यदि सरकारों ने बच्चों की प्रारंभिक देखरेख और सुरक्षा पर ध्यान दिया होता, तो आज राखी, मीनू और सीता ज़िंदा होतीं.
अगर विनय कटियार और उन जैसे बेरोजगार बैठे दूसरे भाजपा नेताओं ने अपने संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पढ़ा होता तो बैसिर-पैर के दावे नहीं करते.
गृह मंत्रालय के अनुसार 10 हजार से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली 42 भाषाएं को लुप्तप्राय माना जा रहा है और ये ख़त्म होने के कगार पर हैं.
नीति आयोग द्वारा जारी 'स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत' नामक यह रिपोर्ट 2015-16 की अवधि के लिए तीन श्रेणियों बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के आधार पर तैयार की गई है.
पाटण ज़िले के दूधका गांव के दलितों को पैसा जमा करने के बाद भी लगभग तीन साल से ज़मीन आवंटित नहीं की गई है. निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने वणकर की आत्महत्या को ‘सरकारी हत्या’ क़रार दिया है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार देश में दलित महिलाओं के लिए मृत्यु का जोखिम उचित साफ-सफाई, पानी की कमी और समुचित स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में बढ़ जाता है.
पुलिस ने कहा, सामाजिक ज़िम्मेदारी समझें गायक. गानों में शराब, हथियार आदि के महिमामंडन से युवाओं में बढ़ रही हैं आपराधिक प्रवृत्तियां.
व्यंग्य: हे पकौड़ा! तुम चाय की तरह हमेशा के लिए अमर हो जाते अगर मोदीजी कह देते, ‘मैं चाय के साथ पकौड़ा भी बेचता था, इसलिए मैं चाहता हूं भाइयों-बहनों की पूरा हिंदुस्तान चाय-पकौड़ा बेचे’.
राजस्थान में सर्व ब्राह्मण महासभा फिल्म में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को एक विदेशी की प्रेमिका बताए जाने को लेकर फिल्म का विरोध कर रही है. करणी सेना के संयोजक ने कहा कि अगर ब्राह्मण का ख़ून बहेगा तो राजपूत क्या चुप रहेगा.
दो हफ़्ते पुरानी कंपनी को हज़ारों करोड़ रुपये का डिफेंस डील मिल जाए ये सिर्फ और सिर्फ उसी दौर में हो सकता है जब देश हिंदू-मुस्लिम में डूबा हुआ हो, वरना जनता को उल्लू बनाने का कोई चांस ही नहीं था.
हिमाचल विश्वविद्यालय में ओम प्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’ बीते 3 सालों से पढ़ाई जा रही थी, तब भावनाएं अचानक कहां से आहत हो गईं? क्या इसका ताल्लुक़ राज्य में हुए हालिया सत्ता परिवर्तन से है?
जिस समाज में प्रेम के ख़िलाफ़ इतने सारे तर्क हों, उस समाज को अंकित की हत्या पर कोई शोक नहीं है, वह फ़ायदे की तलाश में है.
आधार क़ानून को एक धन-विधेयक के तौर पर पारित किया गया था और इसका संबंध सिर्फ़ भारत की संचित निधि से जुड़ी चीज़ों से होना चाहिए. लेकिन, क्या कोई व्यवस्था के भीतर इस बात पर ध्यान देता है?
आजकल सेकुलर (कुछ के लिए सिकुलर) शब्द आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तानी एजेंट, टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे कई शब्दों का पर्याय बन गया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 31 मई, 2005 को अपने फैसले में 64 करोड़ रुपये की दलाली मामले में हिंदुजा बंधुओं सहित सारे आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था.