जन गण मन की बात की 297वीं कड़ी में विनोद दुआ रिज़र्व बैंक द्वारा नोटबंदी पर दी गई वार्षिक रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.
रोजगार नहीं है. उत्पादन घट गया है. किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नसीब नहीं हो रहा है. हेल्थ सर्विस चौपट हो चली है. शिक्षा-व्यवस्था डांवाडोल है. मुस्लिम ख़ामोश हो गया है. दलित चुपचाप है लेकिन आवाज़ नहीं उठनी चाहिए क्योंकि देश में क़ानून अपना काम कर रहा है.
हम देश के एक छोटे से क़स्बे में पले-बढ़े लेकिन उस दौर में लोगों का दिलो-दिमाग राजनीति ने इतना छोटा नहीं था, जबकि देश का विभाजन हुए बहुत अरसा भी नहीं बीता था. नफ़रत की ऐसी आग नहीं लगी हुई थी, जैसी आज लगी है.
वीडियो: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से हुई सामाजिक कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
जैसे-जैसे 2019 आम चुनाव क़रीब आ रहे हैं, एक नई कहानी को बढ़ावा दिया जा रहा है- कि दुश्मन देश के अंदर ही हैं और ये न केवल सरकार और उसकी नीतियों, बल्कि देश के ही ख़िलाफ़ हैं.
जन गण मन की बात की 296वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
मानव संसाधन मंत्रालय के शुरुआती नियमों में अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को प्रतिष्ठित संस्थान का टैग नहीं मिल पाता. यहां तक कि वित्त मंत्रालय ने भी चेतावनी दी थी कि जिस संस्थान का कहीं कोई वजूद नहीं है उसे 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' का दर्जा देना तर्कों के ख़िलाफ़ है.
सपा मुखिया अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने कहा, ‘मैंने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन किया है. समाजवादी पार्टी में मेरी अवहेलना हो रही थी फिर भी मैंने दो साल इंतजार किया.’
पुलिस और कुछ टेलीविजन चैनलों के आपसी मिलीभगत से जिस तरह से वर्तमान समय में एक बड़े और लगातार विकसित हो रहे ‘अर्बन नक्सल’ (शहरी माओवादी) के नेटवर्क के प्रेत को खड़ा किया जा रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हम फासीवाद की तरफ काफी तेजी से छलांग लगा रहे हैं.
जन गण मन की बात की 295वीं कड़ी में विनोद दुआ भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी के 1984 के दंगों को लेकर दिए गए बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट माने तो जिस संसद को देश का क़ानून बनाने का अधिकार है, उसी के भीतर लोकसभा में 185 और राज्यसभा में 40 सांसद दागी हैं. तो ये सवाल हो सकता है कि आखिर कैसे वे नेता देश में भ्रष्टाचार या राजनीति में अपराध को लेकर चिंतन-मनन भी कर सकते हैं जो ख़ुद दाग़दार हैं.
पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस ने छापे मारे हैं.
एमके स्टालिन को 2013 में द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था और 2017 में द्रमुक का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था.
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सबक यह है कि उसका पुनर्जीवन राहुल के करिश्मे की प्रतीक्षा में नहीं, नीतियों के पुनर्निर्धारण व अमल में है, जबकि भाजपा के लिए यह कि नीतिविहीनता के उसके वर्तमान हालात में नरेंद्र मोदी का खत्म होने को आ रहा करिश्मा कभी भी उसके सपनों के महल की सारी ईंटें भरभराकर गिरा देगा.
राज्यसभा सांसद और शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादक संजय राउत ने कहा कि क्या वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को ही हुआ था या उस दिन उनके निधन की घोषणा की गई जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस का भाषण बाधित न हो.