यूजीसी ने कहा, शोध में मात्रा की जगह गुणवत्ता को मिलना चाहिए महत्व

सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भेजे गए एक पत्र में यूजीसी ने कहा कि चयन, पदोन्नति इत्यादि में प्रकाशित कार्य की संख्या के बजाय गुणवत्ता पर जोर दिया जाना चाहिए.

(फोटो साभार: यूजीसी वेबसाइट)

सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भेजे गए एक पत्र में यूजीसी ने कहा कि चयन, पदोन्नति इत्यादि में प्रकाशित कार्य की संख्या के बजाय गुणवत्ता पर जोर दिया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी शैक्षणिक संस्थानों के कुलपतियों और प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा है कि क्रेडिट प्वाइंट, पदोन्नति या शोध डिग्री प्रदान करने का उनका फैसला किसी व्यक्ति द्वारा प्रकाशित कार्य की गुणवत्ता पर आधारित होना चाहिए न कि मात्रा पर.

आयोग के अधिकारियों के अनुसार यह निर्देश भारतीय अकादमिक प्रकाशन एवं अनुसंधान की विश्वसनीयता और ज्ञान रचना के हितों के मद्देनजर दिया गया है.

सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भेजे गए एक यूजीसी पत्र में कहा गया है, ‘कुलपति, चयन समितियां, मॉनिटरिंग कमेटी और अकादमिक प्रदर्शन के मूल्यांकन और आकलन में शामिल शोध पर्यवेक्षकों तथा विशेषज्ञों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी जाती है कि चयन, पदोन्नति, क्रेडिट-आवंटन और अनुसंधान डिग्री देने के मामले में उनके निर्णय प्रकाशित कार्य की संख्या के बजाय गुणवत्ता पर आधारित होने चाहिए.’

पत्र में कहा गया, ‘यूजीसी द्वारा स्वीकृत पत्रिकाओं की पुरानी सूची को नए यूजीसी-सीएआरई सूची से बदल दिया गया है और 14 जून, 2019 को सूची में शामिल पत्रिकाओं से शोध प्रकाशनों को केवल अकादमिक उद्देश्य के लिए माना जाना चाहिए.’

उच्च शिक्षा नियामक यूजीसी पर देश के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में मात्रात्मक शोध की तुलना में गुणात्मक अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर देने की जिम्मेदारी है.

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