‘जिस कुश्ती के लिए सम्मान मिला, महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए वही छोड़नी पड़ रही है’

भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी संजय सिंह के कुश्ती महासंघ के प्रमुख बनने के विरोध में बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों को लेकर प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में से एक बजरंग पूनिया ने उन्हें मिला 'पद्मश्री' सम्मान लौटा दिया है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: कहारों का इतिहास सामंती व्यवस्था द्वारा उत्पीड़न का रहा है

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग कहार जाति के बारे में है.

इमरोज़ की याद में : यूं ही ख़ामोशी से मर जाया करती हैं सच्ची मोहब्बतें…

स्मृति शेष: चित्रकार इमरोज़ नहीं रहे. जिस ख़ामोशी से वे अमृता प्रीतम की ज़िंदगी में रहे, मोहब्बत इतनी ख़ामोश भी हो सकती है, इसे इमरोज़ को जान लेने के बाद ही जाना जा सकता है.

यूपी: 200 रुपये वापस मांगने पर 10वीं के छात्र को उसके सहपाठियों द्वारा निर्वस्त्र कर पीटा गया

उत्तर प्रदेश के झांसी ज़िले का मामला. बीते 18 दिसंबर को एक 16 वर्षीय हाईस्कूल के छात्र को उसके सहपाठियों ने शराब पीने के लिए मजबूर किया, उसके कपड़े उतार दिए और उसकी पिटाई की थी. छात्र ने पुलिस को बताया है कि आरोपियों लड़कों में से एक को उधार दिए गए 200 रुपये वापस मांगने पर ऐसा​ किया गया.

बाल मज़दूरी का ख़ात्मा दूर की कौड़ी, पहले देश ‘बच्चे’ की एक समान परिभाषा तय करे: संसदीय समिति

संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत को 2025 तक सभी प्रकार के बाल श्रम को समाप्त करने का लक्ष्य पाने के लिए लंबा रास्ता तय करना है. समिति ने विभिन्न क़ानूनों में दर्ज 'बच्चों' की अलग-अलग परिभाषाओं का हवाला देते हुए कहा है कि पहली ज़रूरत एक समान परिभाषा तैयार करने की है.

यूपी: दूल्हे के बड़ी बहन से शादी से इनकार के बाद नाबालिग का विवाह करवाया, केस दर्ज

उन्नाव ज़िले में एक 13 वर्षीय लड़की की कथित तौर पर 22 वर्षीय व्यक्ति से शादी कर दी गई, क्योंकि दूल्हे ने उसकी बड़ी बहन ने शादी करने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने दूल्हे, लड़की के परिवार, शादी कराने वाले पुजारी और समारोह में शामिल होने वाले 111 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: समाज के हाशिये पर रहा मुसहर समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग मुसहर जाति के बारे में है.

उत्तर प्रदेश: दलित समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम पर हमला, देसी बम फेंके गए

घटना कानपुर की है, जहां घाटमपुर के एक गांव में बौद्ध कथा कार्यक्रम में कथित तौर पर हथियारों से लैस 'उच्च जाति' के एक समूह ने हमला किया. बताया गया है कि उन्होंने गोलियां चलाईं, तोड़फोड़ की और संत रविदास की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी. आठ आरोपियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद पांच को गिरफ़्तार किया गया है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: श्रमजीवी रहा है नोनिया समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग नोनिया जाति के बारे में है.

कर्नाटक: निर्वस्त्र घुमाई गई महिला से मिलने वाले नेताओं और समूहों पर अदालत ने रोक लगाई

कर्नाटक के बेलगावी ज़िले का मामला. पुलिस के अनुसार, बीते 11 दिसंबर को एक 42 वर्षीय महिला को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने के अलावा उन्हें बिजली के खंभे से बांधकर पीटा गया था. ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि उनका बेटा एक युवती के साथ भाग गया था. पुलिस ने इस संबंध में सात लोगों को गिरफ़्तार किया था. 

बिहार जाति सर्वेक्षण: पान से जुड़े समुदाय हैं बरई, तमोली या चौरसिया

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग बरई, तमोली/चौरसिया जाति के बारे में है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: बंजारों की तरह जीने वाला समुदाय है बक्खो

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग बक्खो जाति के बारे में है.

बिहार जाति सर्वेक्षण में क्यों शामिल नहीं हैं भिश्ती?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे के मद्देनज़र जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग भिश्ती जाति के बारे में है. हालांकि बिहार सरकार की रिपोर्ट में ये शामिल नहीं हैं, पर इनकी उपस्थिति अब भी है.

भारत को लंबित पॉक्सो मामलों के बैकलॉग को निपटाने में कम से कम नौ साल लगेंगे: अध्ययन

इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड के एक अध्ययन में बताया गया है कि साल 2022 में पॉक्सो अधिनियम के तहत केवल 3% मामलों में सज़ा हुई थी. अध्ययन के अनुसार, देश में 1,000 से अधिक फास्ट-ट्रैक अदालतों में से प्रत्येक हर साल औसतन केवल 28 मामलों का निपटारा कर रही है, जो 165 के लक्ष्य से कहीं पीछे है.

साल 2022 में महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा एसिड अटैक की घटनाएं बेंगलुरु शहर में हुईं

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 19 महानगरों में से बेंगलुरु शीर्ष पर था, जहां साल 2022 में 8 महिलाएं एसिड हमले की शिकार हुईं. दूसरे स्थान पर दिल्ली था, जहां 7 महिलाएं एसिड हमलों का शिकार हुईं. इसके बाद अहमदाबाद ऐसे 5 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

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