राजबली यादव: जिन्होंने आज़ादी मिलने के बाद सरकार और सामंतों ​के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी रखा

पुण्यतिथि विशेष: उत्तर प्रदेश के अविभाजित फ़ैज़ाबाद ज़िले में जन्मे राजबली यादव 15 अगस्त 1947 को मिली आज़ादी को मुकम्मल नहीं मानते थे. आज़ादी के बाद भी उन्होंने सरकार और सामंतों के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी रखा था और कई बार जेल भी गए.

क्या देश में चुनाव वाकई रस्म अदायगी बनकर रह जाएंगे?

चुनावों को रस्म अदायगी बनने से रोकना है तो उनकी निष्पक्षता व स्वतंत्रता की हर हाल में रक्षा करना जरूरी है. यह भी समझना होगा कि चुनाव सुधारों के संबंध में समूचे विपक्ष का अगंभीर, नैतिकताहीन रवैया ऐसी स्थिति लाने में सत्ताधीशों की मदद ही करेगा.

भाजपा जातिगत राजनीति के अंत की बात करती है, लेकिन अंदरखाने उसे साधने में लगी रहती है

लोकसभा चुनाव में मिली जीत को भाजपा जातिवादी राजनीति की हार के तौर पर भी प्रचारित करती रही है. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जातीय समीकरणों को साधने की ज़रूरत नज़र आने लगी.

वित्तमंत्री अगर ‘न्यू इंडिया’ में नई अर्थनीति का जोखिम उठा लेतीं तो बेहतर होता

जब तक भूमंडलीकरण की आर्थिक नीतियों में कोई निर्णायक परिवर्तन नहीं होता, भारत विश्वशक्ति बन जाए तो भी, सरकार का सारा बोझ ढोने वाले निचले तबके की यह नियति बनी ही रहने वाली है कि वह तलछट में रहकर विश्वपूंजीवाद के रिसाव से जीवनयापन करे.

शिवकुटी लाल वर्मा: फैक्ट्रियों, मिलों की इमारतों के बीच किसी झोपड़पट्टी की ख़ाली ज़मीन हूं मैं

शिवकुटी लाल वर्मा ने अपनी कविता में वह सब महसूस किया, जिसे देश की दलित, पीड़ित व शोषित जनता आज तक महसूस करती आई है. उन्होंने न केवल इसे महसूस किया बल्कि इसे लेकर लगातार सवाल भी किए.

प्रधानमंत्री जी! ‘धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा’ आप पर भी चरितार्थ होता है

मोदी सरकार और उनके समर्थक लगातार मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू की कहावत को चरितार्थ करते नज़र आ रहे हैं. विचार या निष्कर्ष उनके अनुकूल हुए तो उसके सौ खोट भी सिर माथे और प्रतिकूल हुए तो ईमानदार विश्लेषण भी टके सेर.

शिव प्रसाद गुप्त: गांधी ने जिन्हें राष्ट्ररत्न कहा था, लोगों ने उन्हें भुला दिया

वाराणसी के समाजसेवी शिवप्रसाद गुप्त को आज उनके शहर के बाहर कोई जयंती या पुण्यतिथि पर भी याद नहीं करता, लेकिन कभी देश की आज़ादी की लड़ाई के साथ समाज के उत्थान में उनके योगदान के चलते महात्मा गांधी उन्हें राष्ट्ररत्न कहा करते थे.

उत्तर प्रदेश में प्रेस विज्ञप्तियां कैसे करेंगी संस्कृत का उत्थान?

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संस्कृत के उत्थान के लिए सचमुच फिक्रमंद होती तो संस्कृत में प्रेस विज्ञप्तियां जारी करने के अपने फैसले पर अमल से पहले उन कारणों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करवाती, जिनके चलते संस्कृत अपने लोक से लगातार कटती गई है.

उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल तक भाजपा कांग्रेस की दिखाई राह पर चल रही है

भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार हो या केंद्र की मोदी सरकार, अपने फ़ैसलों में दोनों कदम-दर-कदम पुराने दिनों वाली कांग्रेसी सरकार के निर्णयों की ही पुनरावृत्ति करती दिखाई दे रही हैं. योगी सरकार ने ट्वीट के लिए गिरफ़्तारी करवाई है, वहीं इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के जीबी पंत ने गीतकार शैलेंद्र की एक कविता पर प्रतिबंध लगाया था.

मोदी 2.0: नई बोतल में पुरानी शराब?

यह देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी सारी सत्ता व अधिकार अपनी मुट्ठी में क़ैद रखने की अपने पिछले कार्यकाल की रीति-नीति बदलने में कोई दिलचस्पी रखते हैं या नहीं?

क्या 2019 की नरेंद्र मोदी सरकार 2014 की सरकार से अलग होगी?

क्या नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार जल्द ही उन्हें हासिल जनादेश की ग़लत व्याख्या करने और उसको अपनी सारी कारस्तानियों पर जनता की मुहर मान लेने की ग़लती करने लगेगी?

क्या एक्ज़िट पोल पर भरोसा किया जा सकता है?

एक एक्ज़िट पोल में पश्चिम बंगाल में भाजपा को 4 से लेकर 22 सीटों तक का आकलन दिया, जिसमें 5 गुने का फर्क है. तमिलनाडु में एनडीए को 2 से 15 सीटें दी गईं, जिसमें सात गुने का फर्क है. एक चैनल ने पंजाब में भाजपा को उतनी सीटें दीं, जितनी वह लड़ ही नहीं रही. उत्तराखंड में उस आम आदमी पार्टी को भी कुछ प्रतिशत वोट दिला दिए जो वहां चुनाव मैदान में ही नहीं है.

चंदौली लोकसभा सीट: वाराणसी की इस पड़ोसन की तो दास्तान ही अलग

पिछले 21 वर्षों में चंदौली सीट के मतदाताओं ने किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को लगातार दो बार नहीं चुना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे दोबारा जीत दर्ज कर अपनी प्रतिष्ठा बचा पाते हैं या नहीं.

मोदी जी! वे दिन हवा हो चुके जब ख़लील ख़ां फ़ाख़्ते उड़ाया करते थे

गनीमत है कि अपनी स्वनामधन्य विशेषज्ञता को मतदाताओं को फांसने के जाल की तरह इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरस्ट्राइक पर जा रहे पायलटों को राम का नाम लेने, कोई मंत्र बुदबुदाने या हनुमान चालीसा पढ़ने का सुझाव नहीं दिया.

घोसी में मोदी के ‘कटप्पा’ ने भाजपा प्रत्याशी को ही ‘बाहुबली’ बनाया

पूर्वांचल की घोसी लोकसभा सीट अरसे तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फिर कांग्रेस और सपा-बसपा का गढ़ रही है, इस बार यहां से भाजपा से नाराज़ उसकी सहयोगी सुभासपा ने अपना उम्मीदवार उतारकर 'कमल न खिलने देने' की ठान ली है.

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