शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के मुंबई उत्तर पश्चिम से लोकसभा उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को ईडी ने 'खिचड़ी' घोटाले को लेकर समन जारी किया है. इस मामले में बीएमसी द्वारा कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बेघर और प्रवासी श्रमिकों को भोजन के रूप में खिचड़ी वितरण में एक करोड़ रुपये की अनियमितता का आरोप लगाया गया है.
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मामला पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी ज़िले के नागरकता थाना क्षेत्र का है. पुलिस ने बताया कि नागरकता के मैनाखोला गांव में हाल ही में कुछ लोगों की मौत बीमारी से हो गई थी और स्थानीय लोगों का मानना है कि उनकी मौत जादू-टोना के कारण हुई.
रोशनी क़ानून निरस्त करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर पुनर्विचार याचिकाएं सुनने से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो समानांतर कार्यवाही नहीं चल सकतीं. सभी याचिकाकर्ताओं को पुनर्विचार करने वाली पीठ के पास जाना चाहिए और उच्च न्यायालय को इन सभी को सुनना चाहिए.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के कसया क़स्बे का मामला. युवक ने पुलिस पर पीटने का आरोप लगाया है. यह भी आरोप है कि पुलिस ने युवक-युवती को तब तक हिरासत में रखा, जब तक कि युवती के भाई ने प्रमाण देते हुए ये नहीं बताया दिया कि दोनों जन्म से मुस्लिम हैं और धर्मांतरण नहीं हुआ है.
राजस्थान के कोटा शहर स्थित जेके लोन अस्पताल का मामला. पिछले साल दिसंबर महीने में भी इस अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा मचा था.
भारत में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 9,796,769 हो गई है, जबकि मृतक संख्या 142,186 है. विश्व में संक्रमण के मामले 6.95 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं, जबकि 15.81 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
वीडियो: केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ कई हफ्तों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मुद्दे पर द वायर के पॉलिटिकल अफेयर्स एडिटर अजय आशीर्वाद से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: आंदोलनकारी किसान संगठनों को कृषि क़ानूनों पर भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने उन्हें वापस लेने की किसानों की मुख्य मांगों का कोई ज़िक्र नहीं किया था. इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन (उग्रहण) के सुखदेव सिंह और लोक संघर्ष मोर्चा की प्रतिभा शिंदे से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
विशेष रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में धान की ख़रीद शुरू होने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि किसी भी किसान को एमएसपी से कम मूल्य पर अपने कृषि उत्पादन नहीं बेचना है. हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुकाबले प्रदेश की मंडियों में एमएसपी से कम पर बिक्री तो हो ही रही है, सरकारी ख़रीद भी काफी कम है. रफ़्तार इतनी धीमी है कि ख़रीद केंद्र एक दिन में दो किसानों से भी धान नहीं ख़रीद पा रहे हैं.
स्मृति शेष: मंगलेश डबराल उस यातना को जानते थे जो मनुष्य ने मनुष्य को दी है. दुनिया की अलग-अलग भाषाओं से किए गए उनके अनुवाद इस बात के साक्षी हैं. इसीलिए वे उस संघर्ष की कठिनाई से भी परिचित थे जो इस यातना की संस्कृति को ख़त्म करने का है.