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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते 14 दिनों से किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे इन क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का चश्मा महाराष्ट्र की तलोजा जेल से चोरी हो गया था. उनके परिवार ने डाक के माध्यम से नया चश्मा भेजा था, जिसे जेल अधिकारियों ने वापस कर दिया था.
भारत में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 32,080 नए मामले सामने आए हैं और 402 लोगों की मौत हुई है. विश्व में संक्रमण के मामले 6.8 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं, 15.56 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं.
हैदराबाद में पिछले साल एक पशु चिकित्सक की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. मामले के चार आरोपी कथित तौर पर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे. घटना एक साल बाद हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि एनकाउंटर की ख़बर को सिविल सोसाइटी द्वारा जश्न के रूप में मनाया गया था, जो हमारे क़ानून व्यवस्था की अक्षमता को दर्शाता है.
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा आहूत भारत बंद का देश में मिला-जुला असर रहा. कुछ राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ, वहीं कुछ राज्यों में सामान्य बना रहा.
साल 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला सरकार सरकारी ज़मीन पर काबिज़ लोगों को उसका मालिकाना हक़ दिलाने के लिए रोशनी क़ानून लेकर आई थी. साल 2014 में कैग ने इसे 25 हज़ार करोड़ का घोटाला क़रार दिया. अब जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने रोशनी क़ानून को असंवैधानिक बताते हुए सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं.
पीटर मुखर्जी का 2018 में दिया यह बयान दिखाता है कि ईडी के आरोपों के अनुसार जो रिश्वत कार्ति चिदंबरम को दी गई थी, वह असल में मुकेश अंबानी की एक फर्म के लिए थी. हालांकि यह साफ नहीं है कि मोदी सरकार की इस प्रमुख जांच एजेंसी ने यह जानकारी मिलने के बाद क्या कदम उठाया था.
वीडियो: नए कृषि क़ानूनों को ख़िलाफ़ किसान पिछले 13 दिनों से दिल्ली सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. इस मुद्दे पर द वायर के पॉलिटिकल अफेयर्स एडिटर अजय आशीर्वाद और ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर से आरफा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
कृषि क़ानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसानों को ‘खालिस्तानी’ घोषित करना भाजपा के उसी प्रोपगेंडा की अगली कड़ी है, जहां उसकी नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों को ‘देश-विरोधी’, ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ या ‘अर्बन नक्सल’ बता दिया जाता है.