छत्तीसगढ़: भारी विरोध के बीच परसा कोयला खदान को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी

इस खदान का संचालन राजस्थान कोलिरीज लिमिटेड करेगी, जो कि अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक इकाई है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

इस खदान का संचालन राजस्थान कोलिरीज लिमिटेड करेगी, जो कि अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक इकाई है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने स्थानीय लोगों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए छत्तीसगढ़ के सरगुजा और सूरजपुर जिलों में परसा कोल ब्लॉक में खनन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है.

मंत्रालय ने 12 जुलाई 2019 को इस प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी दी और इससे संबंधित पत्र कुछ दिन पहले ही मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. इस फैसले से भारत में वन संरक्षण, जल स्रोत और वन्य प्राणियों के लिए दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

छत्तीसगढ़ के परसा में घने हसदेव अरंद जंगल में ओपन कास्ट कोल माइनिंग को ंमंजूरी मिली है. इस खदान की क्षमता पांच लाख टन प्रतिवर्ष है और इसे राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (आरवीयूएनएल) को आवंटित किया गया है.

Parsa Mines
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई पर्यावरणीय मंजूरी.

खास बात ये है कि इस खदान का संचालन राजस्थान कोलिरीज लि. (आरसीएल) करेगी, जो कि अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक इकाई है.

ओपन कास्ट माइनिंग में क्षेत्र से मिट्टी और वनस्पतियों को हटाने के बाद कोयले के लिए खुदाई होती है. पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस प्रोजेक्ट को 21 फरवरी 2019 को अंतरिम मंजूरी मिलने से पहले इसे विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) के समक्ष तीन बार विचार करने के लिए लाया गया.

इससे पहले 15 फरवरी 2018 की बैठक में ईएसी ने इस परियोजना के लिए ग्राम सभा की सहमति और जनजातीय आबादी पर इसके प्रभाव को लेकर राज्य के जनजाति कल्याण विभाग से टिप्पणी मांगी थी. इसके साथ ही जंगल में चलने वाले हाथी गलियारे पर खनन के प्रभाव को लेकर राज्य के वन्यजीव बोर्ड से भी राय मांगी थी.

छत्तसीगढ़ बचाओ आंदोलन ने इस परियोजना से संबद्ध पर्यावरणीय और कानूनी चिंताओं को लेकर 20 फरवरी को ईएसी को पत्र लिखा था. इस पत्र में कहा गया कि उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के दो गांवों ने जिला कलेक्टर के समक्ष शिकायत दर्ज कराई कि ग्रामसभा की सहमति कथित तौर पर फर्जी थी.

कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों द्वारा एक अन्य मुद्दा यह भी उठाया गया कि हसदेव अरंद से सटे परसा पूर्व और केटे बसाओ कैप्टिव कोयला ब्लॉक को दी गई वन मंजूरी इस शर्त पर दी गई थी कि छत्तीसगढ़ सरकार मुख्य हसदेव अरंद क्षेत्र को खोलने की मंजूरी नहीं देगी. हाालंकि, जिस परसा ओपन कास्ट माइन को मंजूरी दी गई, वह मुख्य हसदेव अरंद वनक्षेत्र में है.

प्रस्तावित खदान में 1252.44 हेक्टेयर जमीन आ रही है और इसमें से 841 हेक्टेयर जंगल की जमीन है. 45 हक्टेयर जमीन सरकारी है.

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