हवाई अड्डों के निजीकरण में वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के दिशानिर्देशों को किया गया नजरअंदाज

इस साल फरवरी में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत देश के छह हवाई अड्डों के संचालन का ठेका 50 साल के लिए अडाणी समूह को मिला था.

गौतम अडानी. (फोटो: पीटीआई)

इस साल फरवरी में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत देश के छह हवाई अड्डों के संचालन का ठेका 50 साल के लिए अडाणी समूह को मिला था.

गौतम अडाणी. (फोटो: पीटीआई)
गौतम अडाणी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत देश के जिन छह हवाई अड्डों के संचालन का ठेका अडाणी समूह को मिला है, उनके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमिटी (पीपीपीएसी) ने एक ही निजी कंपनी को दो से अधिक हवाई अड्डों के संचालन का ठेका नहीं सौंपने जैसे वित्त मंत्रालय के कई महत्वपूर्ण सिफारिशों की अनदेखी कर दी.

बता दें कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमिटी (पीपीपीएसी), पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए काम करने वाली एक सरकारी समिति है.

द हिंदू के अनुसार, पिछले साल नवंबर में सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा परिचालित किए जाने वाले छह हवाई अड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति दी थी.

इसके बाद, पीपीपीएसी ने अंतिम अनुमोदन के प्रस्ताव की सिफारिश करने के लिए 11 दिसंबर को मुलाकात की थी.

इस बैठक में समिति ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) और नीति आयोग द्वारा निजी संचालनकर्ताओं के चयन के मानदंडों में सुधार करने के लिए किए गए प्रमुख सुझावों को खारिज कर दिया.

इनमें परिचालन और प्रबंधन (ओ एंड एम) में पूर्व अनुभव की आवश्यकता के साथ-साथ कुल हवाई अड्डों में से प्रत्येक के लिए कुल परियोजना लागत को बेहतर ढंग से सामने रखना शामिल था, ताकि इच्छुक निजी संचालनकर्ताओं की वित्तीय क्षमता का बेहतर निर्धारण किया जा सके.

इसके तीन दिन बाद 14 दिसंबर को एएआई ने पीपीपी मॉडल के तहत लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम, मंगलुरु हवाई अड्डों के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए टेंडर जारी किया.

इस साल फरवरी में एएआई ने सभी छह हवाई अड्डों के लिए अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को सबसे अधिक बोली लगाने वाला घोषित किया. 3 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट ने इनमें से तीन हवाई अड्डों को लीज पर देने की अपनी मंजूरी दे दी जबकि बाकी तीन पर फैसला लिया जाना फिलहाल बाकी है.

इस संबंध में संपर्क किए जाने पर आर्थिक मामलों के तत्कालीन सचिव और पीपीपीएसी के पूर्व प्रमुख सुभाष चंद्र गर्ग और नागरिक विमानन मंत्रालय के सचिव (एमओसीए) पीएस खरोला ने द हिंदू द्वारा ईमेल किए गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.

पीपीपीएसी बैठक से पहले उसमें भाग लेने वाले सभी मंत्रालयों को डीईए और नीति आयोग के छह हवाई अड्डों पर प्रस्ताव के विस्तृत नोट दिए गए थे.

अपने नोट में, डीईए ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया, छह हवाईअड्डे की परियोजनाएं पूंजी प्रधान परियोजनाएं हैं इसलिए सुझाव दिया जाता है कि वित्तीय संकट और प्रदर्शन को देखते हुए एक बोलीकर्ता को अधिकतम दो हवाईअड्डे दिए जाएं. इसके साथ ही हवाईअड्डे अलग-अलग कंपनियों को दिए जाने से उनमें रखरखाव को लेकर प्रतिस्पर्धा छिड़ेगी.

अपने सुझाव के समर्थन में डीईए ने उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के लिए जीएमआर एकमात्र योग्य कंपनी थी लेकिन फिर भी दोनों हवाईअड्डे एक ही कंपनी को नहीं दिए गए.

हालांकि, पीपीपीएसी ने सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) द्वारा लिए गए एक निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि हवाई अड्डों को कितने समूहों या एक ही समूह को दिया जाना चाहिए, इस पर कोई प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता नहीं है.

वहीं, पीपीपीएसी, ईजीओएस के फैसले का उल्लेख करते हुए नीति आयोग के उस सुझाव को भी खारिज कर देता है जिसमें हवाई अड्डों को ऐसी कंपनियों को सौंपने की बात होती है जिनके पास संचालन और प्रबंधन में अनुभव हो.

पीपीपीएसी का यह फैसला पहले चरण में निजीकरण किए गए दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाईअ़ड्डों के लिए अपनाए नियमों से पीछे हटना था. तब रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरपीएफ) नियमों को पूरा करने के लिए हर निजी कंपनी को ओ एंड एम अनुभव वाले किसी विदेशी कंपनी से साझेदारी करनी पड़ी थी.

वहीं, पूर्व निर्धारित मानदंडों में ओ एंड एम अनुभव को शामिल न करने पर ईजीओएस के न्यायाधिकरण पर भी सवाल उठते हैं.

ईजीओएस का गठन केंद्रीय कैबिनेट ने पीपीपीएसी के तहत न आने वाले मुद्दों पर फैसला करने के लिए किया गया था, जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के सीईओ करते हैं. हालांकि, पीपीपी दिशानिर्देशों के अनुसार, ओ एंड एम मानक पीपीपीएसी के तहत आते हैं.

वहीं, आरपीएफ दस्तावेजों से कुल परियोजना लागत जैसे महत्वपूर्ण विवरण गायब होने पर डीईए तीखी आलोचना करता है. डीईए, नागरिक विमानन मंत्रालय के उन स्पष्टीकरण को भी खारिज कर देता है जिनमें कहा जाता है कि 50 साल के लीज के लिए परियोजना की कुल लागत का अनुमान लगा पाना संभव नहीं है.

इसके साथ ही बोली जीतने के लिए प्रति यात्री कीमत (पीपीएफ) को मानक निर्धारित करने पर भी डीईए चिंता व्यक्त करता है और कहता है कि मौजूदा पीपीएफ को आरक्षित मूल्य पर तय किया जाना चाहिए.

हालाँकि, एयरपोर्ट अथॉरिटी एम्प्लाइज यूनियन के सोभन पीवी. द्वारा दायर एक आरटीआई याचिका के जवाब में 8 अप्रैल को एएआई बताता है, ‘मौजूदा यात्री शुल्क का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया था.’

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