आर्थिक सुस्ती को लेकर शिवसेना का सरकार पर तंज़, इतना सन्नाटा क्यों है भाई..?

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में फिल्म शोले के इस डायलॉग से देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाज़ारों से ग़ायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और ग़लत तरीके से जीएसटी को लागू करने को ज़िम्मेदार बताया है.

(फोटो: द वायर)

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में फिल्म शोले के इस डायलॉग से देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाज़ारों से ग़ायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और ग़लत तरीके से जीएसटी को लागू करने को ज़िम्मेदार बताया है.

(फोटो: द वायर)
(फोटो: द वायर)

मुंबई: महाराष्ट्र में भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने देश में आर्थिक सुस्ती को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा. शिवसेना की ओर ओर में कहा गया है कि दिवाली पर बाज़ारों में बहुत ज़्यादा सन्नाटा देखने को मिला.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’ फिल्म शोले के इस प्रसिद्ध डायलॉग के माध्यम से पार्टी ने देश और महाराष्ट्र में छायी आर्थिक सुस्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है.

शिवसेना ने देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाजारों से गायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और गलत तरीके से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने को जिम्मेदार बताया है.

उसने सामना में लिखा है, ‘सुस्ती के डर से बाजारों की रौनक चली गयी है और बिक्री 30 से 40 प्रतिशत की कमी आई है. उद्योगों की हालत खराब है और विनिर्माण इकाइयां बंद हो रही हैं, इससे लोगों की नौकरियां जा रही हैं.’

मराठी ‘सामना’ ने लिखा है कि कई बैंकों की हालत खराब है, वे वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं और लोगों के पास खर्च करने को पैसा नहीं है.

‘सामना’ ने लिखा है, ‘दूसरी ओर सरकार भी भारतीय रिजर्व बैंक से धन निकालने को मजबूर हुई है. दिवाली पर बाजारों में सन्नाटा छाया है, लेकिन विदेशी कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के माध्यम से देश के पैसे से अपनी तिजोरियां भर रही हैं.’

संपादकीय में लिखा है, ‘बेवक्त हुई बारिश के कारण किसानों की तैयार फसल खराब हो गयी जिससे उनकी माली हालत खराब है, लेकिन बदकिस्मती है कि कोई भी किसानों को इससे बाहर निकालने की नहीं सोच रहा है.’

संपादकीय में दावा किया गया है कि यहां तक कि दिवाली से ऐन पहले हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भी शोर कम और ‘सन्नाटा’ ज्यादा था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीते रविवार को शिवसेना ने भाजपा को चेतावनी दी थी कि महाराष्ट्र में कम सीटें जीने के बावजूद सत्ता का रिमोट कंट्रोल उसके पास है.

मुखपत्र सामना में लिखे अपने कॉलम ‘रोकटोक’ में शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, ‘इस बार सेना ने कम सीटें जीते हैं, 2014 में 63 के बदले 56 सीटें ही आई, लेकिन सत्ता का रिमोट कंट्रोल उसके पास है.’

बीते 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ का फॉर्मूला याद दिलाया था.

मुख्यमंत्री के सवाल पर ठाकरे ने कहा था कि इस बात का फैसला 50-50 के फार्मूला से होगा. उन्होंने कहा था, ‘50-50 फार्मूला का निर्णय हुआ था. इस पर चर्चा होनी चाहिए और फैसला लिया जाना चाहिए कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा.’

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विधानसभा की 288 सीटों पर भाजपा को 105 सीटें मिलीं हैं. 2014 में पार्टी के पास 122 सीटें आई थीं. शिवसेना को इस बार 56 सीटों से संतोष करना पड़ा, जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 63 सीटों पर जीत दर्ज की थी. रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा को 17 निर्दलीय/बागी का समर्थन भी प्राप्त है, जिसके बाद उसके पास 122 सीटें हो जाती हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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