पहलू खान लिंचिंग: अदालत ने कहा, पुलिस ने वीडियो और तस्वीरों को पेश नहीं किया

राजस्थान की अदालत ने अपने फैसले में मामले की एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी पर पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह जांच अधिकारी की ओर से बरती गई गंभीर लापरवाही दिखाता है. इससे पहले बुधवार को अदालत ने मामले में छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.

राजस्थान की अदालत ने अपने फैसले में मामले की एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी पर पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह जांच अधिकारी की ओर से बरती गई गंभीर लापरवाही दिखाता है. इससे पहले बुधवार को अदालत ने मामले में छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.

Irshad Khan, 24, holds a picture of his father Pehlu, who was beaten to death by a mob of Hindu vigilantes in April when transporting cattle back to his home in the village of Jaisinghpur. REUTERS/Cathal McNaughton
पहलू खान (फोटो: रॉयटर्स)

जयपुर: पहलू खान की हत्या के छह आरोपियों को बुधवार को बरी करने वाले राजस्थान की अदालत ने अपने फैसले में इस बात पर आश्चर्य जताया कि जिन वीडियो और तस्वीरों के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई थी, उन्हें अदालत में पेश नहीं किया गया.

बरी किए गए आरोपियों में विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी शामिल थे.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अतिरिक्त जिला जज सरिता स्वामी ने अपने फैसले में कहा कि खान, उनके बेटों और उनके साथियों द्वारा पुलिस को दिए गए शुरुआती बयान में छह आरोपियों के नाम नहीं थे. आरोपियों पर केवल तस्वीरों और मोबाइल फोन पर बनाए गए वीडियो के आधार पर आरोप लगाए गए थे.

अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘इस तरह से इस मामले में अभियोजन के अनुसार, मोबाइल द्वारा घटना के बनाए गए दो वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई. लेकिन हैरानी की बात है कि रमेश सिनसिनवार द्वारा हासिल किए वीडियो और उससे तैयार तस्वीरों को रिकॉर्ड में नहीं लिया गया था और न ही वह मोबाइल जब्त किया गया था, जिसमें वीडियो था.’

बता दें कि, सिनसिनवार अलवर जिले के बहरोड़ पुलिस स्टेशन में तत्कालीन एसएचओ और इस मामले के पहले जांच अधिकारी थे.

अदालत में दिए गए अपने बयान में सिनसिनवार ने कहा कि उन्हें एक मुखबिर से एक वीडियो मिला था, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने वीडियो को फॉरेंसिक लैब में नहीं भेजा था. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आरोपी के कॉल डिटेल के लिए उन्हें नोडल अधिकारी से प्रमाणपत्र नहीं मिला था और न ही उन्हें किसी से सत्यापित किया गया था.

उसने अदालत को बताया कि उन्होंने अभियुक्तों से बिल और सिम आईडी जैसे कोई दस्तावेज नहीं लिए हैं, जिससे पता चल सके कि वे मोबाइल आरोपियों के थे. इसके साथ उनके फोन भी जब्त नहीं किए गए थे.

खान के परिवार के वकील कासिम खान ने कहा, ‘वीडियो साक्ष्य अदालत में स्वीकार्य नहीं थे क्योंकि उन्हें अदालत पेश करने के लिए जिन प्रक्रियाओं के पालन की आवश्यकता थी पुलिस द्वारा जांच के दौरान उनका पालन नहीं किया गया. इसके परिणामस्वरूप सभी छह अभियुक्त मुक्त होकर बाहर आ गए.’

बुधवार को दिए गए अपने फैसले में अदालत ने सभी छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. हालांकि, इस दौरान अदालत ने राजस्थान पुलिस की ओर से जांच में बरती गई गंभीर खामियों को जिम्मेदार ठहराया.

अदालत इस निष्कर्ष पर भी पहुंची कि अभियोजन पक्ष द्वारा उद्धृत एक अन्य वीडियो भी संदिग्ध हो गया, जब तीन महत्वपूर्ण गवाह अपने बयान से मुकर गए.

अपने फैसले में इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में की गई देरी पर भी पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि इससे जांच अधिकारी की ओर से गंभीर लापरवाही का पता चलता है.

उल्लेखनीय है कि हरियाणा निवासी पहलू खान की भीड़ हत्या के इस मामले में कुल नौ आरोपियों में तीन नाबालिग हैं, जिनका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है.

यह घटना दो साल पहले की है, जब खान एक अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर जा रहे थे और बहरोड़ में भीड़ ने गो तस्करी के शक में उन्हें रोक लिया. खान और उसके दो बेटों की भीड़ ने कथित तौर पर पिटाई की.

इसके बाद तीन अप्रैल को इलाज के दौरान अस्पताल में खान की मौत हो गयी. इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और एक समाचार चैनल द्वारा की गयी एक रिपोर्ट में भी एक आरोपी को को पहलू खान को मारने की बात स्वीकार करते हुए दिखाया गया था.

बता दें कि इस मामले में बहरोड़ पुलिस थाने में सात एफआईआर दर्ज की गयी थी, जिनमें एक प्राथमिकी खान की कथित हत्या और छह गोवंश के अवैध परिवहन से संबद्ध थी.

पहलू खान की हत्या के मामले में जिन छह को आरोपी बनाया गया था, उन्हें अदालत ने बुधवार को बरी कर दिया, जबकि बाकी छह मामलों में जांच चल रही है.

भीड़ हत्या मामले में अतरिक्त सत्र न्यायालय बहरोड़ में 25 फरवरी 2018 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था. इस मामले को बाद में बाद में अलवर की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था.

वसुंधरा राजे नीत राजस्थान की तत्कालीन भाजपा सरकार को इस घटना को लेकर आलेचनाओं का सामना करना पड़ा था. हालांकि, हाल ही में राजस्थान विधानसभा ने भीड़ हत्या से निपटने के लिए एक विधेयक पारित किया है.

वहीं, अदालत का फैसला आने के बाद राज्य सरकार ने कहा कि वह इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी.

कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वह पहलू खान के परिजनों के साथ हैं और उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq