दिल्ली-एनसीआर में मोटर वाहन संशोधन अधिनियम के विरोध में हड़ताल, लोग रहे परेशान

हड़ताल मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के खिलाफ बुलाई गई थी. संगठनों ने सड़क यातायात जुर्माना में हुई बढ़ोतरी समेत अधिनियम के कुछ अन्य प्रावधानों को वापस लेने की मांग की है.

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New Delhi: A driver sleeps in his autorickshaw outside New Delhi Railway Station as most of the taxies and auto-rickshaws were off the roads due to transport strike, in New Delhi, Thursday, Sept. 19, 2019.(PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI9_19_2019_000107B)

हड़ताल मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के खिलाफ बुलाई गई थी. संगठनों ने सड़क यातायात जुर्माना में हुई बढ़ोतरी समेत अधिनियम के कुछ अन्य प्रावधानों को वापस लेने की मांग की है.

 New Delhi: A driver sleeps in his autorickshaw outside New Delhi Railway Station as most of the taxies and auto-rickshaws were off the roads due to transport strike, in New Delhi, Thursday, Sept. 19, 2019.(PTI Photo/Ravi Choudhary)  (PTI9_19_2019_000107B)
मोटर वाहन संशोधन विधेयक के विरोध में गुरुवार को निजी बस और ऑटोरिक्शा वाले हड़ताल पर रहे. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली और एनसीआर में गुरुवार को निजी बस, टैक्सी और ऑटोरिक्शा वालों की एकदिनी हड़ताल की वजह से लोगों को कहीं आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

मोटर वाहन संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के विरोध में यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशंस (यूएफटीए) के आह्वान पर आयोजित हड़ताल के कारण बृहस्पतिवार को निजी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा सड़कों से दूर रहे, जिससे लोगों को अपने ऑफिस आने-जाने में खासी परेशानी हुई.

यूएफटीए दिल्ली-एनसीआर के 41 संगठनों के अलावा सामान और यात्री क्षेत्र के संघ, जिसमें ट्रक, बस, ऑटो, टेम्पो, मैक्सी-कैब्स और टैक्सियां शामिल हैं, का प्रतिनिधित्व करता है.

हड़ताल की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई स्कूल बंद हैं. हालांकि, कुछ स्कूलों ने बच्चों के माता-पिता से उन्हें स्कूल पहुंचाने और वापस ले जाने का प्रबंध करने को कहा था.

हड़ताल सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक प्रस्तावित है. हालांकि इस हड़ताल का दिल्ली मेट्रो और डीटीसी और क्लस्टर बसों पर असर नहीं रहा.

यूएफटीए के महासचिव श्यामलाल गोला ने कहा कि इस हड़ताल में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 50 से ज्यादा परिवहन संगठन और यूनियन हिस्सा ले रहे हैं.

बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोगों को अपने ऑफिस आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि हड़ताल की वजह से निजी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा सड़कों से नदारद रहे.

यह हड़ताल मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के खिलाफ बुलाई गई है. यूएफटीए ने सड़क यातायात जुर्माना में हुई बढ़ोतरी समेत मोटर वाहन अधिनियम के कुछ अन्य प्रावधानों को वापस लेने की मांग की है.

दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 50 छोटे और बड़े ऑटो यूनियन हैं और इनमें से ज्यादा संख्या में यूनियनों ने हड़ताल में हिस्सा लिया. दिल्ली में 90,000 से ज्यादा ऑटो हैं.

इसी बीच ऐसी खबरें हैं कि बंद में हिस्सा नहीं लेने वाले कुछ ऑटो चालकों पर हमले भी हुए. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने बताया कि शहर के कई हिस्सों में प्रदर्शन हिंसक हो गया, क्योंकि प्रदर्शनकारी ऑटोरिक्शा और कैब रोककर यात्रियों को उससे जबरन उतार रहे थे.

सुबह साढ़े दस बजे अक्षरधाम मेट्रो के पास एक कैब में कथित तौर पर तोड़फोड़ की सूचना आई क्योंकि ड्राइवर ने एक यात्री को बैठा लिया था.

हालांकि सोनी ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रही है और बड़ी संख्या में ऑटो चालकों ने अपनी इच्छा से हड़ताल में हिस्सा लिया.

ग्रामीण सेवा संगठन, ई-रिक्शा सहित हल्के मोटर वाहनों के संगठन ने इस हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया.

यात्रियों को ऑटो या कैब नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ा. खासतौर पर रेलवे स्टेशनों और अंतरराज्यीय बस टर्मिनलों (आईएसबीटी) पर यात्रियों को ऑटो नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं, यात्रियों का यह भी कहना था कि इस दौरान आने-जाने के साधनों के लिए ज्यादा किराया वसूला गया.

एक सरकारी कर्मचारी किशोर लाल ने कहा कि उन्हें मेट्रो से अपने ऑफिस जाना पड़ा क्योंकि उनकी आवासीय कॉलोनी से चलने वाली बस आज नहीं आई. सीजीओ कॉम्प्लेक्स में काम करने वाले लाल ने कहा, ‘हमने ऑफिस जाने के लिए 15 मिनट तक बस का इंतजार किया लेकिन वह नहीं आई. इसलिए हम मेट्रो ऑफिस गए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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