बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से जुड़ा कोई फुटेज न दिखाएं न्यूज़ चैनल: एनबीएसए

अयोध्या विवाद के फ़ैसले के मद्देनज़र न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने सभी चैनलों से कहा है कि वे इस मामले की ख़बर देते समय सतर्कता बरतें और तनाव पैदा करने वाली भड़काऊ बहसों से दूर रहें.

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A family watches a TV news channel in a room in Ayodhya September 30, 2010. REUTERS/Mukesh Gupta

अयोध्या विवाद के फ़ैसले के मद्देनज़र न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने सभी चैनलों से कहा है कि वे इस मामले की ख़बर देते समय सतर्कता बरतें और तनाव पैदा करने वाली भड़काऊ बहसों से दूर रहें.

A family watches a TV news channel in a room in Ayodhya September 30, 2010. REUTERS/Mukesh Gupta
फोटो: रॉयटर्स

नई दिल्ली: न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने सभी न्यूज़ चैनलों को परामर्श जारी किया है कि वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में खबर देते वक्त सतर्कता बरतें और तनाव पैदा करने वाली भड़काऊ बहसों से दूर रहें.

एनबीएसए स्व नियामक संस्था है जो न्यूज़ इंडस्ट्री में प्रसारण आचार संहिता और दिशानिर्देशों को लागू करता है. उसने यह सलाह भी दी है कि अयोध्या मामले पर किसी भी समाचार में वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से जुड़े कोई फुटेज न दिखाए.

बुधवार को जारी दो पन्नों के परामर्श में कहा गया, ‘सुप्रीम कोर्ट में जारी मौजूदा सुनवाई के मद्देनजर अटकलों पर आधारित कोई प्रसारण नहीं किया जाए, इसके अलावा फैसले से पहले उसके बारे में और उसके संभावित परिणामों के बारे में भी कोई प्रसारण नहीं किया जाए जो सनसनीखेज, भड़काऊ या उकसाने वाला हो.’

इसमें समाचार चैनलों से कहा गया है कि वह उच्चतम न्यायालय में लंबित सुनवाई के संबंध में तब तक कोई समाचार प्रसारित नहीं करें, जब तक कि उनके संवाददाता या संपादक ने ठीक तरह से उसकी प्रामाणिकता और सत्यता की पुष्टि मुख्य रूप से अदालत के रिकॉर्डों से या सुनवाई के दौरान खुद उपस्थित होकर नहीं कर ली हो.

इसमें कहा गया है कि चैनल अयोध्या मामले में लोगों के जश्न या प्रदर्शन दिखाने वाले दृश्य प्रसारित नहीं करे.

परामर्श में कहा गया है, ‘किसी भी समाचार/कार्यक्रम के प्रसारण से ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि किसी भी समुदाय के प्रति पक्षपात किया गया है या किसी के प्रति पूर्वाग्रह रहा है.’

एनबीएसए ने सलाह दी है कि इस बात का खयाल रखा जाना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को कट्टरपंथी विचार रखने का मौका न मिल सके, बहस के दौरान भी और दर्शक प्रभावित न हो सकें. ऐसी बहसों से बचना चाहिए जो भड़काऊ हों और जनता के बीच तनाव पैदा कर सकती हों.

मालूम हो कि इस मामले में  बुधवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 40वें दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.