बैठक की थी.

उन्होंने कहा कि इमसें सभी राज्यों से सीनियर नोडल पुलिस अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया था. सभी राज्यों में ऐसे अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि मूल कानून के अनुसार, बाल यौन अपराधों की प्राथमिकी दर्ज होने के दो माह के भीतर जांच पूरी करने और एक वर्ष के भीतर मुकदमा पूरा करने का प्रावधान है.

ईरानी ने कहा कि सरकार ने यौन अपराधों का एक राष्ट्रीय डाटा बेस तैयार किया है. ऐसे 6,20,000 अपराधी हैं. यदि कोई ऐसे व्यक्तियों को रोजगार पर रखता है तो संबंधित व्यक्ति के बारे में इससे जानकारी लेने में मदद मिलेगी.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq