मदीहा हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सांस्कृतिक विरासत के बीच रंगमंच के साझे दूत की तरह काम करती रहीं. रहती वे लाहौर में थीं लेकिन जब मौका मिलता अमृतसर आ जाया करती थीं. देह उनकी लाहौर में थी लेकिन दिल अमृतसर में बसता.
साक्षात्कार: ‘ये वो मंज़िल तो नहीं’, ‘धारावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ जैसी फिल्में बनाने वाले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक सुधीर मिश्रा से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
उमा भारती ने मध्य प्रदेश में अपने मुख्यमंत्रीकाल में विधानसभा के अंदर आसाराम के प्रवचन कराए थे तो पूरे मंत्रिमंडल के साथ सत्ता पक्ष के सारे विधायकों के लिए उसे सुनना अनिवार्य कर दिया था.
जन गण मन की बात की 233वीं कड़ी में विनोद दुआ आधार को फोन से लिंक न करने के सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण और फांसी की सज़ा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 232वीं कड़ी में विनोद दुआ नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में आसाराम को मिली उम्रक़ैद की सज़ा पर चर्चा कर रहे हैं.
पिछले साल चार अप्रैल को झारखंड के बोकारो ज़िले के नर्रा गांव में शम्सुद्दीन अंसारी को भीड़ ने पीट कर मार डाला था.
जन गण मन की बात की 231वीं कड़ी में विनोद दुआ देश में बेरोज़गारी और सांप्रदायिकता पर चर्चा कर रहे हैं.
बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के सवाल पर मशहूर कोरियोग्राफर ने दिया बयान, कहा हर क्षेत्र में होता है महिलाओं का शोषण, सिर्फ बॉलीवुड के पीछे क्यों पड़े हैं.
विकास के दावों के बीच भारत के अनुभव और ज़मीनी सच्चाई बता रही है कि समाज और सरकारें बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित कर पाने में तो नाकाम हैं ही आगे भी इनके नाकाम रहने की आशंका है.
मीडिया बोल की 46वीं कड़ी में उर्मिलेश पोक्सो क़ानून में किए गए बदलाव और मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं.
दुनिया भर में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर है, जिसके अरबपति नागरिकता छोड़ देते हैं. 2015 और 2017 के बीच 17,000 अति अमीर भारतीयों ने प्यारे भारत का त्याग कर दिया.
फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा कि बॉलीवुड में व्याप्त यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर कलाकारों की बातों का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक इसे झेलने वाले अपना मुंह बंद रखते हैं.
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने अध्यादेश के विरोध में कहा है कि मौत की सज़ा के प्रावधान के बाद बच्चियों से बलात्कार के ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं कराए जाएंगे. क्योंकि ज्यादातर मामलों में परिवार के सदस्य ही आरोपी होते हैं.
इतिहासकार प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी ने कहा कि वह राष्ट्रवाद सर्वसमावेशी और बहुआयामी था, जिसमें हर क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय, हर भाषा को बोलने वाले और सभी जनजातीय समूह के लोग शामिल थे.
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के रेडिकल पक्ष को नज़रअंदाज़ करने के पीछे की राजनीति बहुत पुरानी है. शासक जमातें उत्पीड़ित तबकों से आने वाले नेताओं को सीमित करके प्रस्तुत करती हैं.