मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: वनबंधु कल्याण योजना का उद्देश्य देश की संपूर्ण आदिवासी आबादी का सर्वांगीण विकास, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार, शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना, रोजगार देना, बुनियादी ढांचे में विकास और उनकी संस्कृति एवं विरासत का संरक्षण करना है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: प्रधानमंत्री ग्राम परिवहन योजना का उद्देश्य सस्ती दर पर 80,000 व्यावसायिक यात्री वाहन ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान करना है, ताकि डेढ़ लाख गांवों की परिवहन प्रणाली को मज़बूत बनाया जा सके.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत व्यक्ति को अघोषित आय का 30 फीसदी की दर से कर, कर के राशि का 33 फीसदी सरचार्ज और अघोषित आय का 10 फीसदी जुर्माने के तौर पर देना था. इस योजना को दिसंबर 2016 से 10 मई 2017 तक के लिए लाया गया था.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: साल 2000-01 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना शुरू की थी. हालांकि आरटीआई के ज़रिये खुलासा हुआ है कि कई राज्यों ने पैसे जारी होने के बाद भी अभी तक स्कूल चालू नहीं किया है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: इस अभियान का मुख्य उद्देश्य गांवों में सामाजिक सद्भावना को बढ़ाना, फसल बीमा योजना, मृदा कार्ड आदि के बारे में जानकारी देकर कृषि को बढ़ावा देना था.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: किशोर लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए लॉन्च की गई किशोरी शक्ति योजना को मोदी सरकार ने एक अप्रैल 2018 को बंद कर दिया. अब इस दिशा में सबला योजना चलाई जा रही है लेकिन इस योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या छह गुना कम हो गई.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: आरटीआई के ज़रिये रेल मंत्रालय ने बताया है कि 2014-15 के दौरान जहां 3591 रेलगाड़ियों को रद्द किया गया था, वहीं 2017-18 के दौरान इसमें छह गुना की बढ़ोतरी हुई. इस दौरान 21,053 ट्रेनों को रद्द किया गया था.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: एक आरटीआई के जरिए पता चला है कि मोदी सरकार ने गंगा से जुड़े विज्ञापनों पर 2014 से लेकर 2018 के बीच 36.47 करोड़ रुपये ख़र्च किए.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले मार्च 2014 तक गंगा सफाई के लिए बनी संस्था नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को मिले अनुदान और विदेशी लोन पर सरकार को करीब सात करोड़ रुपये का ब्याज मिला था. लेकिन मार्च 2017 तक आते-आते यह राशि बढ़कर 107 करोड़ रुपये हो गई.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: 2016 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य रोज़गार के अवसर पैदा करना और युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोज़गार देना था. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 31 मार्च 2018 तक 20 लाख प्रशिक्षुओं को तैयार करने का लक्ष्य था, जिसमें से केवल 2.90 लाख प्रशिक्षु तैयार हुए. इनमें से भी महज़ 17, 493 को इस योजना का लाभ मिला.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: जल क्रांति योजना के तहत पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्रों में जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए काम होना था, लेकिन आरटीआई के तहत मिली जानकारी बताती है कि इसके अंतर्गत अब तक ऐसा कोई ठोस काम नहीं हुआ है, जिसे देश में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सके.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: ट्राइबल सब प्लान, एक ऐसा फंड है, जिसका इस्तेमाल खनन प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों और आदिवासी समुदायों के लिए किया जाना था, हालांकि आरटीआई से मिले जवाब बताते हैं कि इस राशि को खनन कंपनियों को बांटकर उनके विनाश की ज़मीन तैयार की जा रही है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: नवंबर 2017 में मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए महिला शक्ति केंद्र नाम की एक योजना शुरू की, जिसके तहत देश के 640 जिलों में महिला शक्ति केंद्र बनाए जाने थे. 2019 तक ऐसे 440 केंद्र बनाने का लक्ष्य था, लेकिन अब तक सिर्फ 24 केंद्र ही बने हैं. साथ ही किसी भी राज्य ने इन केंद्रों में काम शुरू होने की रिपोर्ट नहीं दी है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: दिल्ली में ‘निर्भया’ मामले के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड बनाया था, लेकिन इस फंड के उपयोग में बरती गई लापरवाही से महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के प्रति सरकार की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हकीकत पर विशेष सीरीज: नवंबर 2018 तक सरकार ने 18,82,708 लाभार्थियों को इस योजना के तहत सहायता राशि देने के लिए 1655.83 करोड़ रुपये जारी किए. लेकिन, इस सहायता राशि को बांटने के लिए सरकार ने 6,966 करोड़ रुपये प्रशासनिक प्रक्रियाओं में ही ख़र्च कर दिया.