बीएसएनएल-एमटीएनएल के क़रीब दो लाख कर्मचारियों को जुलाई का वेतन अब तक नहीं मिला

इस साल यह दूसरी बार है जब बीएसएनएल और एमटीएनएल द्वारा अपने कर्मचारियों को समय से वेतन देने में चूक हुई. इससे पहले बीते फरवरी महीने कर्मचारियों को वेतन देरी से मिला था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

इस साल यह दूसरी बार है जब बीएसएनएल और एमटीएनएल द्वारा अपने कर्मचारियों को समय से वेतन देने में चूक हुई. इससे पहले बीते फरवरी महीने कर्मचारियों को वेतन देरी से मिला था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः घाटे में चल रही सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के 1.98 लाख कर्मचारियों को जुलाई महीने का वेतन अभी तक नहीं मिला है. एक कर्मचारी यूनियन नेता ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.

बीएसएनएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पीके पुरवार ने कहा कि कर्मचारियों को पांच अगस्त तक वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा.

वहीं, कर्मचारी संघ के नेता ने कहा कि प्रबंधन ने वेतन वितरण को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की है.

ऑल इंडिया यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ भारत संचार निगम लिमिटेड (एयूएबी) के संयोजक पी. अभिमन्यु ने बताया कि जुलाई महीने का वेतन नहीं आया है. इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वेतन कब आएगा.

वेतन को लेकर संपर्क करने पर बीएसएनएल के सीएमडी ने कहा कि कर्मचारियों को पांच अगस्त तक वेतन मिल जाएगा. आंतरिक स्रोतों के जरिये पूंजी की व्यवस्था की जा रही है.

बीएसएनएल के देशभर में 1.76 लाख कर्मचारी हैं जबकि एमटीएनएल के कर्मचारियों की संख्या करीब 22,000 है.

आमतौर पर हर महीने की आखिरी तारीख को कर्मचारियों के खाते में वेतन आ जाता है. इस साल यह दूसरी बार है जब दोनों कंपनियों ने कर्मचारियों का वेतन देने में चूक की है. इससे पहले फरवरी महीने का वेतन देने में भी देरी हुई थी.

बीएसएनएल को हर महीने वेतन के रूप में 750 से 850 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि एमटीएनएल को करीब 160 करोड़ रुपये की जरूरत होती है.

एमटीएनएल के मानव संसाधन एवं एंटरप्राइज कारोबार के निदेशक सुनील कुमार ने कहा कि कंपनी कुछ बकाये की वसूली की प्रक्रिया में जुटी है. इसके बाद प्राथमिकता के आधार पर वेतन का भुगतान किया जाएगा.

गौरतलब है कि जून महीने में बीएसएनएल के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कंपनी को इस संकट से उबारने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया था.

बीएसएनएल ने सरकार को एक एसओएस भेजा था, जिसमें कंपनी ने ऑपरेशंस जारी रखने में लगभग अक्षमता जताई.

कंपनी पर अभी करीब 13,000  करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी (कर्ज) है, जिसके चलते बीएसएनएल का कारोबार बुरी स्थिति में चला गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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