अमृतसर ट्रेन हादसा: एक साल बाद न दोषियों को मिली सज़ा, न पीड़ितों को नौकरी

पिछले साल 19 अक्टूबर को दशहरे के दिन पंजाब के जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था. हादसे में 60 लोगों की जान गई थी, जबकि 143 लोग घायल हो गए थे.

Amritsar: Family members of victims, who died in the train tragedy on Dussehra last year, protest against the state government demanding justice and claiming the promised jobs at Joda Phatak, in Amritsar, Tuesday, Oct. 8, 2019. At least 61 people were killed and over 70 sustained injuries in the tragic incident near Joda Phatak in Amritsar on October 19 last year. (PTI Photo) (PTI10_8_2019_000096B)

पिछले साल 19 अक्टूबर को दशहरे के दिन पंजाब के जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था. हादसे में 60 लोगों की जान गई थी, जबकि 143 लोग घायल हो गए थे.

Amritsar: Family members of victims, who died in the train tragedy on Dussehra last year, protest against the state government demanding justice and claiming the promised jobs at Joda Phatak, in Amritsar, Tuesday, Oct. 8, 2019. At least 61 people were killed and over 70 sustained injuries in the tragic incident near Joda Phatak in Amritsar on October 19 last year. (PTI Photo) (PTI10_8_2019_000096B)
अमृतसर रेल हादसे के एक साल बीतने पर पंजाब के जौड़ा फाटक के पास विरोध प्रदर्शन करते पीड़ितों के परिजन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आज जहां पूरे देश में धूमधाम से दशहरे का त्यौहार मनाया जा रहा है, वहीं पर पंजाब के अमृतसर में लोगों के जेहन में पिछले साल दहशरे के दिन हुए दर्दनाक रेल हादसे की यादें ताजा हो गई हैं.

बता दें कि, पिछले साल 19 अक्टूबर को दशहरे के दिन पंजाब के जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था. हादसे में 60 लोगों की जान गई थी, जबकि 143 लोग घायल हो गए थे.

हादसे के एक साल बीत जाने के बाद भी पीड़ितों के परिवारवाले पीड़ितों के रिश्तेदारों को दिलाए गए सरकारी नौकरी के आश्वासन और दोषियों पर कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं.

रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों ने मंगलवार को जोड़ा फाटक तक कैंडल मार्च निकाला और हादसे का शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी. कैंडल मार्च के दौरान पीड़ित परिवारों ने कहा कि पीड़ित परिवारों के घर में खाने को रोटी तक नहीं है. सरकार ने नौकरी का वादा भी अभी तक पूरा नहीं किया है. साथ ही आरोपियों को सजा दी जाए.

इस दौरान अकाली दल नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी कैंडल मार्च में लोगों का साथ दिया. मजीठिया का कहना है कि पंजाब सरकार ने झूठे वादे किए और आरोपियों के खिलाफ कर्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि आरोपियों पर सरकार कार्रवाई करे और वादे के मुताबिक पीड़ित परिवारों को नौकरी दे.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पीड़ितों का दावा है कि पंजाब के पूर्व मंत्री और अमृतसर (पूर्वी) विधायक नवजोत सिंह सिद्धू हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी या अपनी जेब से मुआवजा दिलाने के वादे को पूरा करने में असफल रहे.

हादसे के बाद सिद्धू ने कहा था कि पीड़ितों के परिवारवालों को अग्नि सुरक्षा कर्मचारी की कुल 270 पदों में से 38 पद पीड़ितों के रिश्तेदारों को दिए जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने उन आठ परिवारों को 10 हजार रुपये मासिक देने का वादा किया था जिनके परिवार में आजीविका चलाने वाला कोई नहीं बचा था.

28 सितंबर को, 30 परिवारों ने पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के घर के बाहर धरना दिया था और मृतकों के परिजनों के लिए नौकरी की मांग की थी. पंजाब की पूर्व मंत्री नवजोत कौर सिद्धू पिछले साल 19 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं. इस कार्यक्रम का आयोजन नवजोत सिंह सिद्धू और स्थानीय नेता मिठू मदन के करीबी सहयोगी ने किया था.

बता दें कि, अमृतसर में दशहरा के दिन ट्रेन हादसे में 61 लोगों की मौत के मामले में केंद्र की रेलवे सुरक्षा आयोग (सीसीआरएस) ने एक महीने बाद सौंपी अपनी रिपोर्ट में रेलवे को क्लीन चिट दे दी थी. आयोग के आयुक्त एसके पाठक ने कहा कि लोगों की गलती की वजह से ये दुखद घटना हुई, क्योंकि वे धोबी घाट के पास रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देख रहे थे.

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