दिल्ली सरकार का नया क़ानून, तय न्यूनतम वेतन न देने वाले नियोक्ताओं को होगी तीन साल की क़ैद

न्यूनतम वेतन (दिल्ली) संशोधन अधिनियम, 2017 के तहत कर्मचारियों को तय न्यूनतम वेतनमान से कम पर नौकरी पर रखने वाले नियोक्ताओं पर 20 से 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा.

जिन्ना की तस्वीर पर विवाद बेकार का मुद्दा: एएमयू कुलपति

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक़ मंसूर ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट और साबरमती आश्रम समेत कई और जगहों पर भी जिन्ना की तस्वीर लगी है और अब तक किसी को इन तस्वीरों से कोई परेशानी नहीं हुई.

हमारे खाने का स्वाद बढ़ाने वाला लहसुन किसानों की सेहत क्यों बिगाड़ रहा है?

राजस्थान के हाड़ौती संभाग के किसानों ने पिछले साल लहसुन का अच्छा भाव मिलने की वजह से इस बार ज़्यादा लहसुन बोया, लेकिन कम भाव मिलने की वजह से अब तक तीन किसान आत्महत्या कर चुके हैं जबकि दो की सदमे से मौत हो गई है.

बंगाल पंचायत चुनाव: तृणमूल से लड़ने के लिए धुर विरोधी माकपा-भाजपा साथ आए

माकपा के स्थानीय नेता के अनुसार पार्टी को ज़मीनी स्तर पर कई सीटों पर ऐसा करना पड़ा क्योंकि लोग तृणमूल कांग्रेस के ख़िलाफ़ आर-पार की लड़ाई चाहते थे.

राहुल गांधी ने कहा, अगर 2019 में बहुमत मिला तो बनूंगा प्रधानमंत्री

राहुल गांधी से सवाल किया गया था कि क्या वे अगले प्रधानमंत्री बनेंगे? इस पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह इस पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस का चुनाव में प्रदर्शन कैसा रहता है.

सोशल मीडिया पर नफ़रत फैलाने वालों को कब तक बढ़ावा देते रहेंगे प्रधानमंत्री मोदी!

ऐसे लोग जिन्हें इंटरनेट की भाषा में ट्रोल कहा जाता है, प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ उन्हें फॉलो कर रहे हैं बल्कि उनकी 'प्रतिभा' को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. कार्टूनिस्ट क्षितिज वाजपेई इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैं.

पता नहीं आधार कार्ड को लेकर इतनी हड़बड़ी में क्यों है सरकार

समझ में नहीं आता कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ को सौंपा हुआ है तो उसका फैसला आए बिना सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार की ऐसी अनिवार्यता थोपने का क्या तुक है.

कॉलेजियम की सिफ़ारिश लौटाने का सरकार का फैसला अभूतपूर्व: न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ

न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब कॉलेजियम की सिफ़ारिश वाले नामों को केंद्र द्वारा वापस भेजा गया हो. इसलिए मामले पर और अधिक चर्चा किए जाने की ज़रूरत है.

प्रेस की आज़ादी के असली दुश्मन बाहर नहीं, बल्कि अंदर ही हैं

मोदी के चुनाव जीतने के बाद या फिर उससे कुछ पहले ही मीडिया ने अपनी निष्पक्षता ताक पर रखनी शुरू कर दी थी. ऐसा तब है जब सरकार और प्रधानमंत्री ने मीडिया को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है. मीडियाकर्मियों की जितनी ज़्यादा अवहेलना की गई है, वे उतना ही ज़्यादा अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिए आतुर नज़र आ रहे हैं.

अपने-अपने जिन्ना

भारतीय राजनीति में जिन्ना के बरक्स अगर किसी दूसरे व्यक्तित्व को खड़ा किया जा सकता है तो वो हैं वीर सावरकर. संयोग नहीं है कि अपनी ज़िंदगी के पहले हिस्से की उपलब्धियों को अपनी बाद की ज़िंदगी में धो डालने वाले यह दोनों नेता विभाजन के द्विराष्ट्र सिद्धांत के पैरोकार थे.

अदालत ऐसे नियम नहीं बना सकती जो विधायिका द्वारा पारित क़ानून के विपरीत हों: केंद्र सरकार

अनुसूचित जाति-जनजाति कानून से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस व्यवस्था की वजह से जानमाल का नुकसान हुआ है.

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: स्मृति ईरानी के हाथ से अवॉर्ड लेने से कलाकारों का इनकार

कलाकारों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा अवॉर्ड देने की 65 साल से चली आ रही परंपरा को तोड़ा जा रहा है. वहीं राष्ट्रपति भवन ने स्पष्टीकरण दिया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सभी पुरस्कार कार्यक्रमों में अधिकतम एक घंटे रुकते हैं, इसलिए वे केवल 11 लोगों को ही पुरस्कार देंगे.

क्या भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा से दो-दो हाथ करने का मन बना लिया है?

एक ओर जहां वसुंधरा राजे अपनी पसंद का प्रदेश अध्यक्ष बनवाने पर अड़ी हैं तो वहीं दूसरी ओर मुख्य सचिव को सेवा विस्तार न देकर केंद्र ने भी अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए हैं.

चित्रकथा: अमेरिका के नस्लीय इतिहास के बर्बर चेहरे से रूबरू कराता पहला स्मारक

अमेरिका में सदियों से चले आ रहे अश्वेत उत्पीड़न और नस्लीय हिंसा के शिकार हज़ारों अश्वेत पीड़ितों की याद में देश का पहला स्मारक ‘द नेशनल मेमोरियल फॉर पीस एंड जस्टिस’ अलबामा के मॉन्टगोमेरी में पिछले हफ्ते खोला गया.

इतिहास को अपने अनुरूप गढ़ने और ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की कोशिशें तेज़ हुई हैं

मोदी सरकार आने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सावधानी के साथ उस विचारधारा को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, जिसका देश के स्वाभाविक मिज़ाज़ के साथ कोई मेल नहीं है.

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