कुंभ में गिद्धों को लाशों और सूअरों को गंदगियों की 'सौगातें' किसकी कृपा से मिलीं? वह सरकार, जिसने भगदड़ के शिकार हुए निर्दोष श्रद्धालुओं की लाशों को देखकर भी नहीं देखा, वह क्यों ज़िम्मेदार नहीं है? क्या प्रदेश की सत्ता विपक्ष चला रहा है जो वह सारा ठीकरा उसके सिर पर फोड़कर बच निकलेगी?
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फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री ने निजी ईंधन खुदरा विक्रेताओं को राहत प्रदान करने, उनके लिए एक अधिक व्यवहार्य निवेश वातावरण बनाने और इस क्षेत्र में निवेश, रोज़गार सृजन को आकर्षित करने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय के हस्तक्षेप की मांग की है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी छत्तीसगढ़ को पर्याप्त ईंधन देने के लिए केंद्र को पत्र लिखा है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 4,33,09,473 हो गए हैं और मृतकों का आंकड़ा 5,24,873 पर पहुंच गया है. विश्व में संक्रमण के 53.89 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और इस महामारी की चपेट में आकर जान गंवाने वालों का आंकड़ा 63.18 लाख से अधिक हो चुका है.
स्मृति शेष: बीते दिनों प्रसिद्ध आलोचक, भाषाविद और उर्दू भाषा व साहित्य के विद्वान डॉ. गोपी चंद नारंग नहीं रहे. ऐसे समय में जब उर्दू भाषा को धर्म विशेष से जोड़कर उसकी समृद्ध साझी विरासत को भुला देने की कोशिशें लगातार हो रही हैं, डॉ. नारंग का समग्र कृतित्व एक भगीरथ प्रयास के रूप में सामने आता है.
इलाहाबाद पुलिस शहर के करेली और खुल्दाबाद इलाके में बीते 10 जून को भड़की हिंसा के संबंध में अब तक 97 लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है. गिरफ़्तार किए गए लोगों में जावेद मोहम्मद भी शामिल हैं, जिनका मकान प्रशासन ने अवैध बताकर गिरा दिया था. उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक कुल 20 एफ़आईआर दर्ज की गई है और 415 आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है.
पुस्तक समीक्षा: उर्दू की प्रसिद्ध आलोचक अर्जुमंद आरा द्वारा किए गए सारा शगुफ़्ता की नज़्मों के संग्रह- ‘आंखें’ और ‘नींद का रंग’ के हिंदी लिप्यंतरण हाल में प्रकाशित हुए हैं. ये किताबें शायरी के संसार में उपेक्षा का शिकार रहीं सारा और अपनी नज़र से समाज को देखती-बरतती औरतों से दुनिया को रूबरू करवाने की कोशिश हैं.
तेलंगाना के जयशंकर भूपालपल्ली ज़िले के इडलापल्ली गांव में गुर्रम लिंगैया का खेत है. गांव में लगभग 500 घर हैं, जिनसे निकलने वाले गंदे पानी का रुख़ उनके खेत की ओर मोड़ दिया गया है. आरोप है कि प्रशासन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि जल निकासी की मूल प्रस्तावित योजना में नाले के रास्ते में गांव की देवी का मंदिर आ रहा था.
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