बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत की मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख निर्धारित की है. नवलखा की याचिका के साथ ही मामले में सह आरोपी आनंद तेलतुंबड़े की याचिका पर भी सुनवाई होगी.
पुणे की विशेष अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया नवलखा के खिलाफ ऐसे सबूत हैं जो साबित करते हैं कि वे प्रतिबंधित संगठन के एक सदस्य ही नहीं बल्कि सक्रिय नेता हैं. इसलिए उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है. भीमा कोरेगांव हिंसा मामला में गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से संरक्षण मिला हुआ था.
माओवादियों से कथित संबंध के आरोप में गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस दलील के साथ याचिकाएं दायर की थीं कि पुलिस उनके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई है.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र सरकार के वकील ने जब मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को और अंतरिम संरक्षण दिए जाने का विरोध किया तो सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक उनसे पूछताछ क्यों नहीं की.
सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्णन गोंसाल्विस को जनवरी 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के संबंध में माओवादियों से कथित लिंक होने के आरोप में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को राहत देते हुए महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि जब तक अदालत में सुनवाई जारी है, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है. सीजेआई रंजन गोगोई सहित अब तक कुल चार जज इस मामले की सुनवाई करने से खुद को अलग कर चुके हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है. अदालत ने कहा कि नवलखा की अपील अब तीन अक्टूबर को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उनके ख़िलाफ़ एफआईआर रद्द करने से इनकार करने के फ़ैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.
तेलुगू कवि वरवरा राव भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे की यरवदा जेल में न्यायिक हिरासत में रखे गए थे. अब बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया है.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट से भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की है.
लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और प्रबुद्धजनों ने सरकार से मांग की है कि सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के ख़िलाफ़ लगाए गए सभी फ़र्ज़ी आरोपों को तत्काल ख़ारिज किया जाए.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब कि जब एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी आनंद तेलतुम्बड़े ने अपने ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की याचिका दायर की थी.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में बीते 28 अगस्त को माओवादियों से संबंध होने के आरोप में पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया गया था.