लॉकडाउन: जानिए 20 अप्रैल से किन आर्थिक गतिविधियों को मिलेगी छूट

जनता की परेशानियों को देखते हुए कुछ चुनिंदा गतिविधियों को 20 अप्रैल से चालू करने की मंजूरी दी गई है. ये राहतें राज्य/केंद्र शासित सरकारों या जिला प्रशासन द्वारा मौजूदा दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन करते हुए दी जाएंगी.

कोरोना संकट का यह दौर प्लेग के ख़िलाफ़ संघर्ष का एक बिसरा दिया गया पन्ना याद दिलाता है

कोरोना संक्रमण की भयावहता के चलते इसकी वैक्सीन के मानव परीक्षणों के लिए एक अमेरिकी महिला के सामने आने के बाद कई वालंटियर्स सामने आए हैं. यह उस समय के बिल्कुल उलट है जब जीवविज्ञानी वाल्देमार हाफकिन को प्लेग के टीके का सबसे पहला प्रयोग स्वयं पर करना पड़ा था क्योंकि कोई और इसके लिए तैयार ही नहीं था.

कोरोना वायरस: पूर्व स्वास्थ्य सचिव ने कहा, भारत सहित दुनिया ने शोध और विकास पर नहीं दिया ध्यान

पूर्व स्वास्थ्य सचिव के. सुजाता राव ने कहा है कि कुपोषण और स्वस्थ जीवनशैली के अभाव में काफी संख्या में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है. ऐसे में बीमारियों को लेकर सतत रूप से अनुसंधान पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसकी हमारे देश में काफी कमी है.

कोरोना वायरस: ईरान से 860 भारतीय मछुआरों की वापसी के लिए न्यायालय में याचिका दायर

याचिका में यह दावा भी किया गया है कि 860 मछुआरों में से कोई भी अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है, लेकिन वे पर्याप्त भोजन या पानी के बिना अमानवीय परिस्थितियों में ईरान में फंसे हुए हैं.

घर लौट रहे मजदूर उपमहाद्वीप में वायरस फैला सकते हैं: विश्व बैंक

अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अंतर्देशीय यात्री परिवहन साधनों पर रोक की घोषणा और इसे लागू करने के बीच एक दिन से भी कम समय लगा जिससे अव्यवस्था उत्पन्न हो गई.

लॉकडाउन: यूपी में फसल कटाई के लिए मजदूर न मिलने से परेशान किसान ने फांसी लगाई

मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का है. 52 वर्षीय किसान रामभवन शुक्ला दो दिन से फसल काटने के लिए गांव में मजदूर ढूंढ रहे थे, मगर लॉकडाउन की वजह से मजदूर नहीं मिल रहे थे.

लॉकडाउन: भारी संकट में किसान, गेहूं की फसल काटने को नहीं मिल रहे मज़दूर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं ने चेताया है कि खेती-किसानी से जुड़ी समस्याओं को समय रहते नहीं सुलझाया गया तो बीमारी से ज़्यादा भुखमरी से मौतें होंगी.

धोखाधड़ी के आरोपी डीएचएफएल प्रमोटर लॉकडाउन का उल्लंघन करने के कारण हिरासत में

डीएफएचएल के प्रमोटर कपिल और धीरज वधावन को परिवार के 23 सदस्यों के साथ उनके सतारा ज़िले के महाबलेश्वर स्थित उनके फार्म हाउस में पाया गया, जबकि कोरोना वायरस के चलते पूरे सतारा ज़िले को सील कर दिया गया है.

कोरोना संकट: जंग की ललकार की नहीं, दोस्ती की पुकार की घड़ी

युद्ध असाधारण परिस्थिति उत्पन्न करता है, जहां समाचार, विचार और सामाजिक आचार सिर्फ सरकारें तय कर सकती हैं. युद्ध में सरकार से सवाल जुर्म होता है और सैनिक से बलिदान की अपेक्षा की जाती है. ऐसे में अगर डॉक्टर ख़ुद को संक्रमण से बचाने की सामग्री की मांग करते हुए काम रोक दें तो वही जनता, जो इनके लिए करतल ध्वनि के कोलाहल का उत्सव मना रही थी, इनके लिए सज़ा की मांग करेगी.

दिल्ली: कोरोना वायरस फैलाने की साज़िश रचने के शक़ में युवक की पिटाई

मामला दिल्ली के बवाना इलाके का है. पुलिस ने कहा कि तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम से मध्य प्रदेश के भोपाल से लौटे 22 वर्षीय महबूब अली जब अपने गांव पहुंचा तो अफवाह फैल गई कि उसकी कोरोना वायरस फैलाने की योजना है.

कोरोना से जूझ रहे स्वास्थ्यकर्मी योद्धा, सरकार इन्हें सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित पीड़ितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को केंद्र और राज्य सरकारें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराएं.

सरकारी लैब हो या प्राइवेट, कोरोना टेस्ट फ्री में हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें ये कहा गया था कि प्राइवेट लैब्स कोरोना जांच के लिए 4500 रुपये तक वसूल सकते हैं.

झारखंड: मुस्लिमों द्वारा थूककर कोरोना फैलाने की अफवाह के बाद हुई झड़प में युवक की मौत

झारखंड के गुमला ज़िले में ये अफवाह उड़ायी गई थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने के लिए मुस्लिम जान-बूझकर जगह-जगह पर थूक रहे हैं.

हिरासत केंद्रों से लोगों की रिहाई की मांग, केंद्र और असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

कोरोना वायरस के मद्देनज़र असम के एक गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि ऐसी ही राहत उन लोगों को भी दिए जाने की आवश्यकता है, जिन्हें फॉरेन ट्र‌िब्यूनल द्वारा विदेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद हिरासत में रखा गया है.

यह महामारी एक नई दुनिया में क़दम रखने का मौक़ा है

महामारियों ने हमेशा से ही इंसान को अतीत से नाता तोड़कर एक नए भविष्य की कल्पना करने के लिए मजबूर किया है. यह महामारी भी नए और पुराने के बीच एक दरवाज़ा है और यह हम पर है कि हम पूर्वाग्रह, नफ़रत, लोभ आदि के कंकाल ढोते हुए आगे बढ़ें या बिना ऐसे बोझों के एक नई और बेहतर दुनिया की कल्पना के साथ आगे निकलें.