सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों में कोविड-19 जांच की अलग-अलग कीमतों पर संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कहीं 2,200 रुपये में कोरोना टेस्ट हो रहा है, तो कहीं 4,500 रुपये में, ऐसा नहीं होना चाहिए.
गृह मंत्रालय ने कहा कि विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय समिति के सुझाव के आधार पर ये निर्णय लिया गया है. इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार के पास रिपोर्ट भेजी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि डॉक्टर और नर्स इस समय कोविड-19 से जंग में हैं, लेकिन आप एफआईआर दायर करने में व्यस्त हैं. यदि आप अपने सैनिक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे तो युद्ध कैसे जीतेंगे. बीते दिनों एक सरकारी अस्पताल के ख़राब हाल का वीडियो बनाने पर एक डॉक्टर के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
भारत में महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है. अब तक कोविड-19 की जांच कराने पर 4,500 रुपये लगते थे.
दिल्ली में बीते सप्ताह कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों में से लगभग 30.5 प्रतिशत लोग संक्रमित पाए गए. सात जून को समाप्त हुए हफ़्ते में यह दर 23 फ़ीसदी और इससे पिछले हफ़्ते में 14 फ़ीसदी थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में सस्ती दर पर कोरोना वायरस के इलाज कराने के संबंध में एक कमेटी बनाई है और कोरोना संक्रमण रोकने के लिए घर-घर जाकर स्वास्थ्य सर्वे किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने जिन पांच राज्यों को चेताया है, उनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश शामिल है. अनुमान है कि यहां जून से अगस्त के बीच आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी पड़ सकती है.
जीटीबी अस्पताल कोविड-19 के लिए अधिकृत अस्पताल है, जहां भर्ती कोरोना संक्रमितों के परिजनों का कहना है कि स्टाफ बमुश्किल ही मरीज़ों के वॉर्ड में जाता है. खाने-पीने से लेकर शौचालय जाने तक में मदद के लिए मरीज़ अपने परिवार पर निर्भर है.
घटना डारंग जिले के मंगलदोई सिविल अस्पताल की है, जहां मिलते-जुलते नाम वाले एक मरीज़ को कोरोना से ठीक हुआ समझकर डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि तब तक उनकी रिपोर्ट नहीं आई थी. बाद में उन्हें नेगेटिव पाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 मरीजों का उचित इलाज और शवों का सम्मानित ढंग से प्रबंधन करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि विभिन्न राज्यों में कोरोना की चिंताजनक स्थिति है और लोगों के साथ जानवरों से बदतर सलूक किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी इस मामले में जवाब मांगा है.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में कुल 57,709 बेड हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि जुलाई अंत तक उन्हें 80,000 बेड की ज़रूरत पड़ेगी. कोरोना से लड़ने के लिए सिर्फ़ बेड ही पर्याप्त नहीं होंगे, इसके लिए बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की भी ज़रूरत होगी.
मामला जलगांव के सरकारी अस्पताल का है, जहां कोविड संक्रमित एक 82 वर्षीय महिला को एक जून को भर्ती कराया गया था और वे दो जून से लापता हो गई थीं. अन्य मरीज़ों के शौचालय में बदबू की शिकायत करने के बाद वहां महिला का शव पाया गया. घटना के बाद अस्पताल के डीन सहित पांच अधिकारियों को निलंबित करते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं.
दिल्ली में कोविड मरीज़ों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं न होने की कांग्रेस नेता अजय माकन की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी ने कहा है कि वह समझते हैं कि यह मरीज़ों-डॉक्टरों, सरकारी एजेंसियों आदि सभी के लिए अप्रत्याशित स्थिति है, लेकिन हरसंभव प्रयास किए बिना नागरिकों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता.
दिल्ली में तैनात 35 वर्षीय बीएसएफ जवान की नौ जून को दिल्ली के एम्स में कोविड-19 से मौत हो गई. बीएसएफ में ये तीसरी मौत है.
बीते मार्च महीने में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा था कि अगर हमें पता ही नहीं होगा कि कौन संक्रमित है तो हम इस महामारी को नहीं रोक सकते. उन्होंने कोरोना वायरस से बचने के लिए अधिक से अधिक टेस्ट करने की ज़रूरत पर बल दिया था, लेकिन वर्तमान में भारत में डब्ल्यूएचओ की इस सलाह के उलट होता दिख रहा है.