इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, मिज़ोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, नगालैंड और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद 15 दिसंबर को भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वॉरंट जारी किए गए थे.
बोर्ड ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था या किसी भी मुस्लिम विद्वान से कोई राय-मशविरा नहीं किया.
भाजपा विधायकों की बैठक में लिया गया निर्णय. मंडी ज़िले के सेराज से विधायक ठाकुर और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार बने हुए थे.
राजस्थान सरकार द्वारा आवश्यक सेवाएं रखरखाव अधिनियम लागू कर 86 डॉक्टरों को गिरफ्तार किए जाने के बाद राज्य के डॉक्टरों की हड़ताल का एम्स के डॉक्टरों ने समर्थन किया.
वीडियोकॉन के अनुसार, दूरसंचार लाइसेंस रद्द होने से कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा. कंपनी को दूरसंचार सेवा कारोबार के लिए करीब 25 हज़ार करोड़ रुपये का ऋण लेना पड़ा था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और पांच बार के विधायक जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार ने परेड के लिए अपनी झांकी का विषय ‘एकता ही भाईचारा’ रखने का प्रस्ताव दिया था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, शायद इसीलिए हमें बाहर कर दिया गया.
प्रदेश की योगी सरकार ‘अर्द्धकुंभ’ और ‘कुंभ’ का नाम बदलने को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि पुराणों को खंडित किया जा रहा है, वेदों को नकारा जा रहा है.
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र बरी. राजद प्रमुख लालू यादव सहित 16 लोग दोषी क़रार. तीन जनवरी को विशेष सीबीआई अदालत सुनाएगी सज़ा.
गुजरात दौरे पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर में पूजा की. भाजपा ने राहुल पर सत्ता पाने के लिए घटिया बयानबाज़ी करने का आरोप लगाया.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार यह क्यों जानना चाहती कि लोग कौन-सी दवा खाते हैं या कौन-सा सिनेमा देखते हैं. नारायणमूर्ति ने कहा कि वह चिदंबरम से सहमत नहीं.
स्वास्थ्य राज्यमंत्री की ओर से पेश आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 में 1.4 फीसदी और वर्ष 2014-15 में 1.2 फीसदी राशि स्वास्थ्य पर ख़र्च हुई.
ऐसा लगता है कि मोदी के लिए भ्रष्टाचार भी बस एक और ‘जुमला’ था क्योंकि भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार के लिए जिन्हें निशाना बनाया गया, वे न सिर्फ जीवित हैं, बल्कि उसके नेतृत्व में फल-फूल भी रहे हैं.
रिज़र्व बैंक ने कहा, मर्चेंट बैंकरों के बीच हितों का टकराव एनपीए बढ़ने की की बड़ी वजह.