उत्तर प्रदेशः पुलिस हिरासत में एक शख़्स की मौत, तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड

मामला हापुड़ ज़िले पिलखुवा का है, जहां एक महिला का शव मिलने के बाद लाखन गांव के प्रदीप तोमर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. तोमर के परिजनों का कहना है कि पुलिस की पिटाई के बाद उनकी तबियत बिगड़ी और इलाज के दौरान मौत हो गई.

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मामला हापुड़ ज़िले पिलखुवा का है, जहां एक महिला का शव मिलने के बाद लाखन गांव के प्रदीप तोमर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. तोमर के परिजनों का कहना है कि पुलिस की पिटाई के बाद उनकी तबियत बिगड़ी और इलाज के दौरान मौत हो गई.

Pilkhua

हापुड़ः उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा में पुलिस हिरासत में कथित तौर पर बेरहमी से पीटे जाने पर एक शख्स की मौत हो गई, जिससे क्षेत्र में तनाव फैला हुआ है. कोतवाल सहित तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है और मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं. मृतक किसान था.

द हिंदू की रिपोर्ट की मुताबिक, 30 अगस्त को लाखन गांव में एक महिला की लाश जली अवस्था में मिली थी. इस सिलसिले में पुलिस ने गांव के ही प्रदीप तोमर (30) को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था.

ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदीप को उस समय हिरासत में लिया गया, जब वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ कहीं जा रहा था. बीती रात जेल में तबियत बिगड़ने पर उसे पिलखुवा के जीएस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और उसके बाद वहां मेरठ मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां सोमवार तड़के उसकी मौत हो गई.

इस संबंध में सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में मृतक के शरीर पर मारपीट के निशान देखे जा सकते हैं.

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार प्रदीप रविवार रात अपने भाई और कुछ परिजनों को लेकर बाइक से घर लौट रहा था, जब पिलखुवा की छिजारसी चौकी के पास पुलिसकर्मियों ने बाइक रोकी और प्रदीप को चौकी पर बुलवा लिया.

परिवारवालों का कहना है कि पुलिस ने प्रदीप के भाई, पत्नी व बच्चों को दूसरे कमरे में बैठा दिया और प्रदीप से 30 अगस्त को हुई महिला की हत्या के मामले में पूछताछ शुरू कर दी.

जिस महिला के बारे में पूछताछ कर रहे थे वह गौतमबुद्ध नगर की रहने वाली थी और रिश्ते में प्रदीप के साले की पत्नी थी. पुलिस को संदेह था की प्रदीप और महिला के बीच नजदीकियां थीं, इसलिए प्रदीप से पूछताछ के लिए बुलाया था.

आरोप है कि पूछताछ के नाम पर पुलिसवाले देर रात तक उसे पीटते रहे, जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई और इलाज के दौरान मौत हो गई.

हापुड़ के पुलिस अधीक्षक यशवीर सिंह ने बताया, ’30 अगस्त को लाखन गांव के जंगलों से एक महिला की अधजली लाश मिली थी. वह प्रदीप तोमर के साले की पत्नी थी. जांच के दौरान वह (प्रदीप तोमर) शक के घेरे में आया. पूछताछ के दौरान उसकी तबियत बिगड़ी, जिसके बाद उसे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.’

उन्होंने आगे कहा कि क्योंकि पुलिसकर्मियों ने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी तरह के नियमों का पालन नहीं किया और प्रदीप को कस्टडी में लेते समय अपने सीनियर्स को इसकी जानकारी नहीं दी, इसलिए इंस्पेक्टर योगेश बालियान, चौकी प्रभारी अजब सिंह और कॉन्स्टेबल मनोज को सस्पेंड कर दिया गया है.

सिंह ने कहा, ‘हम आगे की कार्रवाई से पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. मामले की विभागीय और मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं.’

हालांकि, पुलिस अधीक्षक यशवीर सिंह ने मृतक के वायरल वीडियो और उसकी पत्नी और बेटे के इन आरोपों पर कि प्रदीप तोमर की पिटाई की गई, इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

मृतक के परिवार वालों और किसान नेताओं ने मेरठ कलेक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन करते हुए मामले में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पिलखुवा और आसपास के गांवों में पीएसी को तैनात कर दिया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)