अनलॉक-4 के दिशानिर्देशों में 22 मार्च से बंद दिल्ली मेट्रो को चरणबद्ध तरीके से संचालन शुरू करने की अनुमति दी गई है. साथ ही कहा गया है कि केंद्र से परामर्श किए बिना राज्य सरकारें कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर कोई स्थानीय लॉकडाउन नहीं लगा सकेंगी.
चुनाव आयोग ने एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि वे अन्य सरकारी विभागों के साथ मतदाता सूची और फोटो परिचय पत्र साझा करने के साल 2008 के अपने दिशा-निर्देशों से किसी भी तरह नहीं भटका है.
फरवरी महीने में हुए दंगे और उसके बाद हुई 'जांच' का मक़सद सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराना है, जिससे उनके आंदोलन को बदनाम किया जा सके. साथ ही भविष्य में ऐसा कोई प्रदर्शन करने के बारे में आम नागरिकों में डर बैठाया जा सके.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद से पूछताछ के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली पुलिस द्वारा लीक जानकारी के आधार पर उन्हें 'दंगों का मास्टरमाइंड' कहा गया. प्रामाणिक तथ्यों के बिना आ रही ऐसी ख़बरों का मक़सद केवल उनकी छवि धूमिल कर उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाना लगता है.
दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के पक्षपाती रवैये को लेकर लगातार उंगलियां उठीं. इस धारणा को इसलिए भी बल मिला क्योंकि पुलिस ने गिरफ़्तार किए गए लोगों के बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया.
बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल होने की बात स्वीकार ली है. हुसैन के वकील जावेद अली का कहना है कि उनके मुवक्किल ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया. पुलिस के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.
दिल्ली पुलिस द्वारा आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के मुख्य साज़िशकर्ता के रूप में पेश किया गया है. हालांकि इस पूरे मामले में हुसैन की भूमिका से जुड़े तथ्य किसी और तरफ ही इशारा करते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने बताया कि दिल्ली दंगों के मामले में उनसे पूछताछ की गई. उन्होंने यह भी कहा कि यह परेशान करने वाली बात है कि एक ऐसा सिद्धांत रचा जा रहा है जहां प्रदर्शनकारियों को ही हिंसा का स्रोत बताया जा रहा है. उम्मीद करता हूं कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और न्यायसंगत हो.
दिल्ली पुलिस ने फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों की कथित साज़िश को लेकर उमर खालिद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. खालिद ने सभी आरोपों को ख़ारिज़ करते हुए कहा कि दंगों के लिए वास्तव में ज़िम्मेदार लोगों को पकड़ने के बजाय सांप्रदायिक सद्भाव के लिए काम करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को फंसाया जा रहा है.
फरवरी के आख़िरी हफ्ते में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उसकी प्रमुख वजहों में से एक केंद्रीय बलों को तैनात करने में हुई देरी है. साथ ही गृह मंत्री का यह दावा कि हिंसा 25 फरवरी को रात 11 बजे तक ख़त्म हो गई थी, तथ्यों पर खरा नहीं उतरता.
दिल्ली दंगों के संबंध में गिरफ़्तार गुलफ़िशा फातिमा बीते सौ दिन से ज़्यादा समय से तिहाड़ जेल में हैं. नागरिक समाज के सदस्यों, शिक्षाविदों, लेखकों समेत 450 से अधिक लोगों ने उन्हें छोड़ने की मांग करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस महामारी का फायदा उठाकर प्रदर्शनकारियों को ग़ैर-क़ानूनी ढंग से गिरफ़्तार कर रही है.
एक कंपनी द्वारा श्रमिकों को वेतन न देने के मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश के तहत उन्हीं कर्मचारियों या कामगारों को लाभ मिलेगा, जो लॉकडाउन लगने वाले दिन तक नौकरी पर थे और उन्हें तनख़्वाह मिल रही थी.
राजीव गांधी फाउंडेशन सहित नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े तीन न्यासों द्वारा धनशोधन और विदेशी चंदा सहित विभिन्न क़ानूनों के कथित उल्लंघन के मामलों की जांच में समन्वय के लिए गृह मंत्रालय की ओर से एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की गई है.
वीडियो: तमिलनाडु सरकार ने मार्च महीने में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए एशिया, यूरोप और अफ्रीकी देशों के कुल 129 विदेशी नागरिकों को एक केंद्रीय जेल में रखा है. उनके परिजनों के अनुसार, उनके साथ बेहद अमानवीय व्यवहार हो रहा है, वहीं वकीलों का मानना है कि यह कार्रवाई ग़ैरक़ानूनी है.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे को लेकर द वायर द्वारा दायर किए गए आरटीआई आवेदन पर अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश देने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने जानकारी देने से मना कर दिया. पुलिस ने सिर्फ़ गिरफ़्तार किए गए लोगों, दर्ज की गई एफआईआर, मृतकों एवं घायलों की संख्या की सूचना दी है.