वित्त आयोग ने जीएसटी परिषद को एक या दो दरें रखने का सुझाव दिया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 37वीं बैठक में 15वं वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने परिषद को जीएसटी के तहत चार से अधिक दरें रखे जाने के बजाय एक या ज्यादा से ज्यादा दो दरें रखने पर विचार करने का सुझाव दिया.

New Delhi: Finance Minister Nirmala Sitharaman addresses a press conference after presenting the Union Budget 2019-20, in New Delhi, Friday, July 5, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI7_5_2019_000138B)
New Delhi: Finance Minister Nirmala Sitharaman addresses a press conference after presenting the Union Budget 2019-20, in New Delhi, Friday, July 5, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI7_5_2019_000138B)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 37वीं बैठक में 15वं वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने परिषद को जीएसटी के तहत चार से अधिक दरें रखे जाने के बजाय एक या ज्यादा से ज्यादा दो दरें रखने पर विचार करने का सुझाव दिया.

New Delhi: Finance Minister Nirmala Sitharaman addresses a press conference after presenting the Union Budget 2019-20, in New Delhi, Friday, July 5, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI7_5_2019_000138B)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

पणजी: 15वें वित्त आयोग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद को जीएसटी के तहत एक या ज्यादा से ज्यादा दो दरें रखने पर विचार करने का सुझाव दिया है. आयोग ने बढ़ती राजस्व जरूरतों को पूरा करने के लिए कर दर बढ़ाने पर भी जोर दिया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 37वीं बैठक में 15वं वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने परिषद को जीएसटी के तहत चार से अधिक दरें रखे जाने के बजाय एक या ज्यादा से ज्यादा दो दरें रखने पर विचार करने का सुझाव दिया.

आयोग ने कहा कि परिषद को 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दर को मिलाकर एक दर पर सहमति बनानी चाहिए. यह कदम वैश्विक मानकों के अनुरूप होगा. इसके साथ ही जीएसटी के तहत दी जा रही विभिन्न छूट एवं रियायतों को भी समाप्त किया जाना चाहिए.

वित्त आयोग ने पेट्रोलियम उत्पादों, अल्कोहल और इलेक्ट्रिसिटी को भी जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है और इसके लिए राज्यों के बीच सहमति बनाने पर जोर दिया है.

बैठक के दौरान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने जीएसटी करदाताओं के पंजीकरण के साथ आधार को जोड़ने का शुक्रवार को सैद्धांतिक रूप से निर्णय लिया. परिषद ने इसके साथ ही रिफंड का दावा करते हुए आधार संख्या के उल्लेख को अनिवार्य बनाने की संभावना पर भी विचार किया.

परिषद ने जून में जारी उस परिपत्र को भी वापस लेने का फैसला किया है जिसमें कहा गया था कि एक कंपनी द्वारा किसी डीलर को दी गयी अतिरिक्त छूट पर भी जीएसटी लगेगा.

बैठक के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, परिषद ने फर्जी रसीदों तथा धोखाधड़ी पूर्ण तरीके से रिफंड लेने के मामलों से निपटने के लिए जोखिम वाले करदाताओं द्वारा क्रेडिट का लाभ उठाने पर कुछ हद तक प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय किया है.

परिषद ने रोजगार सृजन करने वाले एमएसएमई क्षेत्र को राहत देने का भी फैसला किया है. इसके तहत रोजगार सृजित करने वाली एमएसएमई इकाइयों को वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए वार्षिक जीएसटी कंपोजिशन रिटर्न (फॉर्म जीएसटीआर-9ए) भरने से राहत दी गई है.

परिषद ने दो करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले एमएसएमई के लिए पिछले दो वित्त वर्ष का जीएसटीआर-9 भरने को भी वैकल्पिक बनाने का निर्णय लिया है.

जीएसटी परिषद ने एक अन्य महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कहा कि जीएसटी रिटर्न की नई व्यवस्था को अब अप्रैल 2020 से लागू किया जाएगा. पहले इसे अक्टूबर 2019 से अमल में लाने का प्रस्ताव था.

परिषद ने यह भी फैसला किया है कि वार्षिक रिटर्न भरने के लिए फार्म को सरल बनाने का परीक्षण करने के लिए अधिकारियों की एक समिति बनाई जाएगी.

करदाताओं द्वारा की गई आपूर्ति की जानकारी समय पर उपलब्ध कराने पर जोर देने के लिए परिषद ने वस्तु प्राप्त करने वाले कारोबारी के लिये इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने पर प्रतिबंध लगाने का भी फैसला भी किया है.

यह कदम ऐसे मामलों में उठाया जायेगा जहां आपूर्तिकर्ता द्वारा भेजी गई आपूर्ति का ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया गया.

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