झूठे चुनावी हलफ़नामे पर फड़णवीस को मिली क्लीनचिट सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की, चलेगा मुक़दमा

शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को उनके ख़िलाफ़ आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस. (फोटो: पीटीआई)

शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को उनके ख़िलाफ़ आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस. (फोटो: पीटीआई)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को मंगलवार को उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के कारण उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने अपने फैसले में देवेंद्र फड़णवीस द्वारा दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के मामले में बंबई उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया.

पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘प्रतिवादी (फड़णवीस) को दो लंबित मामलों की जानकारी थी.’ शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले सतीश उकी की अपील पर यह निर्णय दिया.

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि फड़णवीस को इन कथित अपराधों के लिये जनप्रतिनिधत्व कानून के तहत मुकदमे का सामना करने की जरूरत नहीं है.

न्यायालय ने इस मामले में 23 जुलाई को सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा.

न्यायालय ने उस समय टिप्पणी की थी कि फड़णवीस द्वारा 2014 में चुनाव के समय हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने की ‘भूल चूक’ के बारे में मुकदमे की सुनवाई के दौरान फैसला हो सकता है.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसका सरोकार बहुत ही सीमित मुद्दे पर है कि क्या पहली नजर में इस मामले में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए आकर्षित होती है या नहीं.

यह प्रावधान ‘गलत हलफनामा’ दाखिल करने की सजा के बारे में है और इसमें कहा गया है कि अगर कोई प्रत्याशी या उसका प्रस्तावक किसी लंबित आपराधिक मामले के बारे में नामांकन पत्र में कोई भी जानकारी उपलब्ध कराने में विफल रहता है या इसे छुपाता है या गलत जानकारी देता है तो ऐसे व्यक्ति को छह महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

उकी की दलील थी कि फड़णवीस ने दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देकर गलत हलफनामा दाखिल किया और इसके बावजूद निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने के लिये पहली नजर में इसमें कोई मामला नहीं बनता है.

ये दोनों आपराधिक मामले कथित कपट और जालसाजी के हैं जो फड़नवीास के खिलाफ 1996 और 1998 में दायर हुये थे लेकिन इनमे अभी तक आरोप निर्धारित नहीं किये गये थे.

इस्तीफा देकर राजनीति से संन्यास लें फड़णवीस: एनसीपी

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को उनके खिलाफ आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए.

फड़णवीस को आज उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के कारण उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा.

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले सतीश अंकी की अपील पर यह निर्णय दिया. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि फड़णवीस को इन कथित अपराधों के लिये जनप्रतिनिधत्व कानून के तहत मुकदमे का सामना करने की जरूरत नहीं है.

एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि फड़णवीस को चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है.

महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने है.

मलिक ने कहा, ‘हम इस निर्णय का स्वागत करते है. इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री नियमों का पालन नहीं करते हैं. अब, उनके पास राजनीति में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है. उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए. उन्हें चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है.’

एनसीपी के एक अन्य प्रवक्ता महेश तापसे ने आरोप लगाया कि वह अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में तथ्यों को छुपाकर मतदाताओं से झूठ बोल रहे हैं.

तापसे ने कहा, ‘उच्च नैतिक मानकों को अपनाने का दावा करने वाली भाजपा को उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर देना चाहिए.’

ये दोनों आपराधिक मामले कथित कपट और जालसाजी के हैं जो फड़णवीस के खिलाफ 1996 और 1998 में दायर हुये थे लेकिन इनमे अभी तक आरोप निर्धारित नहीं किये गये थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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