इस साल 31 मार्च को पश्चिम बंगाल के एक 32 वर्षीय शोध छात्र अपने कमरे में मृत पाए गए थे. घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी. आईआईटी मद्रास के एक बयान में कहा कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के निर्देश के आधार पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आशीष सेन को निलंबित कर दिया गया है.
पुलिस ने कहा कि आईआईटी मद्रास में पिछले तीन महीने के दौरान यह इस तरह की चौथी घटना है. 31 मार्च को यहां से पढ़ाई कर रहे एक पीएचडी छात्र ने, 14 मार्च को आंध्र प्रदेश के एक छात्र ने और 13 फरवरी को स्नातकोत्तर के एक छात्र ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 13 फरवरी को आईआईटी मद्रास में महाराष्ट्र के 27 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर ने आत्महत्या कर ली. उसी दिन कैंपस में एक अन्य छात्र ने अपनी जान लेने की, जिसे बचा लिया गया. इन घटनाओं के बाद परिसर में विरोध की एक नई लहर शुरू हो गई है. छात्रों का कहना है कि आत्महत्याओं को रोकने के लिए प्रबंधन द्वारा बहुत कम प्रयास किया गया है.
संस्थान के सहायक प्रोफेसर विपिन पुदियाथ वीतिल ने फैकल्टी सदस्यों को भेजे ईमेल में लिखा है कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों द्वारा उनके साथ भेदभाव किया गया है. उन्होंने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक समिति बनाने का सुझाव दिया है.
तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन के अनुसार कुल 104 छात्र और अन्य कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से सभी अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत स्थिर है. संस्थान के प्रवक्ता ने बताया है कि इसके बाद सभी विभाग और प्रयोगशालाएं बंद कर दिए गए हैं.
आईआईटी मद्रास से फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जर्मन छात्र जैकब लिंडेनथल ने कहा है कि वे नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ कैंपस में हुए एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्हें चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से भारत छोड़ने के निर्देश मिले.
छात्रों का आरोप है कि पिछले साल शुरू हुई शुद्ध शाकाहारी मेस की मांग अब पूरी तरह छुआछूत में बदल गई है.
आईआईटी मद्रास की ओर से कहा गया है कि इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस की दौड़ में उसे नज़रअंदाज़ किए जाने का असर छात्र-छात्राओं के मनोबल पर पड़ा है. इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस के तहत रिलायंस फाउंडेशन के प्रस्तावित जियो इंस्टिट्यूट को चुना गया है.
आईआईटी मद्रास, पूर्वी अफ्रीका के देश तंज़ानिया के ज़ंजीबार में अपना अंतरराष्ट्रीय परिसर शुरू करने जा रहा है, जिसकी प्रभारी निदेशक प्रीति अघलायम बनाई गई हैं. 1951 में खड़गपुर में पहले आईआईटी की स्थापना के सात दशकों बाद किसी महिला को पहली बार इस प्रतिष्ठित संस्थान का प्रमुख नियुक्ति किया गया है.
सरकार ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा है कि आईआईटी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में 2018-2023 की अवधि के दौरान आत्महत्या के कुल 61 मामले दर्ज किए गए. आत्महत्या के आधे से अधिक मामले आईआईटी में सामने आए हैं. इसके बाद एनआईटी और आईआईएम का नंबर आता है.
विज्ञान की एक प्रमुख पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि भारत में आईआईटी-आईआईएस समेत विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित संस्थानों में फैकल्टी पदों को भरने के लिए आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं, इन संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में भी दलित और आदिवासी छात्रों का प्रतिनिधित्व कम है.
देश भर के 23 आईआईटी और 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को 5 सितंबर 2021 से 5 सितंबर 2022 के बीच अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्त फैकल्टी पदों को मिशन मोड पर भरने के निर्देश दिए गए थे. इस अवधि में 1,439 रिक्त पदों की पहचान की गई, लेकिन भर्तियां सिर्फ 449 हुईं.
शिक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में यह जानकारी दी गई है कि आईआईटी खड़गपुर में 798 और आईआईटी बॉम्बे में 517 फैकल्टी पद ख़ाली हैं, जो कि देश के दूसरे आईआईटी की तुलना में सबसे अधिक हैं. शीर्ष वरियता प्राप्त आईआईटी मद्रास में भी 482 फैकल्टी पद ख़ाली पड़े हैं.
करिअर्स 360 द्वारा दायर किए गए आरटीआई आवेदन से पता चला है कि आईआईटी में 2020-2021 में सिविल इंजीनियरिंग में सबसे कम 43 फीसदी प्लेसमेंट दर दर्ज हुई है.
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में देश के शीर्ष सात आईआईटी से ग्रेजुएशन के दौरान ही पढ़ाई छोड़ने वाले आरक्षित श्रेणी के लगभग 63 फ़ीसदी छात्रों में लगभग 40 फ़ीसदी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं. वहीं, कुछ संस्थानों में ऐसे छात्रों का प्रतिशत 72 तक है.