नेता कई तरह की गुप्त पूजा कराते हैं जिसका ख़र्च बीस-बीस लाख आता है. क्रिकेटर से लेकर सार्वजनिक जीवन का हर संभ्रांत प्रतीक अंधविश्वास का संरक्षक है, इसलिए सिरसा के डेरा समर्थकों को गंवारों की फौज न कहें.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, दोनों हत्याओं के बीच स्पष्ट गठजोड़ है. कुछ संगठन निश्चित तौर पर अपराधियों का समर्थन कर रहे थे.
समाज में विचारों की, अाचारों की अौर समझ की नई खिड़कियां खोलते रहने की जरूरत पड़ती है. जो समाज ऐसा करना बंद कर देता है, जो अतीत के गुणगान में लग जाता है, वह अंतत: अपनी ही चोटी में उलझ कर, उसे काट डालता है. हम उसी दौर से गुजर रहे हैं.
चोटी काटने की अफ़वाह में एक बुज़ुर्ग दलित महिला की चुड़ैल बताकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. चार राज्यों में अब तक ऐसी घटनाओं के 75 से भी ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
तांत्रिकों के सान्निध्य में मंत्रियों का जाना और पाप-पुण्य के फेर में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाना अंधश्रद्धा पर सरकारी मुहर लगाना है.