संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव की जानकारी नहीं: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पार्टी नेताओं के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उमर ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि संविधान की धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को रद्द किए जाने की कोई तैयारी नहीं की जा रही है.

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Srinagar: Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik during an Interview with PTI, in Srinagar, on Tuesday, October 16, 2018. ( PTI Photo/S Irfan)(Story No. DEL 66)(PTI10_16_2018_000159B)
सत्यपाल मलिक. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पार्टी नेताओं के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उमर ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि संविधान की धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को रद्द किए जाने की कोई तैयारी नहीं की जा रही है.

Srinagar: Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik during an Interview with PTI, in Srinagar, on Tuesday, October 16, 2018. ( PTI Photo/S Irfan)(Story No. DEL 66)(PTI10_16_2018_000159B)
राज्यपाल सत्यपाल मलिक (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक प्रतिनिधिमंडल को शनिवार को बताया कि राज्य को संवैधानिक प्रावधानों में किसी भी बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है और यह आश्वासन दिया कि अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती विशुद्ध रूप से सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम है.

राजभवन की ओर से यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल को बताया कि सुरक्षा स्थिति इस तरह से पैदा हुई है जिस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी.

राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया, ‘अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के संबंध में सुरक्षा एजेंसियों को विश्वसनीय जानकारी मिली थी. नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी बढ़ा दी गई जिसका सेना ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया गया.’

उन्होंने कहा कि सेना के कोर कमांडर और राज्य पुलिस द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन की गई थी जिसमें उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के नापाक मंसूबे को कैसे नाकाम किया गया और साथ ही उन्होंने बरामद किए गए हथियार एवं गोला-बारूद भी दिखाए.

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने कहा है कि संवैधानिक प्रावधानों में किसी तरह के बदलाव के बारे में राज्य को कोई जानकारी नहीं है और इसलिए सैनिकों की तैनाती के इस सुरक्षा मामलों को अन्य सभी प्रकार के मामलों के साथ जोड़ कर बेवजह भय नहीं पैदा किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करें. इसलिए, एहतियाती उपाय के तौर पर यत्रियों और पर्यटकों को लौटने के लिए कहा गया है.

राज्यपाल ने राज्य के राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा है कि वे अपने समर्थकों से शांत रहने और घाटी में फैलाई गई अफवाहों पर विश्वास न करने के लिए कहें.

बीते शुक्रवार की रात जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमरनाथ यात्रा को बीच में रोकने को अन्य मुद्दों के साथ जोड़कर अनावश्यक भय पैदा किया जा रहा है. उन्होंने राजनीतिक नेताओं से अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने तथा अफवाहों पर भरोसा न करने के लिए कहने का अनुरोध किया.

इसी दिन पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के प्रमुख शाह फैसल और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन तथा इमरान रजा अंसारी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की.

मालूम हो कि बीते शुक्रवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए समय से अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाते हुए सभी सैलानियों से जल्द से जल्द कश्मीर छोड़ देने के लिए कहा है.

इस बीच जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले की 43 दिन तक चलने वाली ‘मचैल माता यात्रा’ पर भी सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए शनिवार को रोक लगा दी गई.

हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कश्मीर घाटी में 10 हज़ार जवान तैनात किए गए हैं. इसके बाद 28 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती किए जाने की भी सूचना है.

इस बीच आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त (बड़गाम) सुदेश नुग्याल ने कश्मीर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर कानून-व्यवस्था से निपटने के लिए कर्मचारियों को कम से कम चार महीने के लिए रसद जमा कर लेने, सात दिन के लिए पानी एकत्र कर लेने और गाड़ियों में ईंधन भरकर रखने को कहा था.

इस संबंध में आरपीएफ अधिकारी ने एक पत्र जारी किया था. इसके बाद इस अधिकारी का तबादला कर दिया गया था.

सेना की तैनाती और अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाने के बाद कश्मीर में तरह तरह की चर्चाएं आम हो गई हैं. ऐसी चर्चा है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटा दिया जाएगा. इसके अलावा राज्य का विभाजन करने और नए सिरे से परिसीमन किए जाने की भी चर्चा है.

राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि धारा 370 और अनुच्छेद 35ए हटाने की कोई तैयारी नहीं: उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उनकी पार्टी को आश्वासन दिया है कि संविधान की धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को रद्द किए जाने की कोई तैयारी नहीं की जा रही है.

हालांकि उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह इन मुद्दों पर केंद्र से सोमवार को संसद में आश्वासन चाहते हैं. अब्दुल्ला और उनकी पार्टी के कुछ सहयोगी इन मुद्दों को लेकर शनिवार को राज्यपाल से मिले.

उन्होंने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘उन्होंने (राज्यपाल) हमें आश्वासन दिया कि अनुच्छेद 370 या अनुच्छेद 35 ए (रद्द किए जाने पर) पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है.’

अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के सांसदों से सोमवार को संसद में एक प्रस्ताव पेश करने को कहा है जिसमें जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ हफ्तों में बनी स्थिति पर केंद्र सरकार का बयान मांगा जाए.

उन्होंने कहा, ‘हम राज्य की स्थिति पर सरकार की तरफ से संसद में बयान चाहते हैं.’

अब्दुल्ला ने राज्य के लोगों से शांत रहने एवं अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखने तथा ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाने की अपील है जो निहित स्वार्थ वाले लोगों के मकसदों को बल दे.

महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री से की अपील- राज्य के विशेष दर्जे के साथ छेड़छाड़ न करें

**FILE PHOTO** Jammu: In this file photo dated March 4, 2017, Jammu and Kashmir Chief Minister Mehbooba Mufti looks on during the Red Cross Mela at Gulshan Ground in Jammu. BJP on Tuesday, June 19, 2018, has pulled out of the alliance government with Mehbooba Mufti-led People's Democratic Party in Jammu & Kashmir. (PTI Photo) (PTI6_19_2018_000085B)
महबूबा मुफ्ती. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के संबंध में कुछ संभावित बड़े फैसले को लेकर घाटी में बढ़ती अटकलों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा, ‘अब मामला आर-पार का हो चुका है और भारत ने जनता के बजाय जमीन को तरजीह दी है.’

महबूबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह राज्य के विशेष दर्जें के साथ छेड़छाड़ न करें. उन्होंने कहा कि ऐसे कदम के नतीजे अच्छे नहीं होंगे.

महबूबा ने अन्य पार्टियों के नेताओं के साथ शुक्रवार रात को राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की और उनसे उन अफवाहों को खारिज करने का अनुरोध किया जिससे घाटी में भय का माहौल पैदा हो गया है.’

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अपनी विशिष्ट पहचान की रक्षा के लिए जो कुछ भी बाकी बचा है, उसे भारत, जम्मू कश्मीर की जनता से बलपूर्वक छीनने की तैयारी में है.

पीडीपी अध्यक्ष मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘आप एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य के प्यार को जीतने में नाकाम रहे, जिसने धार्मिक आधार पर विभेद को खारिज किया और धर्मनिरपेक्ष भारत को चुना. अब मामला आर-पार का हो चुका है और भारत ने जनता के बदले जमीन को तरजीह दी है.’

उन्होंने एक और ट्वीट कर कहा, ‘मुफ्ती साहब (मोहम्मद सईद – पीडीपी के संस्थापक और दो बार मुख्यमंत्री रहे) हमेशा कहा करते थे कि कश्मीरियों को जो कुछ भी मिलेगा वह उनके अपने देश भारत से मिलेगा. लेकिन आज ऐसा लगता है कि अपनी विशिष्ट पहचान की रक्षा के लिए उनके पास जो कुछ भी बचा था, यही देश उनसे वह बलपूर्वक छीनने की तैयारी कर रहा है.’

शाम को अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ‘इंसानियत, जम्हूरियत, कश्मीरियत’ के बारे में बात करके कश्मीर के लोगों का दिलों-दिमाग जीतना चाहते हैं तो ऐसा माहौल क्यों बनाया जा रहा है जहां लोगों को लग रहा है कि उनकी पहचान खतरे में है.

महबूबा ने कहा, ‘मुझे भरोसा है कि देश के लोग जम्मू कश्मीर के लोगों को चाहते हैं ना कि केवल भूमि. लेकिन स्थिति ऐसी है कि ऐसा लग रहा है कि आप जम्मू कश्मीर को क्षेत्र का मुद्दा समझते हैं. पूरा क्षेत्र पहले से ही आपके साथ है.’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ही एकमात्र मुस्लिम बहुत राज्य है जिसने मुश्किल समय में इस शर्त पर दो राष्ट्र की थ्योरी नकार दी और एक धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतांत्रिक भारत में शामिल हो गया कि उसकी विशिष्ट पहचान की रक्षा की जाएगी.

महबूबा ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए घाटी में अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात करेगी और एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगी.

कई जगहों पर यातायात जाम के बीच पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘श्रीनगर की सड़कों पर एकदम अराजकता है. लोग एटीएम, पेट्रोल पंपों की ओर दौड़ रहे हैं, घरों में जरूरी सामान भर रहे हैं. क्या भारत सरकार केवल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए चिंतित है और कश्मीरियों को उनके हालात पर अकेला छोड़ दिया गया है?’

संवाददाता सम्मेलन के बाद उन्होंने नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीपुल्स कांफ्रेंस नेता सज्जाद लोन और इमरान अंसारी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के नेता शाह फैसल से मुलाकात की.

जम्मू-कश्मीर में डर का माहौल पैदा हुआ, संवैधानिक गारंटी बरकरार रखी जाए: कांग्रेस

जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों के लिए जारी परामर्श एवं अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की पृष्ठभूमि में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को कांग्रेस के जम्मू कश्मीर से संबंधित नीति नियोजन समूह की बैठक हुई जिसमें राज्य के हालात पर चिंता जताते हुए कहा गया कि इस प्रदेश को मिली संवैधानिक गारंटी बरकरार रखी जानी चाहिए.

बैठक के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बयान में कहा कि हालिया घटनाक्रमों से राज्य के लोगों में असुरक्षा और डर का माहौल पैदा हो रहा है.

आजाद ने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार की ओर से निरंतर आ रही रिपोर्ट को लेकर गहरी चिंता है. इनसे सरकार के इरादे को लेकर अफरातफरी और चिंता पैदा हो रही है.’

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था करने, अमरनाथ यात्रा में कटौती करने, पर्यटकों, तीर्थ यात्रियों और दूसरे लोगों के लिए परामर्श जारी करने से गहरी असुरक्षा और डर का माहौल पैदा हो रहा है.’

सुरक्षा परामर्श जारी करने से पहले संसद को विश्वास में क्यों नहीं लिया गया: वाम दल

वाम दलों ने अमरनाथ यात्रियों और कश्मीर घाटी में पर्यटकों के लिए जारी किए गए सुरक्षा परामर्श को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस तरह का संदेश जारी करने से पहले संसद को विश्वास में लेना चाहिए था.

एक ट्वीट में माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि इससे जम्मू कश्मीर में अफवाहों को फैलने का मौका दिया जा रहा है.

येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, ‘संसद सत्र चल रहा है. प्रधानमंत्री क्यों सदन को विश्वास में नहीं ले रहे हैं? जम्मू कश्मीर में अफवाह और घबराहट को फैलने की अनुमति दी जा रही है, जिसमें किसी का भी फायदा नहीं है.’

भाकपा महासचिव डी. राजा ने कहा कि आतंकवाद एक ऐसा मामला है जिसको लेकर पूरा देश चिंतित है. सभी पार्टियों ने इस पर एक स्वर में बोला है और सरकार जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर संसद को जानकारी देने के लिए कर्तव्य से बंधी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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