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नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि कोई व्यक्ति जो सरकार को पसंद नहीं आ रहा है, उसे सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. मनमाने तरीके से देशद्रोह के आरोप थोपकर लोगों को बिना मुक़दमे जेल भेजा रहा है.
भारत में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 16,432 नए मामले सामने आए है, जो पिछले छह महीने में इस अवधि में सामने आए सबसे कम मामले हैं. वहीं मृतक संख्या बढ़कर 148,153 हो गई है. विश्व में संक्रमण के 8.12 करोड़ से ज़्यादा मामले आए हैं और 17.74 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि राज्य सरकारों ने इन सभी लोगों को चिह्नित स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में क्वारंटीन कर दिया है और उनके संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटीन किया गया है.
टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन के अनुसार,राज्य में कम से कम 1,600 टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है. कई हिस्सों में टावरों की बिजली आपूर्ति रोक दी गई है और साथ ही केबल भी काट दी गई हैं. वहीं जालंधर में जियो की फाइबर केबल के कुछ बंडल भी जला दिए गए.
नए क़ानून के तहत उल्लंघनकर्ताओं पर सात साल की अधिकतम सज़ा और पांच लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान है. इससे कर्नाटक में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा और पशुओं की तस्करी, अवैध परिवहन, गायों पर अत्याचार और पशुवध करने वालों के लिए सख़्त सज़ा का प्रावधान है.
पश्चिम बंगाल की विश्व भारती यूनिवर्सिटी द्वारा परिसर में अवैध क़ब्ज़े हटाने के लिए बनाई गई सूची में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की पारिवारिक संपत्ति को भी शामिल किया है. सेन ने इससे इनकार करते हुए कुलपति के केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने की बात कही है.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में स्थित केएस साकेत डिग्री कॉलेज का मामला. कॉलेज प्रिंसिपल ने आरोप लगाया कि 16 दिसंबर को परिसर में ‘ले के रहेंगे आजादी’ जैसे अभद्र और देशविरोधी नारे लगाए गए. छात्रों ने छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने का विरोध कर रहे थे.
डीडीसीए ने पिछले दिनों इसके पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में लगाने का निर्णय लिया था, जिसकी आलोचना करते हुए पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने संघ की सदस्यता छोड़ दी थी. साथ ही उन्होंने स्टेडियम के एक स्टैंड से उनका नाम हटाने के लिए भी कहा था.
केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते एक महीने से दिल्ली की सीमाओं में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है. किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है.