दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने बुधवार को कहा, 'मामला अंतिम दौर में है. जांच जटिल थी क्योंकि बयान लेने के लिए टीम को अन्य राज्यों का भी दौरा करना पड़ा था.'
साल 2016 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर देशविरोधी नारे लगाने को लेकर राजद्रोह के आरोपों में कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ़्तार किया गया था.
हम देश के एक छोटे से क़स्बे में पले-बढ़े लेकिन उस दौर में लोगों का दिलो-दिमाग राजनीति ने इतना छोटा नहीं था, जबकि देश का विभाजन हुए बहुत अरसा भी नहीं बीता था. नफ़रत की ऐसी आग नहीं लगी हुई थी, जैसी आज लगी है.
दरवेश शाहपुर और नवीन दलाल नाम के दो युवकों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर जेएनयू के छात्रनेता पर हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया है.
जन गण मन की बात की 288वीं कड़ी में विनोद दुआ जेएनयू के छात्रनेता उमर ख़ालिद पर 13 अगस्त को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुए हमले पर चर्चा कर रहे हैं.
बीते 13 अगस्त को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब आॅफ इंडिया के बाहर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता उमर ख़ालिद पर एक अज्ञात व्यक्ति ने गोली चला दी थी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र उमर ख़ालिद पर नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के बाहर एक अज्ञात व्यक्ति ने गोली चलाई. उमर ख़ालिद सुरक्षित हैं.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब अदालत की दख़ल के बाद छात्र-छात्राओं की पीएचडी थीसिस जमा हुई है और उनका अगले सेमेस्टर में पंजीकरण हुआ है.
जेएनयू के शोध छात्र उमर ख़ालिद का कहना है कि अदालत के आदेश के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पीएचडी थीसिस लेने से इनकार कर कोर्ट की अवमानना की है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन के आदेश को आधारहीन बताया. जेएनयू में कथित तौर पर देश विरोधी नारेबाज़ी करने के आरोपी कन्हैया कुमार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
जेएनयू के पांच सदस्यीय पैनल ने नौ फरवरी 2016 की घटना के मामले में उमर खालिद के निष्कासन और कन्हैया कुमार पर लगाए गए 10,000 रुपये के जुर्माने को बरक़रार रखा है.
जाति-हिंसा लंबे समय से महाराष्ट्र की संस्कृति का अंग रही है. यहां हिंदुत्ववादी राजनीति का विकास कोई एक दिन मे नहीं हुआ है. इसे कई दशकों तक सक्रिय तरीके से खाद-पानी देने का काम कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने किया.
गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर ख़ालिद ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में भड़काऊ भाषण देने के आरोपों को नकारा.
महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा को लेकर जिग्नेश मेवाणी और उमर ख़ालिद के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज.
पुणे पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में हिंदुवादी संगठनों के दो नेताओं के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए. मुंबई शहर में 100 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया.