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केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते छह महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हुई है, लेकिन गतिरोध बना हुआ है. किसान संगठन तीनों नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले क़ानून की अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.
चुनाव आयोग को सौंपी गई योगदान रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में भाजपा को कंपनियों और व्यक्तियों से लगभग 750 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह कांग्रेस पार्टी को मिले 139 करोड़ रुपये से कम से कम पांच गुना अधिक है.
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ने नर्सिंग के कर्मचारियों के लिए सिर्फ़ हिंदी या अंग्रेज़ी में बात करने वाला आदेश जारी किया था और विवाद के बाद इसे वापस ले लिया गया था. नर्सिंग अधीक्षक ने कहा कि दरअसल मरीज़ यह मान लेते हैं कि उन्हें कुछ गंभीर बीमारी है और इसलिए उनकी हालत छिपाने के लिए दूसरी भाषा में बात की गई है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर हो गई 29,183,121 हो गई है. बिहार में मौत के आंकड़ों में संशोधन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या 359,676 हो गई है. विश्व में संक्रमण के 17.44 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं, जबकि 37.58 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं.
संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने ज़िलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.
क्वक्वरेली सिमंड्स (क्यूएस) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स के ताज़ा संस्करण में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के अलावा 2017 के बाद से लगातार पांचवें वर्ष कोई अन्य भारतीय संस्थान शीर्ष 200 में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सका है.
एक आरटीआई आवेदन में कोविड महामारी के दौरान मास्क के प्रभाव से संबंधित जानकारी मांगी गई थी, जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया. केंद्रीय सूचना आयोग ने इस आवेदन को व्यापक जनहित वाला बताते हुए कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे एक से दूसरी जगह सिर्फ ट्रांसफर करके पोस्ट ऑफिस वाला काम किया है.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई. ग़रीब, वंचित और आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा. इसी नाते सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की ज़रूरत है.
सरकार को घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का रुख़ सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतज़ार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए. एक अन्य मामले में अदालत ने सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के पास निर्धारित सात पहचान पत्र नहीं है, वे टीकाकरण के लिए क्या करें, इसके लिए क्या क़दम उठाए गए हैं.