भारतीय महिला खो खो टीम की कप्तान और लॉकडाउन में उनका संघर्ष

वीडियो: राजधानी दिल्ली के पीथमपुरा इलाके में रहने वाली नसरीन शेख़ भारतीय महिला खो खो टीम की कप्तान हैं. वह 40 राष्ट्रीय और तीन अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेल चुकी है. लॉकडाउन के कारण उनकी ज़िंदगी रुक सी गई है. परिवार में एकमात्र कमाने वाले उनके पिता दिहाड़ी मज़दूर हैं और मार्च से उन्होंने एक भी पैसा नहीं कमाया है.

हरियाणा: पा​र्क बनाने के लिए झुग्गी बस्ती को उजाड़ा, दिहाड़ी मज़दूर बेघर

वीडियो: गुड़गांव के एक स्लम कॉलोनी को पार्क बनाने के लिए उजाड़ दिया गया. इससे यहां रहने वाले क़रीब 100 बेघर लोग बीते 21 अगस्त से गुड़गांव नगर निगम कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हैं.

दिल्ली दंगे की चश्मदीद ने पुलिस पर लगाया धमकाने का आरोप, बच्चों के लिए मांगी सुरक्षा

दिल्ली के चांदबाग इलाके की रहने वाली दंगा पीड़ित महिला का आरोप है कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई थी, इसलिए पुलिस अब बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है.

यूपी: सरकार और संघ की आलोचना के कारण पत्रकारिता के छात्र को 12 घंटे हिरासत में रखा

उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले छात्र मोहम्मद मिस्बाह ज़फ़र को पुलिस ने 14 अगस्त की आधी रात को हिरासत में लिया था. वैसे तो ज़फ़र के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस ने उन्हें 12 घंटे हिरासत में रखा था.

पत्रकार प्रशांत कनौजिया गिरफ़्तार, यूपी पुलिस ने लगाया सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का आरोप

यूपी पुलिस द्वारा दूसरी बार प्रशांत कनौजिया को गिरफ़्तार किया गया है. उन पर हिंदू आर्मी के नेता की पोस्ट से छेड़छाड़ कर प्रसारित करने के आरोप में आईपीसी की नौ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें अधिकतम सात साल तक क़ैद की सज़ा दी जा सकती है.

लॉकडाउन: विभिन्न राज्यों वापस दिल्ली लौटे प्रवासी मज़दूरों की आपबीती

वीडियो: बीते 24 मार्च को कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बाद पूरे देश से मज़दूर पलायन कर अपने मूल राज्यों को लौट गए थे. हालांकि वहां कोई काम न मिलने के बाद अब मज़दूरों ने वापस बड़े शहरों का रुख़ करना शुरू कर दिया है. दिल्ली लौटे मज़दूरों से बातचीत.

लॉकडाउन में मज़दूरों का पलायन: न तो काम है और न ही पैसा

वीडियो: कोरोना वायरस फैलने के ख़तरे को देखते हुए 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर सैकड़ों-हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं.