बाबरी विध्वंस मामले में कल्याण सिंह को पेश करने के लिए सीबीआई ने दी अर्जी

सीबीआई ने कहा कि चूंकि अब वे राज्यपाल नहीं हैं इसलिए बाबरी विध्वंस मामले में उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे कल्याण सिंह ने फिर भाजपा की सदस्यता ली है.

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कल्याण सिंह. (फोटो: पीटीआई)

सीबीआई ने कहा कि चूंकि अब वे राज्यपाल नहीं हैं इसलिए बाबरी विध्वंस मामले में उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे कल्याण सिंह ने फिर भाजपा की सदस्यता ली है.

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह. (फोटो: पीटीआई)
कल्याण सिंह. (फाइल फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को बाबरी ढांचा ढहाए जाने के मामले में मुकदमे का सामना करने के मकसद से तलब करने के अनुरोध वाली अर्जी सोमवार को दी.

अदालत अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाने की साजिश के लिए पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती एवं अन्य आरोपियों के मुकदमे की सुनवाई कर रही है.

अदालत ने सीबीआई से जानकारी ली कि कल्याण सिंह क्या अब राज्यपाल के संवैधानिक पद पर हैं. अदालत ने कहा कि मामले की कार्यवाही चूंकि दिन प्रतिदिन आधार पर चल रही है इसलिए सीबीआई की अर्जी पर 11 सिंतबर 2019 को सुनवाई हो सकती है.

अर्जी पेश करते हुए सीबीआई ने कहा कि कल्याण सिंह के खिलाफ 1993 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

अभी तक कल्याण सिंह आरोपी के रूप में मुकदमे की कार्यवाही में नहीं लाए जा सके क्योंकि उन्हें राज्यपाल होने के नाते संविधान के तहत विशेष अधिकार प्राप्त है.

सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि सीबीआई को इस बात की अनुमति दी थी कि जब कल्याण सिंह राज्यपाल नहीं रहेंगे तो उन्हें आरोपी के रूप में पेश किया जा सकता है.

सिंह हाल में राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे हैं. राज्यपाल पद से हटने के बाद कल्याण सिंह ने दोबारा भाजपा की सदस्यता ली है. बीते सोमवार को वो पार्टी में शामिल हुए.

सीबीआई ने अपनी अर्जी में कहा कि सिंह तीन सितंबर 2014 को राज्यपाल पद पर नियुक्त हुए थे और उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है.

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना से संबंधित दो मुकदमे हैं. पहले मुकदमे में अज्ञात ‘कारसेवकों’ के नाम हैं जबकि दूसरे मुकदमे में भाजपा नेताओं पर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा था.

19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी किए गए फैसले खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अपील को अनुमति देकर आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 12 लोगों के खिलाफ साजिश के आरोपों को बहाल किया था.

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए रायबरेली और लखनऊ की अदालत में लंबित मुकदमों को मिलाने और लखनऊ में ही इस पर सुनवाई का आदेश दिया था.

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि मामले की कार्रवाई प्रतिदिन के आधार पर दो सालों में पूरी की जाए.

पीठ ने कहा था कि राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते मामले के एक आरोपी कल्याण सिंह को संवैधानिक प्रतिरक्षा या बचाव प्राप्त होगा, लेकिन जैसे ही वह पद त्यागते हैं उनके खिलाफ अतिरिक्त आरोप दायर किए जाएंगे. सिंह सितंबर में राज्यपाल के पद से हटेंगे.

पिछले साल 30 मई को विशेष सीबीआई अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 12 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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