केंद्र सरकार पर न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं. बीते कुछ सालों में हुई नियुक्तियों पर गौर करें तो ऐसे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जो भविष्य की एक ख़तरनाक तस्वीर बनाते हैं.
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा मुक़दमों के आवंटन पर सवाल उठाया गया था.
सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से की भेंट. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी मामले के एक हफ़्ते में सुलझने की उम्मीद जताई.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत की पूर्ण पीठ को तत्काल विचार करना चाहिए.
प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले न्यायाधीशों में से एक जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि न्याय और न्यापालिका के हित में यह क़दम उठाया.
जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस: विधिक समुदाय ने अप्रत्याशित और स्तब्धकारी बताया.
जन गण मन की बात की 180वीं कड़ी में विनोद दुआ सुप्रीम के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस और न्यायपालिका की चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं.
उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा शीर्ष न्यायालय में स्थिति ठीक नहीं बताए जाने के बयान पर कांग्रेस ने कहा कि लोकतंत्र ख़तरे में है.
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाने पर पूर्व न्यायाधीशों और न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न लोगों ने अपनी राय साझा की है.
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने शुक्रवार सुबह मीडिया से बात करते हुए शीर्ष अदालत के काम पर सवाल उठाए हैं, साथ ही उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र भेजा है. पढ़ें ये पत्र.
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने मीडिया से बात कर शीर्ष अदालत के प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को नहीं बचाया गया तो लोकतंत्र नाकाम हो जाएगा.