रिजर्व बैंक ने रेपो दर घटाई, वाहन, आवास लोन सस्ते हो सकते हैं

रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है जबकि रिवर्स रेपो दर पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यक बैंकों से अतिरिक्त नकदी वापस लेता है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास. (फोटो: पीटीआई)

रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है जबकि रिवर्स रेपो दर पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यक बैंकों से अतिरिक्त नकदी वापस लेता है.

New Delhi: Reserve Bank of India Governor Shaktikanta Das interacts with the media at the RBI office, in New Delhi, Monday, Jan. 7, 2019.(PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI1_7_2019_000090B)
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मुंबई: छह साल के निचले स्तर पर पहुंची आर्थिक वृद्धि को ऊपर उठाने के लिए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को इस कैलेंडर वर्ष में लगातार पांचवीं बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इसके बाद रेपो दर करीब एक दशक के निचले स्तर पर आ गई है.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि जहां तक जरूरी होगा वह आर्थिक वृद्धि से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए मौद्रिक नीति के मामले में उदार रुख बनाए रखेगा.

रेपो दर में कटौती से बैंकों को रिजर्व बैंक से सस्ती नकदी उपलब्ध होगी और वह आगे अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकेंगे. इससे आने वाले दिनों में मकान, दुकान और वाहन के लिए कर्ज सस्ता हो सकता है. भारतीय स्टेट बैंक सहित ज्यादातर बैंकों ने अपनी कर्ज दरों को सीधे रेपो दर में होने बदलाव के साथ जोड़ दिया है.

रेपो दर में इस ताजा कटौती के बाद यह दर 5.15 प्रतिशत पर आ गई है. इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी इतनी ही कम होकर 4.90 प्रतिशत रह गई. इससे पहले मार्च 2010 में रेपो दर पांच प्रतिशत पर थी. सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) बैंक दर में भी इस अनुपात में कटौती की गई है.

रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को एक दिन तक के लिए नकदी उपलब्ध कराता है जबकि रिवर्स रेपो दर पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यक बैंकों से अतिरिक्त नकदी वापस लेता है.

इस साल (वर्ष 2019 में) सबसे पहले फरवरी में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत, उसके बाद अप्रैल में भी 0.25 प्रतिशत, जून में भी 0.25 प्रतिशत और अगस्त में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती की गई. अक्टूबर में की गई ताजा 0.25 प्रतिशत कटौती के साथ पांच बार में कुल 1.35 प्रतिशत कटौती की जा चुकी है.

इस कटौती के साथ रेपो दर 6.50 प्रतिशत से घटकर 5.15 प्रतिशत पर आ गई. रिवर्स रेपो दर भी इतनी ही कटौती के साथ 6.25 प्रतिशत से घटकर 4.90 प्रतिशत रह गई है.

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष के दौरान यह चौथी बैठक हुई. तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को परिणाम की घोषणा की.

रिजर्व बैंक ने आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया. पिछली समीक्षा में इसके 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.

इससे पहले चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि पांच प्रतिशत रही जो कि पिछले छह साल का निम्न स्तर रहा.

मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर में कटौती के पक्ष में मत दिया. समिति के सदस्य रविन्द्र ढोलकिया ने तो दर में 0.40 प्रतिशत कटौती की वकालत की.

मुद्रास्फीति के मुद्दे पर मौद्रिक नीति समिति ने सितंबर तिमाही के अपने अनुमान को मामूली बढ़ाकर 3.4 प्रतिशत कर दिया जबकि दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति 3.5 से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान बरकरार रखा है.

द्विमासिक मौद्रिक नीति रिपोर्ट के साथ ही पहली छमाही की रिपोर्ट भी पेश की गई. इसमें कहा गया है कि मुद्रास्फीति 2021 के शुरुआती महीनों तक तय दायरे के भीतर बनी रहेगी. रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति दर चार प्रतिशत के भीतर रखने का लक्ष्य दिया गया है. इसके दो प्रतिशत ऊपर या नीचे जाने का दायरा भी तय किया गया है.

आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों का समिति ने स्वागत किया है और इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया. हालांकि, उसके इस समाधान में राजकोषीय घाटे और राजकोषीय प्रबंधन के बारे में कुछ नहीं कहा गया है जिसका मुद्रासफीति पर प्रभाव पड़ सकता है.

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