इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दें. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि डॉक्टरों और उनके परिवार के लिए पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित की जाए और सरकार की तरफ से उन्हें चिकित्सीय एवं जीवन बीमा दिया जाए.
मृतका पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टर की पत्नी थीं. डॉक्टर का कहना है कि कोरोना टेस्ट नेगेटिव आने के बावजूद कई अस्पतालों ने उनकी पत्नी को भर्ती नहीं किया. उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग की है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को एहतियात बरतने के लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि वरिष्ठ और युवा डॉक्टर समान रूप से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन वरिष्ठों की मृत्यु दर अधिक है.
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने चेन्नई, तिरुवल्लूर, चेंगालपेट और कांचीपुरम ज़िलों में लॉकडाउन लगाने की घोषणा की है. देश में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले पाए गए हैं.
तमिलनाडु में निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के लिए अधिक फीस वसूलने संबंधी मरीजों की शिकायत के बाद स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने निजी अस्पतालों के लिए उचित शुल्क संबंधी रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार को सौंपी थी.
केंद्र सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों के ख़िलाफ़ हिंसा को ख़त्म करने के लिए अध्यादेश लेकर आई है. यह अध्यादेश स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी कर्मचारियों- जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामैडिकल और आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले 55 वर्षीय डॉक्टर साइमन हरक्यूलिस के शव को दफनाने के दौरान भीड़ ने एम्बुलेंस पर हमला बोल दिया, जिससे सभी लोगों को शव छोड़ भागना पड़ा. बाद में एक सहकर्मी ने दो कर्मचारियों के साथ आधी रात को शव को दफनाया.
बीते शुक्रवार को आरा कस्बे के जवाहर टोला में रहने वाले राहुल की मौत हो गई थी. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते वे पिछले कई दिनों से बेरोजगार बैठे हैं.
बिहार में इस साल एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से जिन बच्चों की मौत हुई उनमें से 85 फीसदी से अधिक परिवार दिहाड़ी मजदूर हैं. वहीं, इस साल मरने वाले 168 बच्चों में से 104 लड़कियां थीं.
यह मामला असम के जोरहाट का है. चाय बागान के अस्थायी कर्मचारी की इलाज के दौरान मौत के बाद 250-300 लोगों की भीड़ ने अस्पताल का घेराव कर डॉक्टर पर हमला कर दिया, जिसमें डॉक्टर की मौत हो गई. आईएमए और असम के डॉक्टरों ने 3 सितंबर को राज्यभर में 24 घंटे की हड़ताल की घोषणा की है.
साक्षात्कार: बिहार में इस साल अब तक एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के चलते मुज़फ़्फ़रपुर व उसके आसपास के ज़िलों में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. यह बीमारी 1995 में सामने आई थी, तब से हर साल बच्चों की मौत हो रही है, कभी कम तो कभी ज़्यादा. इस बीमारी के तमाम पहलुओं को लेकर मुज़फ़्फ़रपुर में साढ़े तीन दशक से काम कर रहे प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अरुण शाह से उमेश कुमार राय की बातचीत.
चमकी बुखार या एईएस से बिहार में अब तक क़रीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है. एईएस से निपटने के लिए बिहार सरकार की लापरवाही का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2019-20 के तहत इस पर शोध, पीड़ितों का पुनर्वास और लोगों को जागरूक करने के लिए किसी फंड की मांग नहीं की.
बीते 18 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुज़फ्फ़रपुर दौरे पर जाने के दौरान हरिवंशपुर गांव के लोगों ने चमकी बुखार से बच्चों की मौत और पानी की कमी को लेकर सड़क का घेराव किया था, जिसके चलते पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. नामजदों में क़रीब आधे दर्जन वे लोग हैं जिनके बच्चों की मौत चमकी बुखार से हुई है.
'बंगाल खिलौना नहीं है,' यह कहा था ममता बनर्जी ने कुछ रोज़ पहले, लेकिन अब उनके आचरण से यही लगता है कि वे बंगाल को अपना खिलौना ही मान बैठी हैं, वरना वे राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल चार दिन तक न खिंचने देतीं.
पश्चिम बंगाल के कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 75 वर्षीय बुज़ुर्ग की मौत हो गई थी, जिसके बाद बुज़ुर्ग के परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दो जूनियर डॉक्टरों की पिटाई कर दी थी.