महिलाओं-बच्चों के प्रति होने वाले अपराध की जानकारी देने से क्यों कतरा रही है राजस्थान सरकार

राजस्थान विधानसभा में भाजपा के तीन और कांग्रेस के एक विधायक ने महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों से जुड़े सवाल पूछे थे. गृह विभाग ने इन सवालों के जवाब देने में असमर्थता जता दी है.

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Jodhpur: Senior Congress leader and former chief minister Ashok Gehlot leaves after filing his nomination from Sardarpura constituency ahead of the state Assembly elections, in Jodhpur district, Monday, Nov. 19, 2018. (PTI Photo)(PTI11_19_2018_000161B)
Jodhpur: Senior Congress leader and former chief minister Ashok Gehlot leaves after filing his nomination from Sardarpura constituency ahead of the state Assembly elections, in Jodhpur district, Monday, Nov. 19, 2018. (PTI Photo)(PTI11_19_2018_000161B)

राजस्थान विधानसभा में भाजपा के तीन और कांग्रेस के एक विधायक ने महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों से जुड़े सवाल पूछे थे. गृह विभाग ने इन सवालों के जवाब देने में असमर्थता जता दी है.

Jodhpur: Senior Congress leader and former chief minister Ashok Gehlot leaves after filing his nomination from Sardarpura constituency ahead of the state Assembly elections, in Jodhpur district, Monday, Nov. 19, 2018. (PTI Photo)(PTI11_19_2018_000161B)
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. (फोटो: पीटीआई)

जयपुर: राजस्थान में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की सूची इतनी लंबी हो चुकी है, जिसे जारी करने में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार और अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं.

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध से संबंधित विधायकों द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाब देने में यह पशोपेश सामने आई है. इनके जवाब के आड़े सवालों से जुड़ी नियमावली आ गईं.

दरअसल ऐसे अपराधों की फेहरिस्त इतनी लंबी और भयावह हो चुकी है कि सिर्फ चार सवालों के जवाब में सरकार के तकरीबन 7.13 लाख पन्ने खर्च हो रहे हैं.

इसलिए गृह विभाग ने विधानसभा अध्यक्ष के ध्यान में मामला लाते हुए पत्र लिखकर कहा, ‘विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 37(2) के अनुसार सवाल अत्यधिक लंबा नहीं होना चाहिए.’

पत्र में आगे लिखा कि इन सवालों के जवाब में अत्यधिक मानव श्रम और धन का अपव्यय होगा इसीलिए इन सवालों को रद्द कर दिया जाए.

ऐसे में समझा जा सकता है कि हमारी सरकारें महिलाओं, बच्चों और नाबालिग लड़कियों को सुरक्षा देने में कितनी नाकाम रही हैं.

हर बार विधानसभा सत्र में विधायकों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों में अधिकांश महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों पर केंद्रित होते हैं और आमतौर पर इनके जवाब काफी लंबे भी होते हैं लेकिन इस बार चार सवालों के जवाब देने में गृह विभाग ने असमर्थता जता दी.

दरअसल, राजस्थान विधानसभा के दूसरे सत्र में चार विधायकों ने महिला और बच्चियों से बलात्कार, अपहरण, पॉक्सो एक्ट में दर्ज मामले और उनकी कार्रवाईयों से संबंध में सवाल पूछे थे.

चार विधायकों में से तीन भाजपा और एक कांग्रेस से हैं. सवालों में दो भाजपा विधायकों ने कांग्रेस सरकार के बीते छह महीने में अपराधों का ब्योरा मांगा है तो कांग्रेस विधायक सहित अन्य एक भाजपा विधायक ने पिछली सरकार सहित अब तक घटे ऐसे अपराधों की जानकारी सरकार से मांगी है.

ये सवाल रेवदर (सिरोही) से भाजपा विधायक जगसीराम, पीलीबंगा (हनुमानगढ़) से विधायक धर्मेंद्र कुमार, रामगंज मंडी (कोटा) से मदन दिलावार और बामनवास (सवाई माधोपुर) से कांग्रेस विधायक इंद्रा देवी ने पूछे हैं.

इनमें सबसे ज्यादा पेज विधायक धर्मेंद्र कुमार के सवाल में लग रहे थे. गृह विभाग की शासन उप-सचिव सीमा कुमार के पत्र के अनुसार, धर्मेंद्र के सवाल के जवाब में कुल 5 लाख 35 हजार 500 पेज लग रहे थे. इसके बाद एक लाख पेज मदन दिलावर के सवाल के जवाब में, 60 हजार पेज इंद्रा देवी और 18 हजार पेज विधायक जगसीराम के सवाल के जवाब में खर्च हो रहे थे.

इस तरह चारों विधायकों के चार सवालों के जवाब देने में गृह विभाग के 7 लाख 13 हजार 500 पन्ने खर्च हो रहे हैं.

विभाग ने इन सवालों को अस्वीकार करने की मांग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के ध्यान में यह मामला लाया है.

विधायक जगसीराम ने अपने सवाल में जनवरी 2019 से 10 जून 2019 तक बलात्कार, बलात्कार के बाद हत्या और उसके बाद पुलिस कार्यवाही का विवरण चाहा था. साथ ही एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा पकड़े गए अधिकारियों और इनसे निपटने के लिए सरकार के रोडमैप की जानकारी मांगी थी.

वहीं, विधायक मदन दिलावर ने 1 दिसंबर 2018 से जून 2019 तक दुल्हनों के अपहरण, नाबालिग बच्चियों व महिलाओं से बलात्कार और इन मामलों में की गई कार्रवाई की जानकारी सदन से मांगी थी.

विधायक इंद्रा देवी और धर्मेंद्र कुमार ने साल 2014 से अब तक नाबालिग लड़कियों से बलात्कार, पॉक्सो एक्ट में दर्ज मामलों के सवाल विधानसभा में लगाए थे.

बता दें कि दिसंबर में गठित कांग्रेस सरकार में अब तक विधानसभा के दो सत्र बुलाए गए हैं, जिनमें कुल 30 बैठकें हुईं और 3,846 अतारांकित सवाल विधायकों की ओर से पूछे गए, लेकिन दूसरे सत्र में चार विधायकों के सवालों के जवाब देने में सरकार और अधिकारियों के लिए विधानसभा के सारे नियम आड़े आ गए.

दो साल में तकरीबन 53 प्रतिशत बढ़ गए महिलाओं के खिलाफ अपराध

राजस्थान में विपक्ष कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार पर अपराध बढ़ने के आरोप लगातार लगा रहा है. इन आरोपों की तस्दीक सरकार के आंकड़े भी कर रहे हैं और दिखा रहे हैं कि हमारा समाज महिलाओं और बच्चों के लिए कितना असुरक्षित हो चुका है.

राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, बीते सात महीनों में प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इस साल जुलाई तक महिला अपराधों के कुल 25,420 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें दहेज हत्या, बलात्कार, अपहरण, उत्पीड़न के मामले शामिल हैं.

2017 में जुलाई तक यह संख्या 16,626 और 2018 में जुलाई तक 15,242 ही थी. इस तरह अगर देखा जाए तो जुलाई 2017 से जुलाई 2019 तक महिला अपराधों में 52.89 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

वहीं, पिछले साल के मुकाबले यह वृद्धि 66.78 प्रतिशत है. दर्ज मामलों में 8412 मामलों में अभी जांच लंबित है. विधानसभा में सरकार ने बढ़ते अपराधों को स्वीकार भी किया है.

इसी तरह बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध भी बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों में लगातार बढ़े हैं.

2014 में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या 2,020, 2015 में 1,773, 2016 में 1,919, 2017 में 2,017, 2018 में 2,319 और इस साल जून तक 1,780 मामले दर्ज हो चुके हैं.

इस तरह बीते पांच साल में पॉक्सो के तहत 11,828 मामले दर्ज हुए हैं. जो बताते हैं कि बच्चों के साथ होने वाले अपराध लगातार बढ़े हैं.

क्या कहते हैं सवाल पूछने वाले विधायक

रेवदर विधायक जगसीराम कहते हैं, ‘अगर मेरे सवाल का जवाब बड़ा है तो सरकार जवाब की सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध करा दे. जिससे कागज और मानव श्रम की बचत होगी.’

वे कहते हैं, ‘जवाब नहीं देने के ये सरकार के बहाने हैं क्योंकि हकीकत में बीते सात महीनों में प्रदेश में अपराध तेजी से बढ़े हैं. अगर जवाब मिलता तो सरकार की किरकिरी होती इसीलिए ज्यादा पेजों का बहाना लगाया गया है. मैं अगले विधानसभा सत्र में फिर से ऐसा ही सवाल पूछूंगा.’

वहीं, पीलीबंगा से भाजपा विधायक धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, ‘मैं दूसरी बार विधायक बना हूं. मैंने इसीलिए ये सवाल पूछा ताकि पता चले कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति सरकार कितनी जिम्मेदार है.’

उन्होंने कहा, ‘इतने से सवाल का ही सरकार ने जवाब नहीं दिया है. रही बात लाखों पेज की तो मुद्दा यह नहीं है. अगर किसी विषय की तह तक जाएंगे तो पृष्ठ संख्या का क्या महत्व रह जाता है? यह जनता के हितों से जुड़ा मुद्दा है और सरकार इसका जवाब ही नहीं देना चाहती.’

कांग्रेस विधायक इंद्रा देवी ने कहा, ‘सिर्फ ज्यादा पेज संख्या होना जवाब नहीं देने का आधार नहीं होना चाहिए. मैंने 2014 से अब तक के आंकड़े मांगे थे जो कि विधायक के तौर पर पूछना मेरा अधिकार है. रही बात अपराध बढ़ने की तो हमारी सरकार ने केस दर्ज करने में कई तरह की सहूलियतें दी हैं इसीलिए आंकड़े बढ़े हुए दिख रहे हैं.’

हालांकि हर एक पार्टी के अपने बचाव में अपने तर्क हैं लेकिन महिलाओं, नाबालिग लड़कियों और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराधों को रोकने में सरकार के साथ-साथ हमारा समाज भी नाकाम ही रहा है.

आंकड़े आईना दिखा रहे हैं कि समाज के चरित्र में हिंसा ने जगह बना ली है जिससे सरकारों को भी अब कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

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