क्या भाजपा के विजय-रथ का पहिया बना दैनिक जागरण का एक्ज़िट पोल?

अलग-अलग चरणों में पार्टी के चुनावी प्रदर्शन में असमानता इस बात का सबूत है कि ‘अच्छी खबर’ चुनावी पासे को पलटने में मदद कर सकती है.

जन की बात: राजनीति में विपक्ष और इरोम शर्मिला, एपिसोड 18

जन की बात की 18वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ भारतीय राजनीति में विपक्ष की दशा और मणिपुर में इरोम शर्मिला की मिले 90 वोट पर चर्चा कर रहे हैं.

साल 2019 में अपने दम पर मोदी को नहीं हरा पाएगी कांग्रेस: अय्यर

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बिहार की तरह महागठबंधन हो तो 2019 के चुनाव में मोदी को सत्ता से बाहर किया जा सकता है.

कैप्टन अमरिंदर बने पंजाब के मुख्यमंत्री

राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा नौ कैबिनेट मंत्रियों और दो राज्य मंत्रियों को पद और गोप​नीयता की शपथ दिलाई.

कांग्रेस के लिए ‘राहु’ साबि​त हो रहे हैं राहुल गांधी!

राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस को 24 चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी की हालत यह हो गई है कि इसके साथ गठबंधन करने वाले दलों की भी लुटिया डूब जा रही है.

गोवा और मणिपुर में राज्यपालों का फैसला सही

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का मानना है कि गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के बजाय भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना संविधान सम्मत है. राज्यपाल अपने विवेक से किसी भी पार्टी को न्यौता दे सकता है.

‘विपक्षी दलों को भाजपा से सीखने की ज़रूरत है’

विपक्ष को एक नए भारत का सपना बुनना होगा जो भाजपा के हिंदूवादी, आर्थिक आधार पर खड़े विचार को चुनौती दे सके. एक ऐसा भारत जिसमें अस्मिता और देशभक्ति भी शामिल हो, विकास और सम्पन्नता की सोच भी.

गोवा में 16 मार्च को होगा शक्ति परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने 16 मार्च को शक्ति परीक्षण का आदेश पारित किया है.

ये देखना होगा कि भाजपा यूपी में मिली बेलगाम ताकत का इस्तेमाल कैसे करती है?

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक समर्थन हासिल करने में मिली भाजपा की कामयाबी को अगर शासन के आदर्श के तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है, तो आनेवाला समय देश के लिए अंधकारमय हो सकता है.

‘यूपी का चुनाव परिणाम सामाजिक न्याय के नेताओं की राजनीति की हार है’

लोकतंत्र में हर पल अपने समाज और वोटरों के बारे में सोचते रहना पड़ता है, लेकिन दुखद यह है कि उत्तर भारत के सामाजिक न्याय के सभी बड़े नेता सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदार के बारे में सोचते हैं, उन जनता के बारे में नहीं जिनके वोट से ये मसीहा बने थे.

‘उत्तर प्रदेश का चुनाव परिणाम डराता भी है’

भले ही जनता ने मोदी को विधानसभा में प्रचंड बहुमत दे दिया है लेकिन लोकसभा की तरह उसे यहां भी निराश होना पड़ेगा. वजह साफ है कि न तो मोदी के पास कोई बड़ी दृष्टि है और न ही उनके पास स्थितियों को समझने का धैर्य.