अंतरराष्ट्रीय ‘श्रमजीवी’ महिला दिवस से श्रमजीवी शब्द को हटाना मज़दूर महिलाओं के संघर्ष और इस दिन के इतिहास के महत्व को कम करता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार वेतन का यह अंतर कार्य अनुभव बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है.
संस्मरण: मां जब छोटी थी तभी उनकी शादी करा दी गई. मां बड़ी हुईं तो उनकी सास ने उन्हें कोलकाता के एक कोठे पर बिठा दिया. सास और उनके बेटे का धंधा छोटी लड़कियों को ब्याह कर सोनागाछी में बेचने का था.
जन गण मन की बात 206वीं कड़ी में विनोद दुआ मूर्तियों की तोड़फोड़ और भारत में मांसाहार पर चर्चा कर रहे हैं.
बेस्ट ऑफ 2018: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत दी गई पात्रता शर्तें इसका उद्देश्य पूरा करने की राह में रोड़ा हैं.
हरियाणा के जींद, महेंद्रगढ़, सोनीपत और झज्जर ज़िलों में हुई वारदात. चार अलग-अलग घटनाओं में दो युवक और दो युवतियों की हत्या कर दी गई.
फिराक़ गोरखपुरी लिखते हैं कि नज़ीर दुनिया के रंग में रंगे हुए महाकवि थे. वे दुनिया में और दुनिया उनमें रहती थी, जो उनकी कविताओं में हंसती-बोलती, जीती-जागती त्योहार मनाती नज़र आती है.
सूफ़िया-ए-किराम हों या पीर-फ़क़ीर, दरवेश हों या साधू-संत सब अपने-अपने पीर-ओ-मुर्शिद और ख़ुदा से रिश्ता क़ायम करने के लिए इश्क़ पर ज़ोर देते हैं. इश्क़ के अनेक रंगों में एक रंग होली का है.
साबरकांठा ज़िले के अल्पेश पंड्या का आरोप है कि मूंछ रखने के चलते ठाकोर समुदाय के लोगों ने उसे पीटा, साथ ही जबरन मूंछ भी मुंड़वा दी.
श्रीदेवी एहसासों में हैं, खिलखिलाहट में हैं, चुलबुलेपन में हैं. वो ख़ुद ही एक नृत्य हैं, एक पेंटिंग हैं. वो हम में ही कहीं भरी हुई हैं.
भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए दुबई गई हुई थीं. दुबई में ही दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत.
केरल के आदिवासी बहुल इलाके अट्टाप्पदी में हुई घटना. आदिवासी युवक को बांधकर पीटते हुए लोगों ने ली थी सेल्फी. मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा की.
निराला के देखने का दायरा बहुत बड़ा था. ‘देखना’ वेदना से गुज़रना है. उन्होंने अपने शहर के रास्ते पर ‘गुरु हथौड़ा हाथ लिए’ पत्थर तोड़ती हुई औरत देखी. सभ्यता की वह राह देखी जहां से ‘जनता को पोथियों में बांधे हुए ऋषि-मुनि’ आराम से गुज़र गए. चुपके से प्रेम करने वाला ‘बम्हन लड़का’ और उसकी ‘कहारिन’ प्रेमिका देखी.
देश के झंडे को भी क्यों सांप्रदायिक आधार पर बांटा जा रहा है? क्या हम लड़ते-लड़ते इतने दूर आ गए हैं कि देश के झंडे का भी बंटवारा कर देंगे?
यदि सरकारों ने बच्चों की प्रारंभिक देखरेख और सुरक्षा पर ध्यान दिया होता, तो आज राखी, मीनू और सीता ज़िंदा होतीं.