मामला स्पीति ज़िले के काजा गांव का है, जहां स्थानीय समिति ने यहां आने वालों के लिए अनिवार्य क्वारंटीन का नियम बनाया है. बीते दिनों प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडा यहां पहुंचे थे और इस नियम को न मानने पर आदिवासी महिलाओं के समूह ने उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था.
मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का है. 18 ग्राम पंचायतों और 50 गांवों के हजारों आदिवासी कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. आदिवासियों का कहना है कि तेंदू पत्ता प्रमुख आय स्रोतों में से एक है और बैंक से नकद लेने के लिए शहर में आना अक्सर उस राशि की तुलना में अधिक महंगा होता है.
18 जून 2020 को द वायर द्वारा 'बोधघाट पनबिजली परियोजना: जंगल उजाड़कर जंगल के कल्याण की बात' शीर्षक से प्रकाशित लेख पर छत्तीसगढ़ शासन की ओर से सवाल उठाए गए थे. उनका जवाब.
मोदी सरकार के इस क़दम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत होना देश के कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से बाहर निकालने जैसा है. हालांकि इन कोयला खदानों के समीप रहने वाले लोगों ने कहा है कि इससे उनका अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा.
बीते दिनों केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दंतेवाड़ा के पास इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित पनबिजली परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी दी है. हालांकि इसके लिए चिह्नित ज़मीन पर वन्य प्रदेश और आदिवासियों की रिहाइश होने के चलते इसके उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं.
हसदेव अरण्य क्षेत्र के सरपंचों ने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के भाषण को याद दिलाते हुए कहा कि यहां का समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा.
ओडिशा में अलग-अलग घटनाओं में जादू-टोने के संदेह में तीन लोगों की हत्या का मामला सामने आया है. वहीं बालासोर ज़िले में काला जादू करने के संदेह में एक वृद्ध और उनकी बेटी से मारपीट कर उन्हें गोबर मिला पानी पीने के लिए मजबूर किया गया.
वीडियो: प्रोफेसर सोना झरिया मिंज को झारखंड के दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया गया है. प्रो. मिंज जेएनयू में स्कूल ऑफ कम्प्यूटर एंड सिस्टम्स साइंसेज में प्रोफेसर हैं. उनसे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वन विभाग को नोडल एजेंसी बनाए जाने पर आदिवासी कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
पालघर के पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि आदिवासी पिछले दो दिनों से ज़िले के मोखदा, वसई, दहानू में तहसील कार्यालयों के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. वे रोज़गार गारंटी योजना के तहत काम देने की भी मांग कर रहे थे.
गुजरात के छोटा उदयपुर जिले का मामला. पुलिस के अनुसार, लड़की 15 दिन पहले एक लड़के के साथ मध्य प्रदेश चली गई थी.
बीते महीने चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है.
मामला ओडिशा के कालाहांडी जिले का है. लोकशक्ति अभियान संस्था के अध्यक्ष प्रफुल सामांत्रा ने बताया कि ये आदिवासी 2017 से वहां रह रहे थे. लेकिन प्रशासन कह रहा है कि वे लॉकडाउन के बाद वहां आए थे.
कोर्ट ने कहा कि सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे समय-समय पर इसकी समीक्षा करें ताकि जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिले और संपन्न या सक्षम लोग इस पर अधिकार जमाए न बैठे रहें.
साल 2000 में अविभाजित आंध्र प्रदेश ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करते हुए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जिसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश बराबर-बराबर भरेंगे.