बलात्कार के मामले इतने अधिक आ रहे हैं, लगता ही नहीं कोई सरकार भी है: महिला अधिकार कार्यकर्ता

महिला अधिकार कार्यकर्ता और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी का कहना है कि महिला आयोग एक तरीके से सरकारी संरक्षण का अड्डा बन गया है. जिसे कहीं नहीं ‘एडजस्ट’ कर पा रहे हैं, उनको बैठा दिया जाता है. यहां पर महिलाओं के प्रति कोई संजीदगी नहीं है. अगर होती तो आज पूरा आयोग हाथरस में दिखना चाहिए था.

एमपी: गैंगरेप के बाद कथित तौर पर केस दर्ज न होने से परेशान दलित विवाहिता ने ख़ुदकुशी की

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले की घटना. कथित तौर पर तीन दिनों तक केस न दर्ज किए जाने और तानों से परेशान विवाहिता ने बीते शुक्रवार को जान दे दी. पुलिस ने तीन मुख्य आरोपियों समेत लापरवाही बरतने के आरोप में दो पुलिसकर्मियों और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दो अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया है.

एससी एसटी क़ानून के तहत लाया गया राजस्थान पुलिस का सर्कुलर विधिसम्मत क्यों है

राजस्थान पुलिस के सर्कुलर में कहा गया है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 41 ए का लाभ दिया जाना अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है और इसके उद्देश्य को विफल करता है. कई समूहों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है.

असम: जादू-टोना करने के संदेह में दो लोगों की पीट-पीटकर हत्या, नौ गिरफ़्तार

घटना कार्बी आंग्लोंग ज़िले के डोकमोका थाना क्षेत्र के लांगहिंग लोहिमापुर गांव का है. ग्रामीणों ने काला जादू करने के शक में 50 वर्षीय महिला और 28 वर्षीय युवक की हत्या कर दी. फ़िर उनका सिर काटकर उन्हें आग के हवाले कर दिया.

हाथरस गैंगरेप: पीड़िता के गांव के पास आरोपियों के समर्थन में ठाकुर समुदाय के लोगों का प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उनकी मौत के बाद प्रशासन द्वारा गांव को सील कर दिया था. इसके बावजूद वहां से क़रीब 500 मीटर दूर ठाकुर समुदाय के सैकड़ों लोगों ने आरोपियों के समर्थन में इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया और उनके लिए न्याय की मांग की.

मथुरा की अदालत का फ़ैसला और संविधान

संविधान और संवैधानिक सोच सिर्फ़ कागज़ पर लिखे लफ्ज़ नहीं हैं. यह सोच हमें जीनी है, आगे बढ़ानी है. ठीक वैसे ही जैसे मथुरा की अदालत ने बुधवार को अपने फ़ैसले में किया.

साल 2019 में बढ़े राजद्रोह के मामले, दोषसिद्धि न्यूनतम रही: एनसीआरबी

साल 2019 में राजद्रोह के 93 मामले दर्ज किए गए थे, जो इससे पहले के सालों के मुक़ाबले अधिक हैं, हालांकि केवल तीन फीसदी राजद्रोह मामलों में ही आरोपों को साबित किया जा सका.

उत्तर प्रदेशः 11 साल की बच्ची की हत्या, ईंट से सिर कुचला, दो गिरफ़्तार

उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले की घटना. पुलिस ने घटना की वजह दो परिवारों के बीच पुरानी रंज़िश को बताया है. इस संबंध में एक नाबालिग को भी हिरासत में लिया गया है.

हाथरस गैंगरेपः यूपी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट का नोटिस, डीएम सहित वरिष्ठ अधिकारी तलब

हाथरस ज़िले की 19 साल की दलित युवती की कथित बलात्कार और बर्बरतापूर्वक मारपीट के बाद हुई मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी राज्य सरकार को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है.

भारत में पिछले साल विदेशियों के ख़िलाफ़ सर्वाधिक अपराध दिल्ली में दर्ज किए गए: एनसीआरबी

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के बाद महाराष्ट्र और फिर कर्नाटक में विदेशियों के ख़िलाफ़ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए. इस सूची में तमिलनाडु चौथे और गोवा पांचवें स्थान पर रहा.

यूपी: मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान से ईदगाह मस्जिद हटाने की याचिका ख़ारिज

मथुरा की एक अदालत में लोगों के एक समूह की ओर से दाखिल याचिका में कृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी. अदालत ने बुधवार को इसे ख़ारिज कर दिया.

बिहार: बुज़ुर्गों की तरह वृद्धाश्रमों को भी उपेक्षित छोड़ दिया गया है

बिहार समाज कल्याण विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे राज्य में केवल पटना, पूर्णिया, रोहतास, भागलपुर, पश्चिम चंपारण और बेगूसराय में सरकार प्रायोजित वृद्धाश्रम संचालित हैं, जबकि नियम ये है कि राज्य सरकारें हर ज़िले में कम से कम एक वृद्धाश्रम की स्थापना करेंगी.

हाथरस पीड़िता के नाम ख़त: अच्छा किया तुम चली गईं क्योंकि इस देश में कुछ नहीं बदलने वाला…

आज फिर एक लड़की के साथ वही हुआ, जो तुम्हारे साथ हुआ, शायद उससे भी भयावह. ऐसा लगातार इसलिए हो रहा है क्योंकि गैंगरेप करने वालों को किसी भी क़ानून, किसी भी सरकार या किसी भी प्रशासन का डर नहीं रह गया है.

साल 2019 में महिलाओं और दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के सबसे अधिक केस उत्तर प्रदेश में दर्ज

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में भारत में महिलाओं एवं दलितों के खिलाफ अपराध में सात फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. इस दौरान बलात्कार के प्रतिदिन कम से कम 87 मामले सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश में साल दर साल महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं.

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