समिति ने दिल्ली के किसी भी अस्पताल में कोरोना वायरस आइसोलेशन बेड का शुल्क 8,000 रुपये से 10,000 रुपये तथा वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड का शुल्क 15,000 रुपये से 18,000 रुपये प्रतिदिन तय करने की सिफ़ारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों में कोविड-19 जांच की अलग-अलग कीमतों पर संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कहीं 2,200 रुपये में कोरोना टेस्ट हो रहा है, तो कहीं 4,500 रुपये में, ऐसा नहीं होना चाहिए.
गृह मंत्रालय ने कहा कि विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय समिति के सुझाव के आधार पर ये निर्णय लिया गया है. इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार के पास रिपोर्ट भेजी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि डॉक्टर और नर्स इस समय कोविड-19 से जंग में हैं, लेकिन आप एफआईआर दायर करने में व्यस्त हैं. यदि आप अपने सैनिक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे तो युद्ध कैसे जीतेंगे. बीते दिनों एक सरकारी अस्पताल के ख़राब हाल का वीडियो बनाने पर एक डॉक्टर के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में सस्ती दर पर कोरोना वायरस के इलाज कराने के संबंध में एक कमेटी बनाई है और कोरोना संक्रमण रोकने के लिए घर-घर जाकर स्वास्थ्य सर्वे किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने जिन पांच राज्यों को चेताया है, उनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश शामिल है. अनुमान है कि यहां जून से अगस्त के बीच आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी पड़ सकती है.
दिल्ली में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एम्बुलेंस में रोगी को गंभीर हालत में लेकर परिजन कई घंटों और किलोमीटर तक विभिन्न अस्पतालों में भटकते रहे. ऐसे में एम्बुलेंस में उपलब्ध महज़ एक ऑक्सीजन सिलेंडर मरीज़ की मदद के लिए नाकाफ़ी साबित हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 मरीजों का उचित इलाज और शवों का सम्मानित ढंग से प्रबंधन करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि विभिन्न राज्यों में कोरोना की चिंताजनक स्थिति है और लोगों के साथ जानवरों से बदतर सलूक किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी इस मामले में जवाब मांगा है.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में कुल 57,709 बेड हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि जुलाई अंत तक उन्हें 80,000 बेड की ज़रूरत पड़ेगी. कोरोना से लड़ने के लिए सिर्फ़ बेड ही पर्याप्त नहीं होंगे, इसके लिए बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की भी ज़रूरत होगी.
बीते दिनों मध्य प्रदेश के शाजापुर के एक बुज़ुर्ग मरीज़ को अस्पताल के बेड पर रस्सियों से बांधने का वीडियो सामने आया था. मरीज़ की बेटी ने बताया कि बढ़ते बिल को देखकर जब उन्होंने अपने पिता को डिस्चार्ज करने को कहा तब अस्पताल ने बिना पैसे चुकाए ऐसा करने से मना कर दिया. जांच में यह बात सही पाए जाने के बाद अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है.
दिल्ली सरकार ने आईसीएमआर के दिशानिर्देशों में संशोधन करते हुए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना लक्षण वाले लोगों की कोरोना जांच करने पर रोक लगा दी थी.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि दिल्ली में अभी सामुदायिक संक्रमण नहीं हो रहा है.
दिल्ली के मयूर विहार इलाके के रहने वाले व्यक्ति कोरोना जांच के लिए पांच से छह अस्पतालों में गए थे, लेकिन उनकी जांच नहीं हो सकी. मजबूरन वे बेटे के पास 800 किलोमीटर की यात्रा कर भोपाल गए थे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनका अंतिम संस्कार भोपाल में ही करना पड़ा. अब उनकी बेटी में संक्रमण पाया गया है.
यह मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल का मामला है. पारिवारिक विवाद में एक युवक की हत्या कर दी गई थी, जिनके शव की कोरोना जांच में उसे संक्रमित पाया गया. अस्पताल को शक़ है कि ग़लती से शव किसी और को सौंप दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर का मामला. आरोप है कि आठ माह की गर्भवती पत्नी को लेकर युवक सुबह से शाम तक ग़ाज़ियाबाद से लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा तक के अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन कहीं बेड न होने और कहीं पत्नी में कोरोना वायरस के लक्षण होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया गया.