कई सालों से मोदी-शाह की जोड़ी ने चुनाव जीतने की मशीन होने की जो छवि बनाई थी, वह कई हारों के कारण कमज़ोर पड़ रही थी, मगर इस बार की चोट भरने लायक नहीं है. वे एक ऐसे राज्य में लड़खड़ाकर गिरे हैं, जो किसी हिंदीभाषी के मुंह से यह सुनना पसंद नहीं करता कि वे उनके राज्य को कैसे बदलने की योजना रखते हैं.
टीकों की बढ़ती मांग के बीच कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने कहा कि भारत की आबादी बहुत बड़ी है और सभी वयस्कों के लिए पर्याप्त खुराक का उत्पादन करना कोई आसान काम नहीं है. उन्होंने कहा कि कंपनी उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और अगले कुछ महीनों में 11 करोड़ टीकों की आपूर्ति की जाएगी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम के निर्वाचन अधिकारी द्वारा सीईओ कार्यालय को भेजे एक कथित एसएमएस को सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि अधिकारी को अपने जीवन का ख़तरा था इसलिए उन्होंने फिर से मतगणना के आदेश नहीं दिए.
बंगाल के समाज के सामूहिक विवेक ने भी उस ख़तरे को पहचाना, जिसका नाम भाजपा है. तृणमूल कांग्रेस की यह जीत इसलिए बंगाल में छिछोरेपन, लफंगेपन, गुंडागर्दी, उग्र और हिंसक बहुसंख्यकवाद की हार भी है.
तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक ने 10 साल बाद सत्ता में वापसी की है. द्रमुक को राज्य की 234 विधानसभा सीटों में से जहां 133 सीटों पर जीत मिली तो सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक सिर्फ़ 76 सीटें जीतने में सफल हो सकी. अन्नाद्रमुक की सहयोगी भाजपा को सिर्फ चार सीटों से संतोष करना पड़ा.
नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र के आधिकारिक नतीजे आने से पहले घंटों तक भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि मीडिया के एक धड़े में अधिकारी पर ममता की जीत की ख़बर चलने लगी थी. तृणमूल कांग्रेस ने इसके मद्देनज़र मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर दोबारा मतदान कराने की मांग की. हालांकि आयोग ने पार्टी के इस अनुरोध को ख़ारिज कर दिया.
दिल्ली में कोविड संकट के बीच फिलीपींस और न्यूज़ीलैंड दूतावासों द्वारा यूथ कांग्रेस प्रमुख श्रीनिवास बीवी से ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद मांगी गई थी, जिसे लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विदेश मंत्रालय पर निशाना साधा था. इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यूथ कांग्रेस द्वारा की गई आपूर्ति 'अनचाही' थी.
पुदुचेरी की 30 विधानसभा सीटों में से एनआर कांग्रेस की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 16 सीटों पर जीत हासिल की है. इस केंद्रशासित प्रदेश में सरकार बनाने के लिए विधानसभा में 16 विधायकों का समर्थन चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख एन. रंगासामी के नेतृत्व में एनआर कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली है.
पश्चिम बंगाल की 294, असम की 126, तमिलनाडु की 234, केरल की 140 और पुदुचेरी की 30 सीटों के लिए बीते 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच मतदान हुए थे. केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व में माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रटिक फ्रंट ने फ़िर से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. तमिलनाडु में बीते 10 साल से सत्ता से बाहर रही द्रमुक की वापसी हुई है और केंद्रशासित प्रदेश पुदुचेरी में एनआर कांग्रेस के नेतृत्व
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि यह समय जीवन में कुछ और करने का है. उन्होंने कहा कि इस तरह का पक्षपाती निर्वाचन आयोग नहीं देखा, उसने भाजपा की मदद के लिए तमाम क़दम उठाए. भाजपा को धर्म का इस्तेमाल करने दिया, उसके मुताबिक चुनावी कार्यक्रम बनाए गए और नियमों से खिलवाड़ किया गया.
निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि उसने कई जगहों पर जीत का जश्न मनाने के लिए लोगों के जमा होने को लेकर कड़ा रुख़ अपनाया है और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि ऐसी स्थिति में प्राथमिकी दर्ज की जाए तथा थाना प्रभारी को निलंबित किया जाए.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश में कोरोना वायरस की गंभीर स्थिति के मद्देनज़र पार्टी के प्रवक्ता विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद टीवी चैनलों पर होने वाली परिचर्चा हिस्सा नहीं लेंगे. असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुदुचेरी और केरल के विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है.
पश्चिम बंगाल की 294, असम की 126, तमिलनाडु की 234, केरल की 140 और पुदुचेरी की 30 सीटों पर आज विधानसभा चुनाव परिणाम आएंगे. अधिकारियों ने बताया कि वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के सख्त दिशानिर्देशों के मुताबिक होगी, ताकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके. इसमें एजेंट के लिए आरटी-पीसीआर की जांच भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की कोविड-19 टीकाकरण नीति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि हमें राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल को क्यों नहीं अपनाना चाहिए? केंद्र सौ प्रतिशत का अधिग्रहण क्यों नहीं कर सकता, निर्माताओं की पहचान करें और उनके साथ बातचीत करें और फिर राज्यों को वितरित करें.
संकट पैदा करने वाली यह मशीन, जिसे हम अपनी सरकार कहते हैं, हमें इस तबाही से निकाल पाने के क़ाबिल नहीं है. ख़ाससकर इसलिए कि इस सरकार में एक आदमी अकेले फ़ैसले करता है, जो ख़तरनाक है- और बहुत समझदार नहीं है. स्थितियां बेशक संभलेंगी, लेकिन हम नहीं जानते कि उसे देखने के लिए हममें से कौन बचा रहेगा.