लॉकडाउन: हैदराबाद से साइकिल चलाकर मज़दूर दिवस पर महराजगंज पहुंचे सात कामगार

पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.

प्रधानमंत्री जी! आप ही बताएं कि हम लोग कोरोना से लड़ें कि भूख से…

उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.

भारत में फंसे 300 से अधिक नेपाली नागरिक 25 दिन बाद अपने देश पहुंचे

भारत में लॉकडाउन होने के बाद बीते पच्चीस दिनों से महराजगंज ज़िले के सोनौली, नौतनवां और बढ़नी में रह रहे नेपाली नागरिकों बीते शुक्रवार और शनिवार को दो चक्रों में नेपाल भेजा गया. वहीं नेपाल से भी 188 भारतीय वापस देश में आए हैं.

लॉकडाउन के दौरान महानगरों में मज़दूरों की मौत: जो घर पहुंचने की आस लिए दुनिया से ही चले गए

बीते दस दिनों में पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले दो मज़दूरों ने बीमारी के चलते मुंबई और दिल्ली में दम तोड़ दिया, पर लॉकडाउन और ख़राब आर्थिक स्थिति के चलते परिजन उनका शव लाने नहीं जा सके. आजीविका के लिए परिवार से हज़ारों मील दूर रह रहे इन लोगों को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नसीब नहीं हुआ.

उत्तर प्रदेश: लॉकडाउन में तार-तार हो रही बुनकरों की ज़िंदगी

कुछ दशक पहले तक गोरखपुर और इसके आस-पास के क्षेत्र की पहचान बुनकरों के बनाए कपड़ों से होती थी, लेकिन हथकरघों के बंद होने के बाद पावरलूम के ख़र्च न उठा सकने के चलते कइयों ने यह काम छोड़ दिया. अब लॉकडाउन के दौरान हाल यह है कि पावरलूमों पर पूरी तरह ताला लगा हुआ है और दिहाड़ी कारीगर फ़ाक़ाकशी को मजबूर हैं.

उत्तर प्रदेश: सफ़र की तकलीफों के बाद क्वारंटाइन सेंटर की बदहाल व्यवस्थाओं से बेहाल मज़दूर

देश के विभिन्न शहरों से तमाम परेशानियों के बाद अपने गांव पहुंचे मज़दूरों को गांव के स्कूलों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में रखा गया है. अधिकांश स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालय आदि से जुड़ी अव्यवस्थाओं के चलते मज़दूरों का यह 'एकांतवास' नए संघर्ष में बदल गया है.

लॉकडाउन: जब प्रवासी मज़दूरों के लिए उनके ही राज्य के दरवाज़े बंद कर दिए गए

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते दिल्ली, हरियाणा जैसे कई राज्यों से जैसे-तैसे उत्तर प्रदेश तक पहुंचे बिहार के मज़दूरों को राज्य की सीमा पर रोक दिया गया था. आरोप है कि बिहार सरकार ने मज़दूरों के लिए जो दावे और वादे किए थे, वैसा कोई इंतज़ाम नहीं था. न प्रशासन की ओर से उनके खाने-पीने की व्यवस्था थी, न ही उनकी स्क्रीनिंग की.

लॉकडाउन: भारत-नेपाल सीमा पर 22 घंटे नो मैंस लैंड में फंसे रहे 326 नेपाली नागरिक

लाॅकडाउन के कारण जगह-जगह फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए सरकार द्वारा बसें चलाने के बाद नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि जगहों पर काम करने वाले नेपाली कामगार भी अपने देश के लिए रवाना हुए. ये सोनौली तक तो पहुंच गए लेकिन दोनों ओर की सीमाएं बंद होने के चलते 326 नेपाली नागरिक भारत की तरफ फंसे हैं.

कोरोना: यूपी सरकार ने रोज़गार सेवकों का बकाया मानदेय दिए बिना संक्रमितों की पहचान में लगाया

उत्तर प्रदेश के 36 हज़ार रोज़गार सेवकों को 18 महीनों का मानदेय नहीं मिला है, जो क़रीब 170 करोड़ रुपये होता है. बावजूद इसके उन्हें गांवों में आए प्रवासी कामगारों की पहचान के काम में लगाया गया है. संक्रमण के जोख़िम के बीच न तो उन्हें मास्क और दस्ताने दिए गए हैं, न ही उनका बीमा कराया गया है.

लॉकडाउन में पलायन: आठ सौ किलोमीटर, साठ घंटे और दस मज़दूरों का संघर्ष

कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन के बाद दस मज़दूर हरियाणा के बल्लभगढ़ से उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपने घर पहुंचे हैं. 800 किलोमीटर की यह यात्रा उन्होंने तीन दिनों में पैदल, ट्रक, ऑटो और सरकारी बस की मदद से पूरी की.

कोरोना लॉकडाउन: पहले से बदहाल पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों पर दोहरी मार

बीते एक साल से ज़्यादा समय से मुश्किल में चल रहे पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों के लिए कोरोना के मद्देनज़र हुआ लॉकडाउन संकट बनकर उभरा है. कोरोना संक्रमण के डर से जहां मुर्गों की मांग घटी, वहीं लॉकडाउन के चलते अंडा उत्पादकों को ख़रीददार नहीं मिल रहे हैं.

‘हम अब तक समझ नहीं पाए कि हमें किस जुर्म में ​गोरखपुर पुलिस ने गिरफ़्तार किया था’

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में बीते 20 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने सीतापुर को दो फेरीवाले राशिद अली और मोहम्मद यासीन को गिरफ़्तार कर लिया था. 12 दिन जेल में रखने के बाद उन्हें ज़मानत दी गई.

नागरिकता क़ानून: ज़मानत मिलने के बावजूद गोरखपुर जेल में बंद हैं सीतापुर के दो फेरीवाले

ग्राउंड रिपोर्ट: गोरखपुर में 20 दिसंबर को नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ़्तार किया था. इनमें से कई के परिजनों का कहना है कि गिरफ़्तार किए लोग प्रदर्शन में मौजूद नहीं थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और बेरहमी से मारपीट की गई.

नागरिकता क़ानून: योगी बोले- जो नहीं सुधरेंगे उन्हें जहां की यात्रा करनी है, वहां की करा दी जाएगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई युद्धस्तर पर कराने की बात कही.

ऑक्सीजन कांड: क्या डॉ. कफ़ील को घेरने के चक्कर में योगी सरकार ख़ुद घिरती जा रही है?

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में आरोपी डॉ. कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ की जा रही जांच की रिपोर्ट बीते अप्रैल में मिलने के बाद सरकार अब तक कोई निर्णय नहीं ले सकी है. इसके अलावा बहराइच मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ जांच के लिए इसी महीने अधिकारी नामित किया गया है. यह दिखाता है कि डॉ. कफ़ील पर लगे आरोपों की तेज़ी से जांच कराने में ख़ुद सरकार को कोई रुचि नहीं है.